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प्राण प्रतिष्ठा कहानी: काशी ने हर बार दिए 'रामकाज' के मुहूर्त, साल 1889 से लेकर 2024 तक बताया समय

काशी और अयोध्या का गहरा नाता है. दोनों ही देवों भगवान शिव और भगवान राम का एक-दूसरे के प्रति बहुत प्रेम है. यही नाता श्री रामजन्मभूमि में भूमि पूजन (Bhoomi Pujan on Shri Ram Janmabhoomi) और राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlalla Pran Pratistha) के लिए मुहूर्त निकालने में भी रहा. काशी के विद्वानों ने ही दोनों बार मुहूर्त निकाला था.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 28, 2024, 8:34 PM IST

काशी ने हर बार दिए रामकाज के मुहूर्त

अयोध्या:रामनगरीभगवान शिव के आराध्य भगवान राम की जन्मभूमि है. इन दोनों ही देवों का एक-दूसरे से गहरा लगाव और नाता है. ऐसे ही इन दोनों नगरों का भी एक-दूसरे से गहरा नाता रहा है. यही नाता श्री रामजन्मभूमि में भूमि पूजन और अन्य मुहूर्त निकाले जाने में भी दिखाई देता है. जब-जब भी राम मंदिर के लिए मुहूर्त निकाला गया है, वह मुहूर्त काशी ने ही दिया है. काशी के विद्वानों ने ही पहली बार भूमि पूजन के लिए महूर्त दिया था और आज जब राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है तो उसके लिए भी काशी के ही विद्वानों ने मुहूर्त निकाला था. 84 सेकेंड के उसी मुहूर्त में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई है. मुहूर्त को लेकर फैले विवाद के बीच काशी अयोध्या से जुड़ी रही है.

अयोध्या में रामलला अपने महल में विराजमान हो चुके हैं. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर के कपाट लोगों के लिए खोल दिए गए हैं. ऐसे में लाखों की संख्या में लोग दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. लेकिन, इस बीच एक विवाद चर्चा में रहा जोकि प्राण प्रतिष्ठा के समय को लेकर था. इसे लेकर शंकराचार्यों और कई विद्वानों ने आपत्ति जताई थी. लेकिन, तय समय पर ही प्राण प्रतिष्ठा संपन्न की गई. इस मुहूर्त को बताने वाले काशी के ही विद्वान थे. आज ये पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले भी राम मंदिर के लिए जब कोई मुहूर्त निकाला गया तो काशी ने ही मुहूर्त बताया है. वह चाहे बात 1889 की हो या फिर साल 2024 की. काशी के बताए मुहूर्त पर कार्यक्रम पूरे किए गए हैं.

1889 में शिलान्यास का मुहूर्त काशी ने दिया

अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती बताते हैं कि वर्तमान में श्री रामजन्मभूमि, जिसे मुस्लिम बाबरी मस्जिद कहते थे. हम हजारों वर्षों से रामजन्मभूमि ही कहते थे. श्री रामजन्मभूमि के सामने का जो मैदान था उसे विश्व हिन्दू परिषद ने श्री रामजन्मभूमि न्यास के नाम से खरीदा. वहीं, पर शिलान्यास करना तय किया गया. जब शिलान्यास किया जाएगा और ढांचा हटेगा तो पूरा मंदिर एकसाथ बनाया जाएगा. इसके लिए एक जगह चाहिए होगी. 9 नंवबर 1889 को शिलान्यास का मुहूर्त निकला था. उसे काशी के पंडित जनार्दन शास्त्री रटाटे ने निकाला था. इसी महुर्त में शिलान्यास हुआ. तब भी काशी के कुछ ज्योतिषियों ने विवाद खड़े किए थे.

अयोध्या के लिए काशी ने दिए हैं मुहूर्त

वे बताते हैं कि उस समय जो शिलान्यास हुआ, उससे जो आज वर्तमान में श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं, जिसे लोग उनकी योग्यता से नहीं, बल्कि उनकी जाति से जानते हैं. उनका नाम कामेश्वर चौपाल है. ये अनुसूचित जाति से हैं. उसी कामेश्वर चौपाल नाम के छोटे से कार्यकर्ता से अशोक सिंघल ने श्री रामजन्मभूमि का शिलान्यास कराया था. 1889 और 2024 में बहुत अंतर है. 34 साल पहले उस कार्यकर्ता की उम्र क्या रही होगी? काशी से रिश्ता तब भी था. काशी ने तब भी मुहूर्त दिया था. 5 अगस्त 2020 को दिए गए मुहूर्त और 22 जनवरी 2024 के लिए दिए गए मुहूर्त को काशी ने ही दिया था.

1983 में शुरू हुआ था जन्मभूमि के लिए आंदोलन

स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, 'मुहूर्त की सफलता पूरी दुनिया में असंदिग्ध है. आंदोलन पहले से चल रहा था. 1983 में यह प्रारंभ हुआ था. 1984 में इंदिरा गांधी की आकस्मिक मृत्यु और आसामयिक हत्या के कारण हिन्दू संगठनों ने आंदोलन को स्थगति कर दिया था. राजीव गांधी के प्राधानमंत्री बनने के बाद उनसे इस बारे में बात करके कि बिना आंदोलन के भी यह विषय हल हो जाए यह प्रयास किया गया. अचानक 1986 में मीनाक्षीपुरम का धर्मांतरण और शाहबानो के प्रकरण में मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति ने हिन्दुओं के अंदर उबाल ला दिया और श्री रामजन्मभूमि के आंदोलन के पक्ष में हिन्दू समाज लामबंद होना शुरू हुआ.'

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