रीवा।गुमशुदा हुए माता पिता की खोज में दर-दर की ठोकरें खाने वाले बेटे की तलाश गुरुवार को पूरी हो गई. 85 वर्षीय माता-पिता बैंक से वृद्धा अवस्था पेंशन निकालने के बाद ऑटो में सवार हुए और फिर अचानक से गायब हो गए थे. बूढ़े माता पिता की तलाश में बेटा हाथ में फोटो लेकर शहर से लेकर गांव के गलियारों तक लोगों से यह कहता पूछता था की "क्या इन्हें कहीं देखा है" बीते दिनों ही इस खबर को" "ETV BHARAT" ने प्रमुखता से दिखाया था. इसके बाद 5 लोगों के साथ माता-पिता की खोज में निकला बेटा उत्तर प्रदेश के प्रयागराज गया. जहां बड़े हनुमान मंदिर परिसर में बैठे उसके माता-पिता दिखाई दिए. माता-पिता को देखकर बेटा उनसे लिपट गया. बेटे को सामने देखकर माता-पिता के आंसू निकल गए.
15 जुलाई को बैंक से पैसे निकालने के बाद लापता हुए थे दंपति
दरअसल, फरियादी अवधेश साकेत चोराहटा थाना क्षेत्र के ग्राम मढ़ी अटरिया गांव का निवासी है. अवधेश के 85 वर्षीय पिता जुगुल किशोर और 80 वर्षीय उसकी मां महरानियां साकेत बीते 15 जुलाई की दोपहर तकरीबन 11 बजे घर से ऑटो में सवार होकर वृद्धा अवस्था की पैंशन निकालने बैंक गए. वह रीवा के ढेकहा मोहल्ले में स्थित SBI बैंक की शाखा में पहुंचे. इसके बाद दोनों ने अपने वृद्धा पेंशन की राशि निकाली और वापस घर आने के लिए ऑटो में सवार होकर निकल गए.
माता-पिता को खोज रहा था बेटा
85 वर्षीय बुजुर्ग दंपति जब देर शाम तक वापस अपने घर नहीं पहुंचा तो परिवार के अन्य सदस्यों ने उनकी खोजबीन शुरु की. बुजुर्ग दंपति का बेटा अवधेश साकेत अपने माता-पिता की खोजबीन करते हुए बाहर गया. शहर के कई इलाकों में तलाश की माता-पिता की फोटोग्राफ्स लेकर लोगों को दिखाया. उनसे पूछताक की, कि क्या "इन्हें कहीं देखा है" इसके बावजूद भी उनका कोई सुराग नहीं लगा. रिश्तेदारों के घर गए फोन किया पर कोई पता नहीं लगा.
10 दिन तक माता-पिता को दर-दर खोज रहा था बेटा
अपनी फरियाद लेकर बेटा पुलिस थाने भी पहुंचा. ब मुश्किल शिकायत दर्ज की गई, लेकिन किसी भी प्रकार से उसके माता-पिता की तलाश में पुलिस ने कोई रुचि नहीं दिखाई. माता पिता को गुम हुए तकरीबन 10 दिन बीत गए, 11 वें दिन बेटा 5 लोगों के साथ माता-पिता को खोजते हुए उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जा पहुंचा. सभी लोगों ने अलग अलग स्थानों पर माता-पिता की खोजबीन शुरू कि तभी बेटा अवधेश साकेत मां गंगा नदी के तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर पहुंचा, काफी खोजबीन के बाद अंत में जब वह मंदिर के समीप पहुंचा तो उसके माता और पिता बैठे हुए थे.