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सालों तक किया जेल का निरीक्षण, लेकिन नहीं सुधरे हालात - Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने कैदियों के कल्याण से जुड़े मामले में मौखिक टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि सरकार कोई भी रिपोर्ट पेश करे, लेकिन जेल के हालात पूरी तरह से नहीं सुधरे हैं.

COURT MADE A VERBAL REMARK,  JAIL CONDITIONS NOT IMPROVED
राजस्थान हाईकोर्ट. (ETV Bharat jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 25, 2024, 9:09 PM IST

जयपुरःराजस्थान हाईकोर्ट ने कैदियों के कल्याण से जुडे़ मामले में मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि मामले में राज्य सरकार कोई भी रिपोर्ट पेश करे, लेकिन सच्चाई यह है कि जेल के हालात पूरी तरह नहीं सुधरे हैं. वहीं, अदालत ने मामले में राज्य सरकार की ओर से पेश रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेने के निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई आठ सप्ताह बाद रखी है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस भुवन गोयल ने यह आदेश मामले में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान खंडपीठ के एक न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने सीजेएम से लेकर डीजे बनने के सेवाकाल के बीच कई बार जेलों का निरीक्षण किया है. जहां हर बार जेल में खामियां ही मिली हैं. उन्होंने जेलों में मूलभूत सुविधाएं नहीं होना, पर्याप्त टॉयलेट, पीने का पानी और खाने के खराब हालत को लेकर रिपोर्ट भी दी थी, लेकिन जेलों में कोई सुधार नहीं दिखा. अदालत ने महाधिवक्ता को कहा कि अभी भी केवल बीस फीसदी कैदी ही वीसी के जरिए अदालत में पेश हो रहे हैं. अदालत ने राज्य सरकार को सलाह देते हुए कहा कि अब जयपुर सहित अन्य शहरों में जेल आबादी क्षेत्र में आ गए हैं.

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इन्हें आबादी से दूर शहर के बाहर स्थापित किया जाना चाहिए, ताकि वहां अधिक भूमि पर जेल बनाई जा सके. वहीं, आबादी में जो जेल परिसर खाली होगा, राज्य सरकार उसका दूसरा उपयोग कर सकती है. इस दौरान न्यायमित्र प्रतीक कासलीवाल ने कहा कि सांगानेर खुली जेल की जमीन पर राज्य सरकार अस्पताल बनाने जा रही है. इस पर महाधिवक्ता की ओर से कहा गया कि खुली जेल का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. इसके साथ ही महाधिवक्ता ने मामले की सुनवाई टालने की गुहार की. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई आठ सप्ताह बाद रखी है. गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने 27 जनवरी, 2016 को आदेश जारी कर जेलों की दशा सुधारने को लेकर राज्य सरकार को 45 बिंदुओं पर दिशा निर्देश जारी किए थे.

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