देहरादूनः उत्तराखंड में पंचायत चुनाव से पहले राजीव गांधी पंचायती राज संगठन ने अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है. 19 दिसंबर को राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के प्रभारी दीपक राठौड़ कांग्रेस भवन पहुंचे और सभी जिला अध्यक्षों के साथ बैठक करके पंचायत और शहरी निकायों के हक हकूकों के बारे में विस्तार से चर्चा की.
उन्होंने कहा कि सत्ता का विकेंद्रीकरण लोकतंत्र का सबसे गरिमापूर्ण विषय माना जाता रहा है. जितने ज्यादा हाथों में जिम्मेदारियां दी जाएंगी, उतनी ही जल्दी समाज का विकास सुनिश्चित होगा. राठौड़ ने कहा कि 11वीं अनुसूची में पंचायतों को 29 विषयों पर निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार दिया गया है. इस तरह 12वीं अनुसूची में निकायों को 18 विषयों पर निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है. लेकिन यह विडंबना है कि इसके बारे में ना ही जनता को और ना ही चुने हुए जनप्रतिनिधियों को जानकारी है.
पंचायत चुनाव से सक्रिय हुआ राजीव गांधी पंचायत राज संगठन (VIDEO-ETV Bharat) उन्होंने कहा कि 73वें और 74वें संशोधन की नींव 64वें संशोधन में ही पड़ गई थी. क्योंकि स्वर्गीय राजीव गांधी के पास लोकसभा में बहुमत था. लेकिन राज्यसभा में संख्या बल न होने की वजह से बिल पारित नहीं हो पाया. इसके बाद स्वर्गीय प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने इसे आगे बढ़ाया और दोनों ही सदनों में पारित करवाया.
राठौड़ का कहना है कि पंचायती राज, राज्य सूची का विषय है, केंद्रीय और समवर्ती सूची का नहीं. राठौड़ का कहना है कि ग्राम सभाओं को फंड, फंक्शन और फंक्शनरी की ताकतें दी गई हैं. इन तीनों चीजों की व्यवस्थाएं संविधान ने पंचायतों को दी हैं. लेकिन सरकारों ने सिर्फ दो प्रदत्त अधिकार ही पंचायतों को दिए हैं. लेकिन 73वें और 74वें संशोधन के मेन थीम के तहत पंचायतों को मजबूत बनाने के लिए जो ताकतें दी गई थीं, वह केरल राज्य को छोड़कर अन्य किसी राज्य में नहीं है.
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