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करोड़ों का बजट फिर भी ठेकेदार नहीं जुटा पा रहे बांधों की मरम्मत के लिए हिम्मत, यह है कारण - Dam repair work stalled

राजस्थान में चंबल वैली प्रोजेक्ट के तहत कोटा बैराज, बूंदी के जवाहर सागर और रावतभाटा के राणा प्रताप सागर बांध की हाइड्रो मैकेनिक और सिविल मेंटेनेंस का काम होना है. कई बार निविदा निकाले जाने के बावजूद देशभर से संवेदक इसमें भाग लेने नहीं पहुंच रहे. वर्ल्ड बैंक के जरिए इसका बजट पास हुआ था, लेकिन कोई भी ठेकेदार इस कार्य को करने के लिए साहस नहीं जुटा पा रहा. देखिए यह खास रिपोर्ट...

REPAIR WORK OF CHAMBAL DAMS
चंबल के बांधों की मरम्मत अधर में (Etv bharat gfx Team)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 10, 2024, 8:56 AM IST

Updated : Jul 10, 2024, 9:57 AM IST

ठेकेदार नहीं जुटा पा रहे बांधों की मरम्मत का साहस (Etv bharat kota)

कोटा.चंबल वैली प्रोजेक्ट के राजस्थान में स्थित तीनों बांधों की मरम्मत के लिए करोड़ों रुपए का बजट करीब एक साल पहले पास हो चुका है, लेकिन इन बांधों की मरम्मत के लिए ठेकेदार साहस नहीं जुटा पा रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि तीन बार टेंडर करने के बावजूद भी संवेदक उसमें पार्टिसिपेट करने नहीं पहुंचे हैं. चंबल वैली प्रोजेक्ट के ड्रिप के तहत कोटा बैराज, बूंदी के जवाहर सागर और रावतभाटा के राणा प्रताप सागर बांध की हाइड्रो मैकेनिक और सिविल मेंटेनेंस होनी है. अधिकारियों का कहना है कि निविदा का पूरा प्रचार-प्रसार करने के बावजूद भी देश भर से संवेदक इसमें पार्टिसिपेट करने नहीं पहुंच रहे हैं.

हाइड्रो मैकेनिक और सिविल मेंटेनेंस का होना है काम (Photo : Etv Bharat)

तीन बार निविदा, दो बार आचार संहिता : जल संसाधन विभाग के अधिशासी अभियंता भारतरत्न गौड़ का कहना है कि तीनों बांधों की मरम्मत के लिए जल संसाधन विभाग ने 14 अगस्त 2023 को निविदा जारी की थी, लेकिन किसी भी संवेदक फर्म ने इसमें टेंडर नहीं डाले. इसके बाद 28 सितंबर 2023 को एक बार फिर निविदा जारी की गई थी. इसमें भी यही हालात रहे. इसके बाद विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई थी, जिसके चलते निविदा जारी नहीं कर पाए. इसके बाद आचार संहिता हटते ही 22 दिसंबर 2023 को दोबारा निविदा जारी कर दी गई थी. हालांकि इसमें हाइड्रो मैकेनिक के लिए कोई नहीं आया. दो फर्म सिविल वर्क के लिए पार्टिसिपेट करने आई, लेकिन इन कार्यों को करने के लिए अनुभव उनके पास नहीं था. साथ ही जिन मापदंड के जरिए डैम में काम होना है, उसके अनुरूप वो सक्षम नहीं पाए गए थे. ऐसे में वो डिसक्वालीफाई हो गए थे, फिर लोकसभा चुनाव की आचार संहिता में तीन माह काम नहीं हो पाया.

