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हेमंत सोरेन से जुड़े जमीन घोटाला मामले में डीसी और एसएआर अफसर की भूमिका संदिग्ध, कई सबूतों को नष्ट करने का किया गया प्रयास - ED chargesheet against Hemant Soren

ED raised questions on SAR court. हेमंत सोरेन से जुड़े जमीन घोटाला मामले में ईडी ने अपनी चार्जशीट में डीसी और एसएआर अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. दोनों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है.

ED raised questions on SAR court
ED raised questions on SAR court

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 6, 2024, 6:49 AM IST

रांची:पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े जमीन घोटाला मामले में रांची के एसएआर (शेड्यूल एरिया रेगुलेशन) कोर्ट की भूमिका संदिग्ध पायी गयी है. ईडी ने हेमंत सोरेन समेत पांच आरोपियों के खिलाफ दायर चार्जशीट में दावा किया है कि एसएआर के समक्ष दायर केस संख्या 81/2023-24 की सुनवाई जल्दबाजी में की गयी और कई साक्ष्यों को नष्ट करने का भी प्रयास किया गया.

पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरन से जुड़े बरियातू की 8.86 एकड़ जमीन की जमाबंदी रद्द करने में कई अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है. ईडी ने कोर्ट को बताया है कि अधिकारियों ने सबूत मिटाने की भी कोशिश की. ईडी ने चार्जशीट में बताया है कि जब दिल्ली में सीएम के आवास पर तलाशी चल रही थी, तभी एसएआर कोर्ट ने जल्दबाजी में सुनवाई पूरी की और आदेश जारी कर पहले की जमाबंदी को रद्द कर दिया.

ईडी ने चार्जशीट में कहा है कि पूरी कार्रवाई एसएआर अधिकारी ने 9 जनवरी से 29 जनवरी के बीच की थी. एसएआर अधिकारी की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए कहा गया है कि 16 जनवरी को संबंधित पक्षों को तीन नोटिस भेजे गए थे. उन्हें 19, 24 और 29 जनवरी को उपस्थित होने को कहा गया है. उसी दिन जमाबंदी भी रद्द कर दी गयी और सह अभियुक्त राजकुमार पाहन के पक्ष में जमाबंदी दे दी गयी.

एसएआर को 103 शिकायतें मिलीं, सुनवाई सिर्फ चार मामलों में

ईडी ने कोर्ट को बताया है कि एसएआर कोर्ट ने जल्दबाजी में सुनवाई की, इसका प्रमाण यह है कि साल 2023-24 में एसएआर कोर्ट में कुल 103 शिकायतें आईं. केस नंबर 81 से पहले भी 80 शिकायतें मिल चुकी थीं, लेकिन इसके बावजूद सबसे पहले हेमंत सोरेन से जुड़े जमीन मामले की सुनवाई हुई. इस दौरान एसएआर कोर्ट ने केस नंबर 81 समेत सिर्फ चार मामलों में ही आदेश दिया है, जबकि बाकी सभी मामले अभी भी लंबित हैं.

ईडी ने कोर्ट को यह भी बताया है कि एसएआर ने राजकुमार पाहन से यह पक्ष भी नहीं लिया कि इतने साल बाद जमाबंदी रद्द करने का आवेदन क्यों दिया गया, जबकि ईडी ने मामले की जांच शुरू कर दी थी.

राजकुमार को छोड़ किसी अन्य शिकायतकर्ता को नहीं बुलाया

ईडी ने कोर्ट को बताया है कि राजकुमार पाहन ने हेमंत सोरेन को पहले समन के बाद 16 अगस्त 2023 को एसएआर कोर्ट में जमाबंदी रद्द करने का आवेदन दिया था. इस आवेदन पर राजकुमार पाहन के अलावा एक दर्जन से अधिक लोगों के हस्ताक्षर थे. एसएआर अधिकारी ने सुनवाई के दौरान राजकुमार के अलावा किसी का बयान दर्ज नहीं किया, जबकि उन्हीं शिकायतकर्ताओं ने बाद में ईडी को बताया कि उन्हें आवेदन की कंटेंट के बारे में जानकारी नहीं थी. जबकि सारा काम राजकुमार ने ही किया था.

इतना ही नहीं, राजकुमार पाहन ने अपने आवेदन में खेवट नंबर 10/1 और 10/2 की जमाबंदी को रद्द करने का आवेदन दिया था. लेकिन बिना सत्यापन के एसएआर कोर्ट ने इन दोनों जमीनों के अलावा खेवट की जमाबंदी 10/5, 10/11 को भी रद्द कर दिया. क्योंकि यह भी 8.86 एकड़ का ही हिस्सा था.

डीसी व अन्य अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल

ईडी ने एसएआर अधिकारी के अलावा रांची डीसी की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं. ईडी ने लिखा है कि एसएआर से जब मामले में उनका पक्ष पूछा गया तो उन्होंने लिखा है कि डीसी को किसी भी जमीन की जमाबंदी रद्द करने का अधिकार है, इसके लिए किसी आवेदन की जरूरत नहीं है.

ईडी ने लिखा है कि इन परिस्थितियों में भी रांची डीसी और एसएआर ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई, क्योंकि खेवट 10 में कुल 39.4 एकड़ भूरी जमीन थी. अगर खेवट 10 की पूरी जमीन की जमाबंदी रद्द की जाती तो 39.4 एकड़ की जमाबंदी रद्द होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं कर आरोपी हेमंत सोरेन से जुड़ी 8.86 एकड़ जमीन की जमाबंदी रद्द की गयी.

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