रतलाम।उद्यानिकी और सब्जी उत्पादन में अग्रणी रतलाम जिले में अब मिर्ची के बाद ग्वार, गिलकी, खीरा ककड़ी और भिंडी जैसी मौसमी हरी सब्जियों के भी दाम किसान को नहीं मिल पा रहे हैं. एक तरफ रिटेल बाजार में इन सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ किसान सही कीमत नहीं मिलने पर इन्हें फेंकने पर मजबूर हैं. किसानों को इन फसलों का दाम ₹8 प्रति किलो से लेकर ₹12 प्रतिकिलो तक ही मिल पा रहा है. जिससे किसानों का ट्रांसपोर्टेशन खर्च और फसल की लागत भी नहीं निकल पा रही है. सब्जियों की किसानों को मिल रही कीमत और रिटेल बाजार की कीमत में इतने बड़े अंतर की क्या है वजह इस पर ईटीवी भारत की टीम ने रिटेल और थोक मंडी में जाकर पड़ताल की है.
थोक मंडी में कम दामों पर बिक रही सब्जियां
दरअसल किसानों को उनकी सब्जियों के दाम नहीं मिलने का मामला तब सुर्खियों में आया जब रतलाम से मिर्ची उत्पादक किसान ने अपनी फसल उचित दाम नहीं मिलने पर सड़क पर फेंक दी थी. जिसके बाद अब ग्वार, गिलकी, भिंडी और खीरा ककड़ी जैसी मौसमी सब्जियां भी थोक मंडी में कम दामों पर बिक रही हैं. इन सब्जियों के दाम किसानों को ₹7 प्रति किलो रुपए से ₹12 प्रतिकिलो तक ही मिल रहे हैं. जबकि रिटेल में सब्जियों के दाम ₹40 प्रतिकिलो से ₹80 प्रतिकिलो तक है. थोक मंडी और रिटेल में सब्जियों के दामों में लगभग चार गुना का अंतर हैं. जिससे सब्जी उत्पादक किसान नाराज हैं.
भाड़ा निकालना हो रहा मुश्किल
रतलाम के तितरी, मथुरी, रूपाखेड़ा, मुंदड़ी, करमदी, सरवड़, बिरमावल और झाबुआ जिले के पेटलावद, सारंगी क्षेत्र में हरी सब्जियों एवं मिर्ची की बड़ी मात्रा में खेती की जाती है. रतलाम की सब्जी मंडी में गुजरात और राजस्थान से भी किसान अपनी फसल लेकर पहुंचते हैं. लेकिन इन दिनों सब्जियों के दामों में भारी उतार चढ़ाव के चलते कई बार किसानों को मंडी तक फसल लाने का भाड़ा भी नहीं निकल पाता है.
रिटेल दुकानों पर महंगी बिक रही सब्जियां