जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे युवक की सजा को निलंबित कर दिया है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश आरोपी जितेन्द्र की अपील में पेश द्वितीय सजा स्थगन प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि मामले में डीएनए रिपोर्ट को ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश नहीं किया गया है.
इस रिपोर्ट के अनुसार अपीलार्थी का डीएनए पीडिता के डीएनए प्रोफाइल से मेल नहीं खा रहा है. ऐसे में अपीलार्थी की सजा को निलंबित करना उचित होगा. अपील में अधिवक्ता शालिनी श्योराण ने अदालत को बताया कि अलवर की पॉक्सो कोर्ट ने 15 जून, 2022 को मामले में अपीलार्थी और दो अन्य को नाबालिग का अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म का दोषी मानकर सजा सुनाई थी. जबकि डॉक्टर की रिपोर्ट के अनुसार पीडिता के कोई चोट नहीं आई थी.