जयपुर: प्रदेश की भजनलाल सरकार 19 फरवरी को अपना दूसरा पूर्ण बजट पेश करने जा रही है. इसको लेकर वित्त विभाग ने तैयारी पूरी कर ली है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और वित्त मंत्री दीया कुमारी ने इसको लेकर अलग-अलग वर्ग से संवाद स्थापित कर सुझाव लिए हैं. भजनलाल सरकार के पिटारे से क्या कुछ निकलेगा, वो तो बजट पेश होने के बाद सामने आएगा, लेकिन प्रदेश के 8 लाख कर्मचारियों को इस बजट से खासा उम्मीद है. वेतन विसंगति, जमा पैसे और पदनाम के साथ महिला कर्मचारियों को बड़ी सौगात की उम्मीद है.
वेतन विसंगति दूर हो : अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि कर्मचारियों की सुनवाई सरकार करती है. पिछले दिनों बजट संवाद के जरिये मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और वित्त मंत्री दीया कुमारी ने कर्मचारी संगठनों से चर्चा की और सुझाव लिए, जिसमें कर्मचारियों ने वेतन विसंगतियों के निराकरण के लिए खेमराज चौधरी की अध्यक्षता में बनी वेतन विसंगति परीक्षण समिति ने सरकार के इशारे पर कर्मचारियों को धोखा दिया है.
बजट को लेकर किसने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Jaipur) कमेटी की रिपोर्ट में जहां कर्मचारियों की वाजिव वेतन विसंगतियों की उपेक्षा की गई है, वहीं 9, 18 व 27 वर्ष की एसीपी के स्थान पर 8, 16, 24 व 32 वर्ष पर एसीपी देने के भाजपा सरकार के पूर्व निर्णय की भी क्रियान्विति नहीं की. सभी संगठनों की मांग है कि इस विसंगति का सुधार इस बजट करे. इसके साथ ठेका प्रथा और संविदा अनुबंध को नियमित नौकरियों की घोषणा सरकार इस बजट में करें. गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि सरकार इस बजट में पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) में राज्य कर्मचारियों की जमा NPS कटौती की राशि को कर्मचारियों के GPF खातों में जमा कराए जाने की उम्मीद भी जताई.
जीपीएफ खातों में जमा कराई जाए : अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदेश महावीर शर्मा ने कहा कि महत्वपूर्ण मांग है कि कर्मचारियों का एनपीएस में काटी गई राशि लगभग 53 हजार करोड़ रुपये जीपीएफ खातों में जमा कराई जाए. इसका बजट में स्पष्ट प्रावधान किया जावे. दूसरी मांग है कि पदोन्नति अवसरों की विसंगति दूर करते हुए समस्त कर्मचारियों को पदोन्नति के समान अवसर उपलब्ध करवाये जाए.
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इसके साथ दक्षिण भारत के राज्य केरल, कर्नाटक, तेलंगाना आदि की तरह राजस्थान में भी प्रदेश स्तरीय वेतन आयोग का गठन कर, प्रत्येक 5 वर्ष पर राज्य के कर्मचारियों के वेतनमानों की समीक्षा कर उनसे महंगाई दर के अनुपात में वृद्धि की जाए. इसके अलावा स्थानांतरण नीति जारी हो, साथ ही समस्त संविदा कार्मिकों को शीघ्र नियमित किया जाए और भविष्य में नियमित पदों पर संविदा कर्मियों की नियुक्ति पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए. संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए और संविदा भर्ती पूरी तरह बंद की जाए.
नर्सिंग निदेशालय बड़ा मुद्दा : वुमेन वेलफेयर नर्सिंग ऑर्गनाइजेशन की प्रदेश अध्यक्ष विनीता शेखावत ने बताया कि राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी 19 फरवरी को जो बजट पेश करने जा रहे हैं, उसको लेकर महिलाओं को बड़ी उम्मीदें हैं, खास कर महिला कर्मचारियों को. विनीता ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में 90 फीसदी नर्सिंग महिलाएं हैं. ऐसे हमें उम्मीद है कि लंबे समय से चली आ रही नर्सिंग निदेशालय की मांग पूरी होगी. राजस्थान में सभी विभागों में, जैसे पुलिस में पुलिस मुख्यालय, शिक्षा में शिक्षा संकुल आदि सभी पृथक निदेशालय हैं, लेकिन जो सबसे संवेदनशील विभाग जो जन्म से मरण तक में सबसे पहले अग्रणी सेवा में सेवा देने वाला विभाग है, उसमें नर्सिंग निदेशालय की कमी है.
नर्सिंग निदेशालय बनता है तो राजस्थान के दूर-दराज से आनेवाली महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा सहयोगी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, नर्सिंग ऑफिसर महिलाएं एक ही जगह पर अपने काम करा सकेंगी. शेखावत ने कहा कि इसके साथ पुलिस के समान अवधि होने के बावजूद उनके समान वर्दी भत्ता नहीं मिल रहा है. ऐसे में वर्दी भत्ता बढ़ाया जाए. इसके अलावा सभी अस्पतालों में क्रेज की व्यवस्था हो, जिससे महिलाओं को राहत मिलेगी. इसके साथ अस्पतालों में आवासीय व्यवस्था का होना, सभी विभागों में कार्यरत महिलाओं को तीन दिन की अवकाश एक्स्ट्रा मिले, इसकी उम्मीद भी महिला कर्मचारी कर रही हैं.