रांचीः झारखंड में बीजेपी अपने शुरुआती समय से मजबूत रही है. संयुक्त बिहार के समय से ही झारखंड में बीजेपी अपनी संगठनात्मक मजबूती बनाती रही. यूं कहें तो जनसंघ के समय संगठनात्मक मजबूती की नींव यहां पड़ी, जो समय के साथ मजबूत होती चली गई.
बीजेपी नेता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि 6 अप्रैल 1980 को राजनीतिक दल के रूप में अस्तित्व में आने के बाद बीजेपी ने चुनाव में सीधे तौर पर उतरना शुरू किया. राष्ट्रवाद का मूलमंत्र पार्टी के अंदर शुरू से रहा, जिस वजह से जनता के बीच एक अलग छवि बनाने में समय के साथ बीजेपी सफल होती चली गई. यही वजह थी कि संयुक्त बिहार के समय वर्तमान झारखंड के हिस्से में 1984 के लोकसभा चुनाव में करीब 6.9% वोट मिले. 1989 के लोकसभा चुनाव में 11.7% वोट लाकर पार्टी कोडरमा, हजारीबाग, खूंटी, गिरीडीह और गोड्डा सीट जीतने में सफल रही. इसके बाद के लोकसभा चुनावों में जीत का सिलसिला जारी रहा.
झारखंड में बीजेपी
विधानसभा चुनाव में बीजेपी
साल 2000 में झारखंड बनने के बाद बीजेपी का प्रदेशस्तरीय संगठन बना. इसी दौरान प्रथम मुख्यमंत्री के रुप में बाबूलाल मरांडी ने भी 15 नवंबर 2000 को बीजेपी की सरकार झारखंड में पहली बार बनाई. पार्टी की अंदरूनी कलह और सरकार के कामकाज पर उठ रहे सवाल की वजह से बाबूलाल को 18 मार्च 2023 को कुर्सी छोड़नी पड़ी और अर्जुन मुंडा पहली बार मुख्यमंत्री बने. अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में झारखंड में तीन बार बीजेपी की सरकार बनी है.
बीजेपी के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में रघुवर दास रहे, जो झारखंड के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में 28 दिसंबर 2014 से 29 दिसंबर 2019 तक बने रहे. हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वे खुद हार गए. बात यदि बीजेपी संगठन की करें तो झारखंड बीजेपी के पहले प्रदेश अध्यक्ष यदुनाथ पांडे 13 मई 2005 को बने. आंकड़ों के मुताबिक अब तक सात प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल पार्टी के कार्यकर्ताओं ने देखा है, जिसमें तीन वैसे प्रदेश अध्यक्ष बने जो दूसरे दल में जाने के बाद पार्टी में वापस लौटे थे. जिसमें रवींद्र राय,दीपक प्रकाश और वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी शामिल हैं.