उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

हरिद्वार और गढ़वाल सीट पर नए चेहरों की एंट्री, तीरथ और निशंक का कटा टिकट, ये रही वजहें - Lok Sabha Election 2024

Ticket to Anil Baluni and Trivendra Singh Rawat in Lok Sabha elections उत्तराखंड में भाजपा ने बाकी दो लोकसभा सीटों के लिए भी अपने प्रत्याशियों के नाम फाइनल कर लिए हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि भाजपा ने दो लोकसभा सीटों पर अपने सांसदों के टिकट काटते हुए नए चेहरों पर भरोसा जताया है.

PHOTO-ETV BHARAT
तीरथ और निशंक का कटा टिकट

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 13, 2024, 10:25 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने सभी पांच सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम फाइनल कर दिए हैं. तीन लोकसभा सीटों पर पहले ही भारतीय जनता पार्टी ने नाम तय कर दिए थे और इन पर मौजूदा सांसदों को ही एक बार फिर टिकट दिया था. वहीं दूसरी सूची में पार्टी ने दो लोकसभा सीट पर सांसदों के टिकट काटते हुए नए चेहरों को तवज्जो दी है. हरिद्वार लोकसभा सीट पर रमेश पोखरियाल निशंक को टिकट की दौड़ से बाहर करते ही त्रिवेंद्र सिंह रावत को टिकट दिया गया है. जबकि गढ़वाल से तीरथ सिंह रावत पर भरोसा ना जताकर अनिल बलूनी को टिकट दिया गया है.

हरिद्वार लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को टिकट देने का फैसला लिया गया है. दरअसल, इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के ही रमेश पोखरियाल निशंक सांसद हैं. टिकट के एक बड़े दावेदार के रूप में उन्हें फाइनल माना जा रहा था. लेकिन पार्टी ने सभी को चौंकाते हुए रमेश पोखरियाल निशंक का टिकट काट दिया है और उनकी जगह त्रिवेंद्र सिंह रावत को टिकट दिया गया है.

निशंक के खिलाफ जनता के बीच एंटी इनकंबेंसी: जानकार कहते हैं कि रमेश पोखरियाल निशंक के टिकट काटने से पहले पार्टी हाईकमान ने कई पहलुओं पर चिंतन किया था और उसके बाद अंतिम रूप से उन्हें टिकट न दिए जाने का फैसला लिया गया. बताया जा रहा है कि रमेश पोखरियाल निशंक को लेकर एंटी इनकंबेंसी जनता के बीच में काफी ज्यादा थी. इसके अलावा पार्टी के ही कई नेता हरिद्वार सीट पर उन्हें पसंद नहीं कर रहे थे. यानी उनके नाम को लेकर गुटबाजी भी बेहद ज्यादा थी. ऐसे में उन्हें टिकट देना रिस्की था. रमेश पोखरियाल निशंक के टिकट कटने के पीछे एक वजह उनके स्वास्थ्य को भी बताया जा रहा है. पिछले साल उनका स्वास्थ्य अचानक खराब हो गया था. हालांकि अब वह स्वस्थ हैं. लिहाजा, ये वजह कितनी तर्कसंगत है, ये कहा नहीं जा सकता है.

टिकट कटने का ये रहे कारण: रमेश पोखरियाल निशंक मोदी सरकार में केंद्रीय शिक्षा मंत्री भी रहे हैं. बताया जा रहा है कि इस दौरान भाजपा की एक बड़ी लॉबी भी उनसे नाराज थी. इस दौरान उन्हें शिक्षा मंत्री के पद से आधे कार्यकाल में ही हटाए जाने के पीछे भी कई तरह की चर्चाएं सामने आई थी. लिहाजा, इन सभी वजहों के कारण पार्टी हाईकमान द्वारा उन्हें तवज्जो नहीं दिए जाने की बात कही जा रही है. उधर दूसरी तरफ रमेश पोखरियाल निशंक क्षेत्र में अपनी सांसद निधि खर्च करने में भी उदासीन दिखाई दिए और जो आंकड़ा सामने आया उसमें उनके द्वारा सांसद निधि का पैसा खर्च नहीं होना पाया गया.

इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा कहते हैं कि रमेश पोखरियाल निशंक को लेकर क्षेत्र में नाराजगी भी दिखाई देती है. जिस दौरान उन्हें केंद्रीय शिक्षा मंत्री के पद से हटा दिया गया, उस समय यह तय हो गया था कि वह मोदी और अमित शाह की गुड लिस्ट में शामिल नहीं हैं. लिहाजा, उनका टिकट कटना करीब-करीब तय ही माना जा रहा था.

निशंक को मिल सकती है ये नई जिम्मेदारी: रमेश पोखरियाल निशंक को लेकर सामान्य रूप से एक चर्चा और भी सामने आ रही है. माना जा रहा है कि महेंद्र भट्ट के राज्यसभा के लिए चुने जाने के बाद अब निशंक को संगठन के अध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी दी जा सकती है. रमेश पोखरियाल निशंक का प्रबंध काफी मजबूत माना जाता है और ऐसे में संगठन की कमान उन्हें दिए जाने पर भी विचार हो सकता है.

तीरथ आउट बलूनी इन:दूसरी सीट गढ़वाल लोकसभा है जहां पर मौजूदा सांसद तीरथ सिंह रावत का टिकट काटकर अनिल बलूनी को दिया गया है. अनिल बलूनी, राष्ट्रीय भाजपा के मीडिया प्रभारी हैं. यही नहीं, उन्होंने उत्तराखंड में राज्यसभा सांसद के रूप में भी काम किया है. अनिल बलूनी, पार्टी हाईकमान में काफी पकड़ रखते हैं और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह तक भी सीधी पहुंच रखते हैं. लिहाजा, इसी वजह से उन्हें गढ़वाल लोकसभा सीट में एंट्री दी गई है.

संसदीय क्षेत्र में नहीं दिखे एक्टिव: हालांकि, इसके पीछे दूसरी वजह तीरथ सिंह रावत के खिलाफ गढ़वाल लोकसभा सीट में एंटी इनकंबेंसी का होना भी माना जा रहा है. बताया जा रहा है कि तीरथ सिंह रावत को लेकर लोगों में बहुत ज्यादा उत्सुकता नहीं थी. सर्वे के दौरान भी इस तरह की कुछ बातें सामने आई थी. तीरथ सिंह रावत एक सरल स्वभाव के राजनेता तो हैं, लेकिन वह आक्रामकता के साथ अपनी लोकसभा सीट को लेकर विभिन्न योजनाओं को लाने में कुछ खास कामयाब नहीं हुए थे. इतना ही नहीं, सांसद निधि खर्च करने में भी वह कुछ खास तेजी नहीं दिखा पाए थे.

विवादित बयानों से चर्चाओं में रहे: तीरथ सिंह रावत के बयान भी हमेशा उन्हें चर्चाओं में लाते रहे हैं. माना जा रहा है कि उनके विवादित बयानों के कारण भी उनको टिकट तक पहुंचाने के रास्ते में खासी अड़चन आई है. इस मामले में भी वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा कहते हैं कि एक तरफ जहां अनिल बलूनी का केंद्रीय हाईकमान के करीब होना तीरथ सिंह रावत के लिए मुश्किल बना तो वहीं तीरथ सिंह रावत के विवादित बयान ने उन्हें इस रस से बाहर कर दिया.

ये भी पढ़ेंःउत्तराखंड में लोकसभा के रण के लिए तैयार बीजेपी के योद्धा, ये रही वॉरियर्स की लिस्ट

ये भी पढ़ेंःबीजेपी ने गढ़वाल से अनिल बलूनी, हरिद्वार से त्रिवेंद्र को दिया टिकट, नाम किये घोषित

ये भी पढ़ेंःउतार चढ़ाव भरी रही त्रिवेंद्र की सियासी पारी, प्रचारक से तय किया सीएम तक का सफर, अब सांसदी की तैयारी

ABOUT THE AUTHOR

...view details