रतलाम। 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस के मौके पर रतलाम के समाजसेवी और स्वास्थ्य के क्षेत्र में निरंतर सेवा दे रहे गोविंद काकानी ने 101 वीं बार रक्तदान किया है. आमतौर पर लोगों में यह भ्रांति होती है कि रक्तदान किया तो शरीर में कमजोरी आ जाएगी, लेकिन 101 बार रक्तदान कर चुके गोविंद काकानी इस भ्रांति को गलत साबित कर रहे है. वह 67 वर्ष की आयु में हर तरह से स्वस्थ होकर लगातार रक्तदान के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं.
1980 में किया था पहली बार रक्तदान
गोविंद काकानी मानव सेवा समिति से जुड़े हुए हैं और ब्लड डोनेशन से लेकर हर प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए सेवा देते हैं. गोविंद काकानी ने 1980 में पुणे में पहली बार रक्तदान किया था. जिसके बाद वह इस मिशन से जुड़ गए और नियमित अंतराल पर अपना रक्तदान करते आए हैं. यही नहीं गोविंद काकानी मानव सेवा समिति के माध्यम से लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित भी करते हैं और 24 घंटे रक्त की आवश्यकता पड़ने पर मरीजों के लिए रक्त उपलब्ध कराने का पुनीत कार्य भी कार्य करते हैं.
गोविंद काकानी ने बताए रक्तदान के फायदे
गोविंद काकानी रक्तदान के मामले में 44 वर्षों के अपने अनुभव के आधार पर बताते हैं कि ''रक्तदान का सबसे बड़ा फायदा यह है कि हर तीन चार महीने में आपके रक्त की निशुल्क जांच हो जाती है. जिससे आपको यह जानकारी मिल जाती है कि आपको हेपेटाइटिस, एचआईवी, मलेरिया या कोई अन्य संक्रामक बीमारी है कि नहीं. नियमित रूप से रक्तदान करने से शरीर में नए रक्त का निर्माण होता है, जिससे स्फूर्ति और ऊर्जा बनी रहती है. डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हार्ट संबंधित समस्या होने की संभावना बिल्कुल नहीं होती है. नियमित रूप से रक्तदान करने पर जरूरतमंदों के लिए खासकर थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों के लिए ब्लड बैंकों में रक्त की कमी नहीं पड़ती है. इसके साथ ही हजारों लोगों की दुआएं मिलती हैं, जिससे रक्तदान करने वाले व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बनी रहती है.''