शिमला: 24 दिन के बाद 9 पूर्व विधायक हिमाचल लौट आए हैं. राज्यसभा में क्रॉस वोटिंग करने के बाद कांग्रेस के 6 बागी और 3 निर्दलीय विधायक राज्य से बाहर थे. शनिवार को इन 9 नेताओं ने दिल्ली में बीजेपी का दामन थाम लिया. इसके बाद जब शिमला लौटे तो भगवा चोला ओढ़े इन सभी नेताओं का बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया. फूल-मालाओं, ढोल नगाड़ों और जोरदार नारों के बीच इन 9 विधायकों का ग्रैंड वेलकम हुआ. इस दौरान इनके साथ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल और नेता विपक्ष जयराम ठाकुर भी मौजूद थे.
कांग्रेस पर साधा निशाना
शिमला के पीटरहॉफ होटल में बीजेपी की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जहां इन सभी 9 पूर्व विधायकों का स्वागत किया गया साथ ही इन नेताओं ने मीडिया से भी बातचीत की.
"पिछले एक साल से लगातार चुने हुए विधायकों को अपमानित किया जा रहा है. जब लोगों की उम्मीदें पूरी नहीं होती तो चुने गए प्रतिनिधि जिम्मेदार होते हैं. कांग्रेस ने प्रदेश में गारंटियां तो दीं लेकिन वो झूठी साबित होने लगी. लोग हमसे गारंटियों के बारे में पूछते थे. व्यक्ति हर चीज से समझौता कर सकता है लेकिन स्वाभिमान से कभी समझौता नहीं करता. हमने कई बार मुख्यमंत्री और हाईकमान से मिले लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था. आज देशभर में कांग्रेस की हालत खराब है. हिमाचल में कांग्रेस वेंटिलेटर पर है. देशभर के साथ-साथ हिमाचल में कांग्रेस के बड़े नेता चुनाव लड़ने से मना कर रहे हैं. सवा साल पहले प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को वादों के आधार पर 40 विधायक जिताए, साथ ही 3 निर्दलीय भी साथ थे लेकिन आज कांग्रेस के 34 विधायक रह गए हैं. इसके लिए जिम्मेदार कौन है. हमने राज्यसभा चुनाव में अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर हिमाचल के व्यक्ति को हिमाचल के स्वाभिमान को ध्यान में रखते हुए वोट दिया. जो व्यक्ति हिमाचल के हितों के खिलाफ लड़ता है उसे कैसे वोट देते."- राजेंद्र राणा, बीजेपी नेता
इन पूर्व विधायकों ने कहा कि जो भी फैसला लिया गया है वो सिर्फ एक दिन में नहीं लिया. सुधीर शर्मा ने कहा कि 9 विधायकों को सदस्यता दांव पर लगाने के लिए विवश होना पड़ा. राजेंद्र राणा और सुधीर शर्मा ने कहा कि करीब 14 से 15 महीने की सरकार में जो कुछ भी विधायकों के साथ हुआ उसके बाद ही सोच समझकर हमने बीजेपी में जाने का फैसला लिया.
"कांग्रेस ने 10 गारंटियां दी थी लेकिन 14 महीने में कुछ नहीं हुआ. मौजूदा सरकार के मुख्यमंत्री से आम कार्यकर्ता और विधायकों का मिलना मुश्किल हो गया है. विधायकों का मान-सम्मान, आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई जा रही थी. हमें इसलिये लोगों ने चुनकर नहीं भेजा था. लोग हमें कहते थे कि अगर आपके काम नहीं हो रहे, आपकी सुनी नहीं जा रही तो इस पद में रहने का कोई औचित्य नहीं है. इसलिये आज हम स्वेच्छा से बीजेपी में शामिल हुए हैं. हम जिगरेवाले हैं, राज्यसभा चुनाव में हमने वोट दिखाकर डाला. किसी के रहमो करम से विधायक नहीं बने हैं, जनता ने वोट दिया तब विधायक बने हैं. आज कांग्रेस की स्थिति ये है कि जो घर के काम करते हैं और घर की देखभाल करते हैं उन्हें पद दिया जा रहा है. कहीं से भी उठकर आए लोग कुर्सियों पर बैठ गए हैं. जहां ऐसे हालात बन जाएं, वहां कौन रहेगा. वर्तमान सरकार कांग्रेस की नहीं मित्रों की सरकार है और जो सचिवालय है वो फ्रेंड्स कैफे बन गया है. मंत्रियों के पद बांटना और मंत्री का दर्जा देना मानो मजाक चल रहा है. दूसरी तरफ कहते हैं कि खजाना खाली है." - सुधीर शर्मा, बीजेपी नेता