भरतपुर: सवाई माधोपुर के रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बाघों से अब आसपास के ग्रामीण, बच्चों और युवाओं को रूबरू कराया जाएगा. ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों और युवाओं में बाघों के प्रति लगाव बढ़ाने के लिए उन्हें हर सप्ताह टाइगर रिजर्व की सैर कराई जाएगी. इससे युवा और बच्चे बाघों के प्रति संवेदनशील बनेंगे. इसके साथ ही टाइगर रिजर्व में युवाओं को वोलेंटियर के रूप में जोड़कर यहां के सूचना तंत्र को और मजबूत किया जाएगा.
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक व बीते माह रणथंभौर टाइगर रिजर्व (आरटीआर) के कार्यवाहक डीएफओ रहे मानस सिंह ने बताया कि आरटीआर में भरपूर पानी, भोजन और सुरक्षित वातावरण के चलते बाघों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है. टाइगर रिजर्व के आसपास के गांवों के लोगों का टाइगर रिजर्व और बाघों से जुड़ाव काफी कम रहा. वो शायद ही कभी टाइगर रिजर्व में अंदर जा पाते थे. ऐसे में अब प्रयास है कि हर सप्ताह आसपास के गांवों के 20 परिवारों के बच्चों को टाइगर रिजर्व घुमाने के लिए ले जाया जाए. इससे आसपास के ग्रामीणों, युवाओं और बच्चों का टाइगर रिजर्व व बाघों से जुड़ाव बढ़ेगा.
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उसके अलावा अब टाइगर्स का कई ऐसे स्थानों पर मूवमेंट बढ़ गया है, जहां वो पहले कभी नहीं देखे जाते थे. इसके पीछे का कारण इनकी बढ़ती हुई संख्या है. ऐसे में आसपास के गांवों के युवाओं को वोलेंटियर के रूप में टाइगर रिजर्व से जोड़ा जा रहा है. इससे टाइगर रिजर्व का सूचना तंत्र मजबूत होगा और बाघों पर आसानी से नजर रखी जा सकेगी.
फैक्ट फाइल :
- 1334 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है रणथंभौर टाइगर रिजर्व.
- 1 नवंबर 1980 में मिला था राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा.
- 20 टाइगर यहां से अब तक प्रदेश के तीन टाइगर रिजर्व में किए जा चुके हैं शिफ्ट.
गौरतलब है कि रणथंभौर टाइगर रिजर्व में लगातार बाघों की संख्या बढ़ रही है. फिलहाल, रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या करीब 73 पहुंच गई है. जबकि यहां के करीब 10 बाघ धौलपुर-करौली रिजर्व क्षेत्र में टेरिटरी बनाकर रह रहे हैं. ऐसे में अब वन विभाग अपने सूचना तंत्र को मजबूत करने और लोगों में बाघों के प्रति जुड़ाव बढ़ाने में जुटा है.