सीकर: श्री रामानंद संप्रदाय की उत्तर भारत की सबसे बड़ी पीठ रैवासा धाम में 18वें पीठाधीश्वर का पट्टाभिषेक पूजन रविवार को हुआ. कार्यक्रम में देशभर से संत-महंत उपस्थित हुए. राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी कार्यक्रम में शिरकत की.
पंडित लक्ष्मीकांत शास्त्री ने बताया कि रविवार को भाद्र शुक्ल द्वादशी है, जिसे कालिका द्वादशी व भुवनेश्वरी द्वादशी भी कहते हैं. पंडित सुरेश व्यास, पंडित आदित्य शर्मा, पंडित लक्ष्मीकांत शास्त्री, पंडित उमाशंकर शर्मा, पंडित राम शर्मा सहित अनेक विद्वान पंडितों ने पूजन संपन्न करवाया. पट्टाभिषेक पूजन से पहले संत राजेंद्रदास का उनकी जन्म कुंडली के अनुसार विशेष पूजन भी करवाया गया. पूजन के बाद जगतगुरु आचार्य, द्वाराचार्य सहित रामानंद संप्रदाय के संतों ने चादर ओढ़ाकर संत राजेंद्र दास महाराज को गद्दी पर विराजमान कराया.
इसे भी पढ़ें :रेवासा पीठाधीश्वर राघवाचार्य महाराज पंचतत्व में विलीन, जानें कौन बने पीठ के उत्तराधिकारी - swami Raghavacharya
इसके बाद, नए पीठाधीश्वर राजेंद्र दास ने वरिष्ठ संतों को पट्टिका ओढ़ाकर वस्त्र व रजत निर्मित स्मृति चिन्ह भेंट किया. श्री जानकी नाथ बड़ा मंदिर ट्रस्ट उपाध्यक्ष आशीष तिवारी ने बताया कि चादरपोशी की रस्म के दौरान देशभर के विभिन्न स्थानों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं. श्रद्धालुओं के लिए एक अन्य डोम में भंडारा प्रसाद का आयोजन हुआ है. दांतारामगढ़ सर्कल के डिप्टी जाकिर अख्तर ने बताया कि सुरक्षा के लिए बड़ी संख्या में जवान तैनात किए गए हैं. पार्किंग की भी समुचित व्यवस्था की गई है.
सीएम ने नए पीठाधीश्वर का लिया आशीर्वाद : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी रैवासा धाम में अग्र पीठाधीश्वर राघवाचार्य जी महाराज के देवलोक गमन पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. सीएम शर्मा रैवासा के नए पीठाधीश्वर राजेन्द्र दास महाराज की चादरपोशी कार्यक्रम में भी शामिल हुए और माला पहनाकर व शॉल ओढ़ाकर उन्होंने महाराज से आशीर्वाद लिया. कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद धनश्याम तिवाड़ी ने मुख्यमंत्री को रैवासा धाम के प्राचीन इतिहास के बारे में जानकारी भी दी. इस अवसर पर नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) झाबर सिंह खर्रा, राज्य सैनिक कल्याण बोर्ड अध्यक्ष प्रेम सिंह बाजौर, विधायक गोवर्धन वर्मा, सुभाष मील, पूर्व सांसद सुमेधानंद सरस्वती सहित साधू-संत व जनप्रतिनिधिगण उपस्थित रहे.
उत्तर भारत की सबसे बड़ी पीठ रैवासा धाम : श्री रामानंद संप्रदाय का देश की धार्मिक विरासत में उजला अध्याय है. रैवासा धाम का धार्मिक ऐतिहासिक महत्व है. लोहागर्ल मंडल के संत माधव दास ने बताया कि इसमें 10 जगतगुरु आचार्य पीठ और 52 द्वाराचार्य पीठों में से 36 द्वाराचार्य पीठ इस संप्रदाय में शामिल हैं. रैवासा उत्तर भारत की श्री रामानंद संप्रदाय की सबसे बड़ी पीठ है. यहां पर प्रसिद्ध ग्रंथ भक्तमाल की रचना नाभाचार्य महाराज ने की थी. अग्रदेवाचार्य महाराज ने यहां मधुरोउपासना ग्रंथ की रचना की थी. श्री रामानंद संप्रदाय के 36 में से 12 द्वाराचार्यों ने यहां से साधना कर देश भर में पीठ की स्थापना की थी. ब्रह्मलीन संत राघवाचार्य महाराज ने गोवंश संवर्धन, सामाजिक सरोकार व देशभक्ति के साथ जोड़कर इसे और प्रभावशाली बना दिया.
30 अगस्त को हुआ था राघवाचार्य का देवलोकगमन :बता दें कि रेवासा के पीठाधीश्वर राघवाचार्य महाराज का 30 अगस्त को देवलोकगमन हो गया था. राघवाचार्य महाराज को बाथरूम में दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उन्हें तुरंत सीकर के अस्पताल में ले जाया गया, वहां चिकित्सकों ने उनके निधन की पुष्टि कर दी. वे एक महान आध्यात्मिक गुरु और विद्वान थे, उनका सम्पूर्ण जीवन लोगों की आध्यात्मिक उन्नति, शिक्षा के क्षेत्र और समाज सेवा के लिए समर्पित था. रेवासा पीठ पर वे संस्कृत का एक गुरुकुल भी चलाते थे. वे स्वयं प्रकांड विद्वान और संस्कृत भाषा के मर्मज्ञ थे. संस्कृत शिक्षा की श्रीवृद्धि में उनकी महती भूमिका थी. शेखावाटी क्षेत्र में राम मंदिर आंदोलन में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी.