देहरादून:उत्तराखंड में निवेशकों को लुभाने के लिए सरकार अपनी नीतियों में शिथिलता लाने के अलावा इन्वेस्टर्स के लिए बेहतर माहौल तैयार करने की बात कहती रही है. लेकिन उत्तराखंड के वन क्षेत्र की तरफ फिलहाल निवेशकों का रुझान कुछ खास नहीं दिखाई दे रहा है. यह स्थिति तब है जब हाल ही में प्रदेश में इन्वेस्टर समिट के दौरान 2000 करोड़ से ज्यादा के अनुबंध अकेले वन विभाग ने तमाम इन्वेस्टर्स के साथ किए थे. उत्तराखंड में इन्वेस्टर समिट के बाद वन विभाग के प्रयास कहां तक पहुंचे हैं और कितने MOU पर ग्राउंडिंग हुई है, हम आपको बताते हैं.
उत्तराखंड में इंटरनेशनल इन्वेस्टर समिट के दौरान कई बड़ी कंपनियां आईं और सैकड़ों MOU साइन भी किये गए. आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में विभागवार अनुबंध से जुड़े दिए गए आंकड़ों पर नजर डालें तो उत्तराखंड वन विभाग ने भी इस दौरान 11 अनुबंध किए. यह अनुबंध कुल 2029 करोड़ के हुए थे. इस आंकड़े ने उत्तराखंड में हुए एमओयू के कुल आंकड़े में अच्छी खासी बढ़ोतरी की.
दरअसल, प्रदेश में इन्वेस्टर समिट के दौरान कुल तीन लाख 56 हजार 889 करोड़ के अनुबंध साइन किए गए. इसमें फरवरी महीने तक करीब 60 हजार करोड़ के निवेश की ग्राउंडिंग का दावा किया गया है. उधर सरकार भी अब तक किए गए अनुबंध की ज्यादा से ज्यादा ग्राउंडिंग करने का निर्देश देती रही है, लेकिन सवाल उत्तराखंड वन विभाग के लिए गए अनुबंध पर उठ रहे हैं.
उत्तराखंड वन विभाग ने भी इन्वेस्टर्स समिट के दौरान ही कई निवेशकों को रिझाने की कोशिश की और वानिकी के क्षेत्र में इन निवेशकों के साथ करार किए गए. इस दौरान कार्बन फाइनेंसिंग के क्षेत्र में करार किया गया. इसमें वन विभाग के साथ मिलकर करार करने वाली निजी कंपनी को वानिकी (forestry) के क्षेत्र में काम करना था, लेकिन अब तक इस मामले में वन विभाग कुछ खास कदम नहीं बढ़ा पाया है. हालांकि निवेशकों के साथ कुछ दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन इस पर अभी बात केवल कागजी कार्रवाई तक ही सीमित है. यानी धरातल पर अभी इसको लेकर स्थितियां दूर-दूर तक सकारात्मक नहीं दिखाई दे रही हैं.