जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, आवासन मंडल और पंजीयन विभाग से पूछा है कि जेडीए, नगर निगम और आवासन मंडल सहित अन्य सरकारी निकायों की ओर से जारी पट्टों व आवंटन पत्रों सहित अन्य स्वामित्व दस्तावेजों में सुरक्षा मानक क्यों नहीं है. जस्टिस पंकज भंडारी व प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश ऋचा पारीक की जनहित याचिका पर दिए.
याचिका में कहा गया है कि जेडीए, नगर निगम, नगर परिषद व हाउसिंग बोर्ड सहित अन्य स्थानीय निकायों से जारी पट्टों व आवंटन पत्रों में सुरक्षा मानकों का ध्यान नहीं रखा जातात, जिससे स्थानीय निकायों से मिलीभगत कर पट्टों सहित अन्य स्वामित्व के दस्तावेजों के फर्जी व डबल दस्तावेज बना लिए जाते हैं. वहीं आमजन के पास इन दस्तावेजों की वैधता की सत्यता जांच करने के लिए कोई भी विधिक प्रक्रिया नहीं है और ना इन दस्तावेजों में ही सुरक्षा मानक हैं. ऐसे में इन दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा और अनियमितताएं नहीं रोकी जा सकती. इसलिए इन दस्तावेजों में सुरक्षा के लिए कोई मानक बनाए जाए, ताकि आमजन इनसे होने वाले फर्जीवाड़े से बच सके.