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भोले बाबा का भूल भुलैया वाला मंदिर, महाशिवरात्रि के खास प्रसाद के लिए क्यों उमड़ती है भीड़? - RATLAM VIRUPAKSHA MAHADEV TEMPLE

रतलाम से 20 किलोमीटर दूर बिलपांक गांव में भगवान विरुपाक्ष महादेव का प्राचीन मंदिर स्थित है. महाशिवरात्रि के प्रसाद के लिए उमड़ते हैं श्रद्धालु.

RATLAM VIRUPAKSHA MAHADEV TEMPLE
भगवान विरुपाक्ष महादेव का प्राचीन मंदिर (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 25, 2025, 9:46 PM IST

रतलाम:महाशिवरात्रि के महापर्व पर देशभर के शिवमदिरों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. इस खास मौके पर बाबा भोलेनाथ के भूल भुलैया वाले मंदिर के दर्शन करिए. यह मंदिर रतलाम के बिलपांक गांव में स्थित है. यहां भगवान शिव विरुपाक्ष महादेव के नाम से विराजित हैं. 64 खंभों की जमावट वाली ऐसी वास्तुकला से इस मंदिर का निर्माण हुआ है कि गिनती करने वाला गिनती भूल जाता है.

परमार कालीन इस मंदिर को भूल भुलैया वाला मंदिर भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर होने वाले यज्ञ की पूर्णाहुति पर मिलने वाली खीर प्रसादी को ग्रहण करने से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति हो जाती है. भगवान विरुपाक्ष महादेव के इस खास आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए श्रद्धालु यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.

मंदिर में 64 खंभों की जमावट वाली वास्तुकला का अद्भुत नमूना (ETV Bharat)

वास्तुशिल्प का अद्भुत नमूना

रतलाम से करीब 20 किलोमीटर दूर बिलपांक गांव में भगवान विरुपाक्ष महादेव का यह प्राचीन मंदिर स्थित है.मंदिर के पुजारी दुर्गाशंकर ओझा बताते हैं कि "इतिहासकारों के अनुसार यह परमार कालीन मंदिर है. जिसे करीब 1000 वर्ष पहले गुजरात के राजा सिद्धराज जय सिंह ने जीर्णोद्धार करवाया था. यहां परमार काल और मौर्य काल के दौरान की वास्तुशिल्प भी मौजूद है. जिससे इस मंदिर के अति प्राचीन होने की संभावना है. यहां मौजूद खंभों की सही गिनती संभव नहीं है. इस प्राचीन और चमत्कारिक मंदिर में मनोकामना पूर्ण होने पर लोग मन्नत पूर्ण करने आते हैं. खासकर संतान प्राप्ति का आशीर्वाद लेने दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं."

रतलाम के बिलपांक गांव में भगवान विरुपाक्ष महादेव का प्राचीन मंदिर (ETV Bharat)

खंभों की ऐसी भूल भुलैया जिसे गिनना नामुमकिन

बिलपांक गांव स्थित भगवान विरुपाक्ष के इस मंदिर की प्रसिद्धि यहां स्थित खंभों की भूल भुलैया की वजह से भी है. वैसे तो इस मंदिर में 64 खंभे हैं. लेकिन इन्हें जब गिना जाता है तो कभी यह गिनती कम हो जाती है तो कभी ज्यादा. यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु भी मंदिर में पहुंच कर खंभों की गिनती करने का प्रयास जरूर करते हैं लेकिन उन्हें असफलता ही हाथ लगती है. ग्रामीणों की माने तो कई लोगों ने मिलकर इसकी गणना करने का प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिल सकी. खंभों की इस अनोखी भूल भुलैया में अच्छे से अच्छे गणितज्ञ का दिमाग भी चकरा जाता है.

महाशिवरात्रि पर बंटने वाली खीर प्रसाद के लिए उमड़ती है भीड़ (ETV Bharat)

खीर की प्रसादी से संतान प्राप्ति की मान्यता

यहां स्थित महादेव मंदिर पर प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के मौके पर एक विशेष यज्ञ का आयोजन किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि यज्ञ की पूर्णाहुति होने पर प्रसादी के रूप में वितरित की जाने वाली खीर का सेवन करने पर संतान प्राप्ति होती है. संतान प्राप्ति होने पर अगले वर्ष लोग अपनी मन्नत पूरी करने यहां पहुंचते हैं और मन्नत अनुसार बच्चों को मिठाई, फल और अन्य सामग्री से तौलते हैं. राजस्थान के डग से मनोकामना पूर्ण होने पर पहुंचे सोनी परिवार की मंजू ने बताया कि "पिछले वर्ष यहां से खीर की प्रसादी प्राप्त की थी. भगवान शिव ने हमारे परिवार की झोली खुशियों से भर दी है. ऐसे एक नहीं कई परिवार यहां पहुंच कर भगवान विरुपाक्ष महादेव के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हैं."

कैसे पहुंचे विरुपाक्ष महादेव मंदिर

भगवान विरुपाक्ष महादेव का यह धाम रतलाम के बिलपांक गांव में स्थित है. महू नीमच फोरलेन रोड पर धराड़ टोल नाके के पास बिलपांक गांव सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है. रतलाम रेलवे स्टेशन से भी यहां की दूरी करीब 20 किलोमीटर है. महाशिवरात्रि के मौके पर एक बार फिर श्रद्धालुओं की भीड़ यहां उमड़ रही है. खासकर यज्ञ की पूर्णाहुति पर मिलने वाली खीर की प्रसादी प्राप्त करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं.

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