राजगढ़।इस्लामिक माह रमजानुल मुबारक के मौके पर मुस्लिम धर्म का अनुसरण करने वाले मुस्लिम धर्मावलंबी रोज़ा (उपवास) रखते हैं. जिसके लिए वे पैगंबर साहब (हजरत मुहम्मद मुस्तफा सल्ल्लाहू आलेही वसल्लम) के द्वारा बताए गए तौर तरीके इख्तियार करते हैं. उन्हीं तौर तरीकों में से एक सुन्नत (पैगंबर द्वारा दी गई शिक्षा) इफ्तार (उपवास तोड़ने) के वक्त खास तौर से खजूर का इस्तेमाल करना भी है, आइए आपको बताते हैं की इसके क्या क्या फायदे है, जो आपको रोजा रखने के बावजूद भी तंदुरुस्त और फिट बनाए रखते हैं.
बाजार में खजूर की डिमांड बढ़ी
कुछ दिनों के बाद ही इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रमजानुल मुबारक (इस्लामिक माह) का चांद नजर आने वाला है, जिसको लेकर इस्लाम धर्म का अनुसरण करने वाले लोगों ने अपनी तैयारिया शुरू कर दी हैं. बाजार में खजूर की डिमांड भी बढ़ने लगी है, क्योंकि रोजा रखने वाले लोग रोजा इफ्तार (उपवास तोड़ने) में खजूर का इस्तेमाल करते है, क्योंकि ये अल्लाह (ईश्वर) के आखिरी पैगंबर की सुन्नत भी है, और इसके कई शारीरिक और साइंटिफिक फायदे भी हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने जानकारों से चर्चा की, जिन्होंने इसके फायदे और सुन्नत (पैगंबर के द्वारा दी गई शिक्षा) के बारे में बताया है.
पैगंबर साहब की सुन्नत है खजूर से रोजा खोलना
ईटीवी भारत से बात करते हुए हाफिद मुस्तुफा बताते हैं कि, खजूर से रोजा इफ्तार (उपवास तोड़ना) हमारे नबी ए पाक की सुन्नत है, और इससे रोजा इसलिए इफ्तार करना चाहिए, क्योंकि इससे बदन के अंदर ताकत आती है, और शरीर में एनर्जी बनी रहती है. रोजा रखने वाला व्यक्ति इससे तंदुरुस्त रहता है, हम में से कई लोग क्या करते है कि, दिन भर के भूखे प्यासे रहने के बाद ठंडी चीजों से रोजा इफ्तियार कर लेते हैं, जो की हमारे जिस्म के लिए नुकसान दायक होती है. जिसका सीधा असर लीवर पर होता है, इसलिए खजूर का इस्तेमाल हमारे लिए ज्यादा फायदेमंद है. हम खजूर से ही रोज़ा इफ्तार करें उसी में फायदा है. जिससे सुन्नत (पैगंबर साहब द्वारा दी गई शिक्षा) भी जिंदा होगी. यदि अरब वाली खजूर मिल जाए तो सबसे बेहतर है, या दूसरी कोई दूसरी खजूर मिल जाए तो उसे भी इस्तेमाल कर सकते हैं.''
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