कोटा.चंबल वैली प्रोजेक्ट के राजस्थान में स्थित तीनों बांधों की मरम्मत के लिए करोड़ों रुपए का बजट करीब एक साल पहले पास हो चुका है, लेकिन इन बांधों की मरम्मत के लिए ठेकेदार साहस नहीं जुटा पा रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि तीन बार टेंडर करने के बावजूद भी संवेदक उसमें पार्टिसिपेट करने नहीं पहुंचे हैं. चंबल वैली प्रोजेक्ट के ड्रिप के तहत कोटा बैराज, बूंदी के जवाहर सागर और रावतभाटा के राणा प्रताप सागर बांध की हाइड्रो मैकेनिक और सिविल मेंटेनेंस होनी है. अधिकारियों का कहना है कि निविदा का पूरा प्रचार-प्रसार करने के बावजूद भी देश भर से संवेदक इसमें पार्टिसिपेट करने नहीं पहुंच रहे हैं.
तीन बार निविदा, दो बार आचार संहिता : जल संसाधन विभाग के अधिशासी अभियंता भारतरत्न गौड़ का कहना है कि तीनों बांधों की मरम्मत के लिए जल संसाधन विभाग ने 14 अगस्त 2023 को निविदा जारी की थी, लेकिन किसी भी संवेदक फर्म ने इसमें टेंडर नहीं डाले. इसके बाद 28 सितंबर 2023 को एक बार फिर निविदा जारी की गई थी. इसमें भी यही हालात रहे. इसके बाद विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई थी, जिसके चलते निविदा जारी नहीं कर पाए. इसके बाद आचार संहिता हटते ही 22 दिसंबर 2023 को दोबारा निविदा जारी कर दी गई थी. हालांकि इसमें हाइड्रो मैकेनिक के लिए कोई नहीं आया. दो फर्म सिविल वर्क के लिए पार्टिसिपेट करने आई, लेकिन इन कार्यों को करने के लिए अनुभव उनके पास नहीं था. साथ ही जिन मापदंड के जरिए डैम में काम होना है, उसके अनुरूप वो सक्षम नहीं पाए गए थे. ऐसे में वो डिसक्वालीफाई हो गए थे, फिर लोकसभा चुनाव की आचार संहिता में तीन माह काम नहीं हो पाया.
60 से 65 साल पुराने हैं डैम : भारत रत्न गौड़ के अनुसार ड्रिप के तहत कोटा बैराज, बूंदी के जवाहर सागर और रावतभाटा के राणा प्रताप सागर करीब 60 से 65 साल पुराने बने हुए हैं. हाइड्रो मैकेनिकल वर्क में पुराने गेट व सलूज गेट बदलने हैं. इस तरह के काम करने वाले संवेदकों को बुलाकर बातचीत भी की गई. उन्हें पूरे काम के संबंध में समझाया भी गया है. इन मीटिंग में संवेदकों की क्वेरीज को भी बताया गया, इसके बावजूद कोई संवेदक नहीं आया है. नए निर्माण कार्यों के लिए तो संवेदक आगे आ जाते हैं, लेकिन इन मेंटेनेंस के काम के लिए काफी दिक्कत आ रही है. संवेदक इसलिए भी सामने नहीं आ रहे हैं, क्योंकि डैम में पानी काफी भरा रहता है और इस दौरान ही गेट और अन्य उपकरणों की मेंटेनेंस होनी है. जयपुर के उच्च अधिकारियों के जरिए केंद्रीय जल आयोग के अधिकारियों से दिशा निर्देश लिए जाएंगे. किस तरह से संवेदकों से यह काम करवाया जाए, इस संबंध में भी जानकारी ले रहे हैं. इसके लिए जयपुर या दिल्ली में संवेदकों के साथ मीटिंग भी करने की योजना है.