कुल्लू:भारत में कृषि के साथ-साथ पशुपालन के माध्यम से भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं और गाय, भैंस के साथ भेड़, बकरी का पालन भी कर रहे हैं. ऐसे में भारत सरकार के द्वारा भी पशुपालन के माध्यम से लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है और पशुओं की नई-नई उन्नत किस्म के माध्यम से भी पशुपालकों को इसका लाभ हो रहा है. अब भारत सरकार के केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान के द्वारा भेड़ की नई किस्म भी तैयार की जा रही है, ताकि उसके माध्यम से पशुपालकों को फायदा मिल सके. ऐसे में केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान के द्वारा एक उत्तम किस्म की भेड़ की नस्ल को तैयार किया गया है. जिससे देश भर के भेड़ पालकों को काफी फायदा होगा.
भारत के राजस्थान के अविकानगर में स्थापित केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान के द्वारा पंजाब (लुधियाना) के बाद अब हिमाचल प्रदेश में ''अविशान'' नाम की उत्तम किस्म की शीप का फार्म शुरू करेगा. प्रदेश के कुल्लू स्तिथ गड़सा अनुसंधान संस्थान में फार्म खोलने के बाद यहां अविशान शीप की ब्रीडिंग शुरू होगी. जिसके चलते प्रदेश के किसानों और पशुपालकों को यह शीप इस संस्थान में उपलब्ध होगी. अविशान नाम की यह शीप साल 2016 में ही 16 साल के शोध के बाद तैयार की है और उसके बाद राजस्थान के अविकानगर से ही किसानों और पशुपालकों को उपलब्ध करवाई जा रही है, लेकिन अब हिमाचल के पशुपालकों और किसानों को यह शीप प्रदेश में ही उपलब्ध होगी.
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भेड़ की इस नस्ल के नहीं होते सींग
संस्थान के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार संस्कृत भाषा में अवि का मतलब भेड़ होता है और शान को जोड़कर इस नई नस्ल की भेड़ को भेड़ों की शान मतलब 'अविशान' नाम दिया गया है. अविशान नस्ल की यह भेड़ उच्च दर्जे की लंबे पैरों वाली बड़ी आकार की होती है. इसका चेहरा हल्का गहरे भूरे रंग का होता है और जो गर्दन तक फैला होता है. इसकी ऊन सफेद रंग की होती है और पूंछ पतली और मध्यम आकार की होती है. वहीं, यह भेड़ नर और मादा दोनों किस्म में बिना सींग के होती है.
3 से 4 मेमनों को देती है जन्म