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मोबाइल टावर लगाने से जुड़ा मामला जनउपयोगी सेवा में नहीं, स्थाई लोक अदालत नहीं सुन सकती ऐसे प्रकरण - स्थाई लोक अदालत

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने साफ किया कि मोबाइल टावर स्थापित करने से जुड़ा मामला जन उपयोगी सेवाओं में नहीं आता.

Rajasthan High Court,  installation of mobile tower
मोबाइल टावर लगाने से जुड़ा मामला जनउपयोगी सेवा में नहीं.

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 12, 2024, 10:50 PM IST

जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश देते हुए कहा है कि मोबाइल टावर स्थापित करने से जुड़ा मामला जन उपयोगी सेवाओं में नहीं आता है. ऐसे में स्थाई लोक अदालत को इससे जुड़े मामलों को सुनवाई का हक नहीं है. इसके साथ ही अदालत ने स्थाई लोक अदालत, जयपुर के गत 29 मई के उस आदेश को रद्द कर दिया है. जिसके तहत जेडीए को मोबाइल टावर को हटाकर कार्रवाई में खर्च की गई राशि को मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी से वसूल करने के आदेश दिए गए थे. इसके साथ ही अदालत ने जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित जिला टेलिकॉम कमेटी को निर्देश दिए हैं. इसमें कहा है कि वह दोनों पक्षों को सुनकर और प्रकरण में दी गई जेडीए की एनओसी व राज्य सरकार के शिकायत निस्तारण के आदेश को ध्यान में रखते हुए मामले का तीन माह में निस्तारण करे.

जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश रिलायंस जिओ इंफोकॉम लि. की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. याचिका में अधिवक्ता अनुरूप सिंघी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने वर्ष 2014 में झोटवाड़ा में मोबाइल टावर लगाया है. इस संबंध में उसे जेडीए ने एनओसी भी जारी कर दी थी. इसके बावजूद भी शिकायतकर्ता डॉ. हर्ष अग्रवाल ने करीब आठ साल बाद इस टावर को हटाने के लिए शिकायत की. शिकायतकर्ता ने स्थाई लोक अदालत में परिवाद पेश कर मोबाइल टावर हटाने की गुहार की.

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जिस पर सुनवाई करते हुए स्थाई लोक अदालत ने गत 29 मई को जेडीए को आदेश दिए कि वह पन्द्रह दिन में टावर को हटाए और इसमें खर्च होने वाली राशि की वसूली रिलायंस जिओ से करे. याचिका में कहा गया कि स्थाई लोक अदालत को यह आदेश देने का अधिकार ही नहीं है. स्थाई लोक अदालत जन उपयोगी सेवाओं के मामलों में ही सुनवाई कर सकती है. मोबाइल टावर स्थापित करने या हटाने से जुड़ा मामला जन उपयोगी सेवाओं की श्रेणी में नहीं आता है. वहीं शिकायतकर्ता की ओर से कहा गया कि रिलायंस ने टावर लगाने का स्थान भी बदल लिया और जेडीए ने इस शर्त पर एनओसी दी थी कि शिकायत आने पर टावर हटाने के आदेश दिए जा सकते हैं. शिकायतकर्ता ने जिला टेलिकॉम कमेटी को इसकी शिकायत की थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. मामले में जेडीए ने भी मोबाइल कंपनी को शिकायत दी, लेकिन कंपनी ने आज तक उसका जवाब नहीं दिया. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने माना की स्थाई लोक अदालत को मोबाइल टावर हटाने से जुड़े मामले की सुनवाई का अधिकार नहीं है.

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