रांची:पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े जमीन घोटाला मामले में रांची के एसएआर (शेड्यूल एरिया रेगुलेशन) कोर्ट की भूमिका संदिग्ध पायी गयी है. ईडी ने हेमंत सोरेन समेत पांच आरोपियों के खिलाफ दायर चार्जशीट में दावा किया है कि एसएआर के समक्ष दायर केस संख्या 81/2023-24 की सुनवाई जल्दबाजी में की गयी और कई साक्ष्यों को नष्ट करने का भी प्रयास किया गया.
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरन से जुड़े बरियातू की 8.86 एकड़ जमीन की जमाबंदी रद्द करने में कई अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है. ईडी ने कोर्ट को बताया है कि अधिकारियों ने सबूत मिटाने की भी कोशिश की. ईडी ने चार्जशीट में बताया है कि जब दिल्ली में सीएम के आवास पर तलाशी चल रही थी, तभी एसएआर कोर्ट ने जल्दबाजी में सुनवाई पूरी की और आदेश जारी कर पहले की जमाबंदी को रद्द कर दिया.
ईडी ने चार्जशीट में कहा है कि पूरी कार्रवाई एसएआर अधिकारी ने 9 जनवरी से 29 जनवरी के बीच की थी. एसएआर अधिकारी की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए कहा गया है कि 16 जनवरी को संबंधित पक्षों को तीन नोटिस भेजे गए थे. उन्हें 19, 24 और 29 जनवरी को उपस्थित होने को कहा गया है. उसी दिन जमाबंदी भी रद्द कर दी गयी और सह अभियुक्त राजकुमार पाहन के पक्ष में जमाबंदी दे दी गयी.
एसएआर को 103 शिकायतें मिलीं, सुनवाई सिर्फ चार मामलों में
ईडी ने कोर्ट को बताया है कि एसएआर कोर्ट ने जल्दबाजी में सुनवाई की, इसका प्रमाण यह है कि साल 2023-24 में एसएआर कोर्ट में कुल 103 शिकायतें आईं. केस नंबर 81 से पहले भी 80 शिकायतें मिल चुकी थीं, लेकिन इसके बावजूद सबसे पहले हेमंत सोरेन से जुड़े जमीन मामले की सुनवाई हुई. इस दौरान एसएआर कोर्ट ने केस नंबर 81 समेत सिर्फ चार मामलों में ही आदेश दिया है, जबकि बाकी सभी मामले अभी भी लंबित हैं.
ईडी ने कोर्ट को यह भी बताया है कि एसएआर ने राजकुमार पाहन से यह पक्ष भी नहीं लिया कि इतने साल बाद जमाबंदी रद्द करने का आवेदन क्यों दिया गया, जबकि ईडी ने मामले की जांच शुरू कर दी थी.
राजकुमार को छोड़ किसी अन्य शिकायतकर्ता को नहीं बुलाया