जयपुर :राजस्थान में एक बार फिर चुनावी रण सजा हुआ है. सात सीटों पर उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस के साथ ही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) और भारत आदिवासी पार्टी (बाप) भी दम आजमा रही है. रालोपा और बाप जहां स्थानीय मुद्दों पर चुनावी मैदान में ताल ठोक रही है तो वहीं कांग्रेस और भाजपा प्रदेश सरकार के 10 महीने के कार्यकाल और केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों को चुनावी मुद्दा बना रही हैं. कांग्रेस जहां प्रदेश में युवाओं, किसानों की अनदेखी, महिलाओं पर अत्याचार के बढ़ते मामलों, बिजली-पानी की किल्लत को मुद्दा बनाने के साथ ही प्रदेश की भजनलाल सरकार पर हर मोर्चे पर विफल होने का आरोप लगा रही है. वहीं, भाजपा दस महीने की सरकार की उपलब्धियों को गिनाकर मतदाताओं को रिझाने में जुटी है.
ईआरसीपी और यमुना जल समझौता का मुद्दा भी इस चुनाव में जोर पकड़ रहा है. सरकार हरियाणा और मध्यप्रदेश के साथ हुए जल समझौते को ऐतिहासिक बता रही है, जबकि कांग्रेस का आरोप है कि इन दोनों समझौतों में प्रदेश के हितों से खिलवाड़ हुआ है. हालांकि, माना जा रहा है कि उपचुनाव वाली सभी सीटों पर जातीय समीकरण की भी अहम भूमिका रहने वाली है. इसके साथ ही स्थानीय विषय भी उपचुनाव में हावी रहेंगे.
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रालोपा स्थानीय मुद्दों पर मांग रही वोट :राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की ओर से खींवसर सीट पर हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल चुनावी मैदान में हैं. यह सीट हनुमान बेनीवाल की परंपरागत सीट है. 2008 के बाद से इस सीट पर उनका कब्जा है. वे 2019 में नागौर से सांसद बने तो भाई नारायण बेनीवाल को चुनाव लड़वाया. अब वे किसान-नौजवान और स्थानीय मुद्दों पर पत्नी के लिए वोट मांग रहे हैं. विरोधियों पर निशाना साधकर भी वे वोटर्स को लामबंद कर रहे हैं.
जल, जंगल और जमीन बना बाप का मुद्दा :भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) ने चौरासी और सलूंबर सीट पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं. यह पार्टी मुख्य तौर पर जल, जंगल, जमीन और आदिवासी हितों के मुद्दों के सहारे चुनावी मैदान में है. स्थानीय मुद्दों और स्थानीय समस्याओं के लिए भाजपा और कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराकर भारत आदिवासी पार्टी अपने वोटबैंक को मजबूत करने में जुटी है. इसके नेता लगातार अलग भील प्रदेश की मांग को भी समय-समय पर हवा देते रहते हैं.
भाजपा सरकार की विफलताएं गिना रही कांग्रेस :सभी सात सीटों पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस प्रदेश में भाजपा सरकार के दस महीने के शासन की विफलताएं जनता के बीच जाकर गिना रही है. इसके अलावा विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र के ऐसे वादे जो सरकार पूरे नहीं कर पाई है. उन्हें लेकर भी कांग्रेस के नेता सवाल खड़े कर रहे हैं. किसानों को पर्याप्त बिजली नहीं मिलने, एमएसपी पर बाजरे की खरीद नहीं होने, नई भर्ती परीक्षा नहीं करवाने को लेकर भी कांग्रेस भाजपा सरकार पर हमलावर है. कर्मचारी हितों और कल्याणकारी योजनाओं को बंद करने की बात कांग्रेस हर मंच से उठा रही है.
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प्रदेश-केंद्र सरकार की उपलब्धियां गिना रही भाजपा :भाजपा नेता उपचुनाव में हर मंच से प्रदेश की सरकार के दस महीने के कार्यकाल की उपलब्धियां और केंद्र में मोदी सरकार के दस साल के फैसलों का जिक्र कर अपने वोटबैंक को मजबूत करने में जुटी है. भाजपा नेता हर मंच से पेपर लीक को लेकर की गई कार्रवाई का जिक्र कर रहे हैं. जबकि पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के समय की गड़बड़ियों और घोटालों का जिक्र भी भाजपा जोर-शोर से कर रही है. इसके साथ ही भाजपा नेता केंद्र की मोदी सरकार के दस साल के फैसलों, नीतियों और योजनाओं का भी जिक्र कर रहे हैं.
कांग्रेस बता रही भजनलाल सरकार को विफल : कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि भाजपा ने समाज के हर तबके से झूठे वादे किए और सत्ता हथिया ली. अब 10-11 महीने में सरकार हर मोर्चे पर फेल साबित हुई है. रबी की बुवाई के सीजन में किसानों को पर्याप्त बिजली नहीं मिल रही. समर्थन मूल्य पर बाजरे की खरीद का वादा चुनावी घोषणा पत्र में किया लेकिन अब खरीद नहीं कर पा रहे हैं. महिलाओं और दलितों पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. जनता उपचुनाव में भाजपा को सबक सिखाएगी.
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भाजपा की नीतियां आमजन के लिए :वहीं, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ का कहना है कि गरीबों को घर दिलवाने की योजना हो या खाद्य सुरक्षा में नाम जोड़ने की योजना. हर घर शौचालय बनाने की मुहिम हो या किसान सम्मान निधि देने की योजना. भाजपा की योजनाएं आमजन और जरूरतमंदों पर केंद्रित हैं. प्रदेश की भाजपा सरकार ने दस महीने के कार्यकाल में आमजन की भलाई के कई अहम फैसले लिए हैं.