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DNA जांच में दुष्कर्म साबित नहीं, हाईकोर्ट ने सजा को किया निलंबित - Rajasthan High Court

Rajasthan High Court, राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे युवक की सजा को निलंबित कर दिया. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश दिया.

Rajasthan High Court
हाईकोर्ट ने सजा को किया निलंबित (ETV BHARAT JAIPUR)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 25, 2024, 8:53 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे युवक की सजा को निलंबित कर दिया है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश आरोपी जितेन्द्र की अपील में पेश द्वितीय सजा स्थगन प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि मामले में डीएनए रिपोर्ट को ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश नहीं किया गया है.

इस रिपोर्ट के अनुसार अपीलार्थी का डीएनए पीडिता के डीएनए प्रोफाइल से मेल नहीं खा रहा है. ऐसे में अपीलार्थी की सजा को निलंबित करना उचित होगा. अपील में अधिवक्ता शालिनी श्योराण ने अदालत को बताया कि अलवर की पॉक्सो कोर्ट ने 15 जून, 2022 को मामले में अपीलार्थी और दो अन्य को नाबालिग का अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म का दोषी मानकर सजा सुनाई थी. जबकि डॉक्टर की रिपोर्ट के अनुसार पीडिता के कोई चोट नहीं आई थी.

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वहीं, मामले में अभियोजन पक्ष ने ट्रायल कोर्ट में डीएनए रिपोर्ट भी पेश नहीं की थी. इस रिपोर्ट में अपीलार्थी का डीएनए पीडिता के डीएनए से मेल नहीं आ रहा है. ऐसे में उसकी सजा को निलंबित किया जाए, जिसका विरोध करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि निचली अदालत ने अभियुक्त को विधि सम्मत साक्ष्यों के आधार पर सजा सुनाई थी. ऐसे में उसकी सजा को निलंबित नहीं किया जाए. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अपीलार्थी की सजा को निलंबित कर दिया है.

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