अलवर : राष्ट्रीय राजधानी परियोजना क्षेत्र में अलवर जिला जल्द ही प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में उभरेगा. यहां सरिस्का टाइगर रिजर्व के बाद अब राज्य सरकार की ओर से अलवर के कटी घाटी पर ऐतिहासिक बांध जयसमंद तक वन क्षेत्र में करीब 100 हेक्टेयर भूमि पर बायोलॉजिकल पार्क विकसित किया जाएगा. इसे एक चिड़ियाघर के रूप में विकसित किया जाएगा. सरकार के इस प्रयास से अलवर की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. साथ ही बड़ी संख्या में नए रोजगार के द्वार खुलेंगे. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बायोलॉजिकल पार्क में शेर, चीता, बाघ, पैंथर, हिरण समेत कई प्रकार के बर्ड्स और जानवरों को बसाया जाएगा. इसके अलावा मगरमच्छ समेत अनेक जलीय जीव जंतु भी यहां छोड़े जाएंगे.
वन विभाग कर रहा प्रयास, जिला कलेक्टर ने कराया सर्वे :अलवर वन मंडल के डीएफओ राजेंद्र कुमार हुड्डा ने बताया कि शहर के एंट्री पॉइंट कटी घाटी पर स्थित वन क्षेत्र में करीब 65 हैक्टेयर में बायोलॉजिकल पार्क बनाने का प्रस्ताव भेजा था. राज्य सरकार की बजट घोषणा के अंतर्गत करीब 25 करोड़ रुपए की लागत से यह बनाया जाएगा. सेंट्रल अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इसके लिए फिजिबिलिटी रिपोर्ट भी जारी कर दी है. साथ ही उन्होंने एक सुझाव दिया कि इसी वन क्षेत्र से लगती सवाई चेक जमीन (छोटी पहाड़ियों) पर जो कि जयसमंद झील तक है, उसे शामिल कर चिड़ियाघर बनाया जा सकता है. इसके लिए अलवर जिला कलेक्टर को भी लिखा गया है. इस जमीन का सर्वे भी किया जा चुका है. वर्तमान में कुल 100 हेक्टेयर जमीन पर बायोलॉजिकल पार्क बनेगा. इसमें 30 प्रतिशत जगह पर चिड़ियाघर विकसित किया जाएगा. इसमें विभिन्न तरीके के वन्य जीवों को रखा जाएगा. वहीं, 70 प्रतिशत जगह में ग्रीनरी विकसित की जाएगी. इसके बनने के बाद शहर की लोगों के लिए जू कम सफारी के लिए एक अच्छी जगह मिलेगी. शहर में बायोलॉजिकल पार्क बनने के साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, तो पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए लगातार वन विभाग की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं. दो साल में यह बायोलॉजिकल पार्क बनकर तैयार हो जाएगा.
अलवर वन मंडल के डीएफओ राजेंद्र कुमार हुड्डा (ETV Bharat ALWAR) पढ़ें.राजस्थान : बाघों और बघेरों की कहानियों से गूंजा यह साल, सरिस्का में बाघों की बहार तो गोगुंदा में पैंथर का खौफ
राज्य सरकार की ओर से गत वर्ष अलवर जिले को तीन भागों में विभक्त करने से यहां की अर्थव्यवस्था पर आए संकट को दूर करने के लिए अब पुनः सरकार ने अलवर जिले को राजस्थान ही नहीं पूरे एनसीआर का प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं. पूर्व में अलवर जिले को तीन भागों में बांट कर खैरथल-तिजारा और कोटपूतली-बहरोड़ नया जिला बनाया था. इसके बाद मूल अलवर जिले में अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार केवल सरिस्का रह गया था. सरकार ने अलवर जिले में पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए अब अलवर जिला मुख्यालय पर टाइगर रिजर्व की तर्ज पर ही बायोलॉजिकल पार्क विकसित करने का निर्णय किया है. करीब 100 हेक्टेयर भूमि क्षेत्र में यह बायोलॉजिकल पार्क करीब 2 साल में बनकर तैयार होगा. इसमें 30 हेक्टेयर वन क्षेत्र में जीव जंतु आदि का पालन किया जाएगा. वहीं, शेष 70 हेक्टेयर भूमि क्षेत्र को हरियाली के रूप में विकसित किया जाएगा.
रोजगार को लगेंगे पंख :अलवर जिले से भिवाड़ी क्षेत्र को अलग करने के बाद यहां रोजगार की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई थी. अलवर जिले में एमआईए को छोड़ अन्य कोई बड़ा औद्योगिक क्षेत्र नहीं बचे होने के कारण केवल पर्यटन ही यहां की अर्थव्यवस्था का मुख्य स्रोत रह गया था. अब बायोलॉजिकल पार्क विकसित होने के बाद यहां युवाओं को बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल सकेगा. वहीं, होटल उद्योग को भी विकसित किया जा सकेगा. इसका सीधा असर अलवर के बाजार पर पड़ेगा और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.
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हर साल आएंगे लाखों पर्यटक घूमने :एनसीआर के अलवर जिले में घूमने के लिए देश दुनिया से पर्यटक आते हैं. अलवर में विश्व स्तरीय चिड़ियाघर विकसित होने के बाद यहां बड़ी संख्या में पर्यटक भ्रमण के लिए आएंगे, जिससे अलवर की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और युवाओं को रोजगार मिल सकेगा. इसके अलावा अलवर देश के मानचित्र पर तेजी से उभर सकेगा. एनसीआर में अभी सरिस्का टाइगर रिजर्व एकमात्र बड़ा प्राणवायु उत्सर्जन का केंद्र है. अलवर में ही अब बायोलॉजिकल पार्क बनने के बाद अलवर जिला सहित दिल्ली एवं एनसीआर के के बड़े शहरों के पर्यावरण सुधार में मदद मिलेगी.