बांधों के लिए जारी बजट (Etv bharat gfx Team)

60 से 65 साल पुराने हैं डैम : भारत रत्न गौड़ के अनुसार ड्रिप के तहत कोटा बैराज, बूंदी के जवाहर सागर और रावतभाटा के राणा प्रताप सागर करीब 60 से 65 साल पुराने बने हुए हैं. हाइड्रो मैकेनिकल वर्क में पुराने गेट व सलूज गेट बदलने हैं. इस तरह के काम करने वाले संवेदकों को बुलाकर बातचीत भी की गई. उन्हें पूरे काम के संबंध में समझाया भी गया है. इन मीटिंग में संवेदकों की क्वेरीज को भी बताया गया, इसके बावजूद कोई संवेदक नहीं आया है. नए निर्माण कार्यों के लिए तो संवेदक आगे आ जाते हैं, लेकिन इन मेंटेनेंस के काम के लिए काफी दिक्कत आ रही है. संवेदक इसलिए भी सामने नहीं आ रहे हैं, क्योंकि डैम में पानी काफी भरा रहता है और इस दौरान ही गेट और अन्य उपकरणों की मेंटेनेंस होनी है. जयपुर के उच्च अधिकारियों के जरिए केंद्रीय जल आयोग के अधिकारियों से दिशा निर्देश लिए जाएंगे. किस तरह से संवेदकों से यह काम करवाया जाए, इस संबंध में भी जानकारी ले रहे हैं. इसके लिए जयपुर या दिल्ली में संवेदकों के साथ मीटिंग भी करने की योजना है.

चंबल वैली प्रोजेक्ट के तहत होना है काम (Photo : Etv Bharat)

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वर्ल्ड बैंक के जरिए स्वीकृत हुए थे पैसे :जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता एजाजुद्दीन अंसारी ने बताया कि डैम रिहैबिलिटेशन इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट जो कि वर्ल्ड बैंक का है, उसके तहत राशि स्वीकृत हुई है. प्रोजेक्ट के तहत चंबल वैली के राणा प्रताप सागर बांध रावतभाटा, जवाहर सागर बांध बूंदी और कोटा बैराज का रोबोटिक अंडरग्राउंड वॉटर सर्वे और कंप्यूटराइज्ड जांच के आधार पर 182.78 करोड़ रुपए से हाइड्रो मैकेनिकल, सिविल और इंस्ट्रूमेंट के कार्य होने हैं. हाइड्रो मैकेनिकल वर्क्स में गेट, गैंट्री क्रेन, स्टॉप लोग गेट, रबर सील, लाइटिंग, इलेक्ट्रिफिकेशन, एक्स्ट्रा पंप, जनरेटर, बंद पड़े उपकरणों का काम व स्काडा मॉनिटरिंग के कार्य होना है, जबकि सिविल वर्क्स में प्रोटेक्शन दीवार, ब्रिज की सेफ्टी वॉल, बांधों में पिचिंग, राउटिंग, रिटेनिंग वॉल, प्रोटक्शन वॉल पेंटिंग, लैंडस्लाइडिंग रोकने के लिए प्रोटेक्शन दीवार, गैलरी निर्माण और सीसीटीवी कैमरों के काम होंगे.

वर्ल्ड बैंक से करोड़ों का बजट हुआ था पास (Photo : Etv Bharat)

2021 में हुई थी रोबोटिक व अल्ट्रासाउंड जांच : ड्रिप योजना से पैसा मिलने की उम्मीद के पहले राज्य सरकार ने जल संसाधन विभाग के चंबल नदी के तीनों बांध का अंडरवाटर सर्वे करवाया था. इसमें रोबोट के जरिए अंडर ग्राउंड वाटर वीडियोग्राफी करवाई गई थी, जिसके अंदर डैम बॉडी की पूरी पिक्चर रोबोट ने ली थी, उनका पूरा एसेसमेंट बनाकर सर्वे करने वाली कंपनी ने रिपोर्ट दी है. इसमें कोटा बैराज, जवाहर सागर बांध और राणा प्रताप सागर बांध की बॉडी के स्ट्रक्चर में खामियां सामने नहीं आई हैं, जिनके लिए भी अब काम किया जाएगा. इसके अलावा बांधों के दरवाजों का हेल्थ असेसमेंट अल्ट्रासाउंड तकनीक व मशीनरी के जरिए करवाया गया था, जिसमें कई गेट को बदलने और दुरुस्त करने का पैसा पास हुआ था.

Last Updated : Jul 10, 2024, 9:57 AM IST

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