रांचीः जिला पुलिस को बिहार और ओडिशा के ड्रग्स माफिया की तलाश है. गांजा और ब्राउन शुगर इन्हीं दो राज्यों से राजधानी रांची में पहुंच रहा है जो युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है. नशे के खिलाफ नो टॉलरेंस की नीति अपना कर चलने वाले रांची एसएसपी ड्रग्स पैडलर्स की सप्लाई चेन को तोड़ने के लिए विशेष योजना पर काम कर रहे हैं.
नशे की तस्करों पर ब्रेक लगाना
रांची पुलिस ने पिछले साल रिकॉर्ड 210 नशे के तस्करों को गिरफ्तार करके जेल भेजा था. लेकिन पुलिस यह जानती है कि जब तक ड्रग्स माफिया के बड़े खिलाड़ी पकड़ में नहीं आएंगे तब तक यह समस्या हल होने वाली नहीं है. रांची के सीनियर एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि राजधानी रांची में मुख्यतः ओडिशा से गांजा और बिहार से ब्राउन शुगर की तस्करी हो रही है. रांची पुलिस मादक पदार्थों के बड़े खिलाड़ियों को ढूंढ रही है इसके लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स भी बनाया गया है, जो अपने तरीके से काम कर रही है.
ओडिशा से गांजा की अवाक, रूट बना झारखंड
झारखंड की राजधानी रांची सहित कई शहरों में ओडिशा और बिहार से मादक पदार्थों की तस्करी की जा रही है. ओडिशा-बिहार में बैठे ड्रग्स माफिया अलग-अलग ट्रांसपोर्टिंग के तरीकों से मादक पदार्थ झारखंड ला रहे हैं. पिछले कुछ सालों में ओडिशा गांजा का एक बड़ा बाजार बन गया है. जिस तरह झारखंड में अफीम उगाई जाती है उसी तरह ओडिशा में गांजा की खेती की जा रही है.
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि ओडिशा में गांजा का कारोबार करोड़ों का है. पड़ोसी राज्य होने की वजह से झारखंड इससे बेहद प्रभावित हो रहा है. साल 2024 में केवल रांची पुलिस के द्वारा 1024 का गांजा पकड़ा गया, वहीं रेल पुलिस के द्वारा 890 किलो गांजा पकड़ा गया. ओडिशा से गांजा की झारखंड में सप्लाई तो होती ही है साथ ही झारखंड ओडिशा के लिए सबसे बड़ा तस्करी रुट भी है.
ओडिशा में उगाये गये गांजा की खेप छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड से लेकर दिल्ली तक जाता है. जितनी ज्यादा दूरी होती है गांजा की कीमत उतनी बढ़ जाती है. क्योंकि ओडिशा झारखंड का पड़ोसी राज्य है ऐसे में नशे के तस्कर राजधानी रांची के रूट को तस्करी के लिए भी प्रयोग करते हैं. खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश में गांजा की सप्लाई के लिए रांची की सड़कों का ही प्रयोग होता है.
ब्राउन शुगर जैसे ड्रग्स बिहार से आ रहे
राजधानी रांची में ऐसे तो कई मादक पदार्थ बिहार से मंगाए जा रहे हैं लेकिन ब्राउन शुगर सबसे ज्यादा बिहार से ही आता है. खासकर बिहार का सासाराम ब्राउन शुगर का हब बनता जा रहा है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारियों के अनुसार ऐसा नहीं है कि बिहार के सासाराम में ब्राउन शुगर बनाया जा रहा है दरअसल पंजाब और दिल्ली जैसे शहरों से ब्राउन शुगर लाकर सासाराम में डंप किया जाता है. सासाराम शहर रेल रूट पर है इसलिए तस्करी के लिए इसका प्रयोग किया जा रहा है. अधिकारियों के अनुसार सासाराम में सबसे ज्यादा महिला तस्कर हैं जो ये कारोबार कर रही हैं.
पुड़िया बन कर आता है ब्राउन शुगर
बड़े-बड़े ड्रग्स माफिया के छोटे छोटे एजेंट सासाराम जैसे शहरों को अपना ठिकाना बना चुके हैं. इन जगहों से झारखंड के रांची, जमशेदपुर, धनबाद और बोकारो जैसे शहरों के ड्रग्स पैडलर पुड़िया में ब्राउन शुगर ले जाते हैं और फिर उचित मुनाफा पर अपने शहर में बेचते हैं.
तस्करी में महिलाएं भी शामिल
पुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए नशे के कारोबारी महिलाओं का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. महिलाएं अपने कपड़ों में छुपाकर गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर और नशीली टेबलेट को अपने ग्राहकों तक पहुंचाती हैं. ड्रग्स के खरीदार ड्रग्स बेचने वाली महिलाओं का एक स्थान निश्चित होता है जहां वे पहले से खड़ी रहती हैं और खरीदार उन तक पहुंच कर आसानी से ड्रग्स खरीद कर अपने साथ ले जाते हैं.
पुलिस महिलाओं पर संदेह नहीं करती है यही वजह है कि नशे के तस्कर पैसों का लालच देकर महिलाओं को भी इस धंधे में शामिल कर चुके हैं. अब तो नशे के तस्कर ओडिशा से रांची या फिर सासाराम से मादक पदार्थो के ट्रांसपोर्टेशन के लिए भी महिलाओं का प्रयोग कर रहे हैं. झारखंड एटीएस की टीम ने साल 2025 में पतरातू में ट्रेन में छापेमारी कर चार महिलाओं को गांजा की तस्करी करते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था.