रीवा।जिले में इन दिनों राजस्व प्रकरणों के विवाद सामने आ रहे हैं. ताजा मामले में पीड़ित पक्ष एक समान्य व्यक्ति है तो दूसरा पक्ष पीडब्ल्यूडी है. पीड़ित पक्ष की ओर मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने हुजूर तहदीलदार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है की पीड़ित और PWD विभाग के बीच पिछले कई सालों से जमीन विवाद चल रहा था. मामला हाइकोर्ट पहुंचा. हाईकोर्ट ने पीड़ित के पक्ष में निर्णय दिया. पीड़ित का आरोप है कि तहसीलदार ने कार्रवाई करने के बजाय उससे 25 हजार रुपये ले लिए.
सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही है फाइल
पीड़ित विश्वनाथ सिंह का कहना है "वर्ष 2022 में उनके प्रकरण का हाईकोर्ट ने निर्णय किया था. इसके बाद तहसीलदार ने प्रकरण को एसडीएम कार्यालय भेजा. फिर प्रकरण कलेक्ट्रेट कार्यलय पहुंचा. कलेक्टर कार्यालय से हाईकोर्ट के आदेश का पालन कराने के निर्देश जारी हुए. ये प्रकरण फिर एसडीएम कार्यालय पहुंचा. एसडीएम ने फाइल को तहसीलदार के पास भेजी." पीड़ित पक्ष का आरोप है की तहसीलदार ने फाइल पीछले 5 माह से दबा ली है. तहसीलदार शिव शंकर शुक्ला ने काम करने का झांसा देकर 25 हजार रुपये ले लिए.
आरोप लगने के बाद तहसीलदार ने भी रखा अपना पक्ष
मामले में तहसीलदार शिवशंकर शुक्ला ने भी अपना पक्ष रखा है. उनका कहना है "विश्वनाथ सिंह बनाम मध्यप्रदेश शासन के बीच प्रकरण है न्यायालय में विचाराधीन है. इसमें ग्राम समान की जमीन पीडब्ल्यूडी मध्य प्रदेश शासन के नाम दर्ज है. इस प्रकरण में उच्च न्यायालय द्वारा शासन का पक्ष सक्षम रूप से न रखने के कारण 2022 में निर्णय हुआ था. निर्णय के बाद पीडब्ल्यूडी एसडीओ और कार्यपालन यंत्री को नोटिस जारी हुए. वर्तमान में इस प्रकरण में शासन की तरफ से कोर्ट में रिट अपील दायर करने के लिए शासकीय अधिवक्ता का अभिमत भी प्राप्त हो चुका है. रुपये लेने के आरोप निराधार हैं."