नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में स्थित लाल किला न केवल भारतीय इतिहास का एक अहम हिस्सा है, बल्कि यह देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण है. सन 1648 में मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा निर्मित कराया गया यह किला वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है. वर्ष 2007 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई थी. आज यह किला न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का प्रतीक बन चुका है. लाल किले के 385 साल के इतिहास को अत्याधुनिक तरीके से यहां पर दिखाया जाता है. हर साल यहां लाखों पर्यटक आते हैं.
लाल किले के निर्माण को लगे थे दस साल:लाल किले का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां ने 1638 में शुरू करवाया और यह निर्माण 1648 में पूरा हुआ. इस किले का उद्देश्य दिल्ली को मुगल साम्राज्य की राजधानी बनाना था. इसका असली नाम किला-ए-मुबारक था, लेकिन लाल बलुआ पत्थर से निर्मित इसकी दीवारों के कारण इसे लाल किला के नाम से जाना जाता है. 250 एकड़ क्षेत्रफल में फैले इस किले का निर्माण कार्य लगभग 10 साल तक चला. लाल किले की दीवारें 1.5 मील (2.5 किमी) लंबी हैं. पहले लाल किला यमुना नदी के किनारे था, लेकिन अतिक्रमण और निर्माण के कारण यमुना नदी का किनारा लाल किलेसे दूर हो गया. वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण लाल किले में कई महल, मस्जिदें, बाग और दरबार हैं. किले में वर्तमान में तीन प्रमुख दरवाजे हैं, जिनके नाम दिल्ली दरवाजा, लाहौर दरवाजा, खेजरी दरवाजा है. लाल किले में मोती मस्जिद, दीवाने आम और दीवाने खास जैसे भवन आज भी अपनी भव्यता और सुंदरता से पर्यटकों को खूब आकर्षित करते हैं.
85 प्रतिशत इमारतों को अंग्रेजों ने तोड़ दिया:लाल किला केवल एक भव्य संरचना नहीं है बल्कि यह भारतीय इतिहास का भी गवाह है. मुगल काल में यह किला राजनीति और शाही संस्कृति का केंद्र था. यहां सम्राटों का दरबार लगता था और कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक निर्णय लिए जाते थे. इसके बाद ब्रिटिश शासन के दौरान लाल किले को ब्रिटिश सेना के मुख्यालय के रूप में उपयोग किया गया. 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद यह किला अंग्रेजों के कब्जे में चला गया और यहीं पर आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर पर मुकदमा भी चला था. अंग्रेजों ने लाल किले की 80 से 85 प्रतिशत इमारतों को तोड़ दिया. अंग्रेजों ने इमारतों की जगह बैरक बना दी जेल भी बनाई.