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Rajasthan: सात सीटों का संग्राम : 5 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने, दो सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला - राजस्थान विधानसभा उपचुनाव

विधानसभा उपचुनाव के लिए 7 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस के चेहरे तय हो चुके हैं. इनमें 5 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर है.

विधानसभा उपचुनाव
विधानसभा उपचुनाव (ETV Bharat)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 24, 2024, 12:23 PM IST

जयपुर : प्रदेश में होने जा रहे सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव इस बार सभी दलों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाले हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में जहां एकमात्र सीट सलूंबर पर बीजेपी काबिज थी, तो चार विधानसभा झुंझुनू, रामगढ़, देवली उनियारा और दौसा में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. चौरासी पर भारतीय आदिवासी पार्टी और और खींवसर में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का शासन था. ऐसे में कांग्रेस, बीजेपी और क्षेत्रीय दल अपने अपने पुराने प्रदर्शन को कम से कम कामयाब रखने का प्रयास करेंगे.

दौसा विधानसभा पर एक नजर :दौसा विधानसभा सीट पर सांसद बने मुरारी लाल मीणा की सलाह पर कांग्रेस ने डीडी बैरवा को टिकट दिया है. पार्टी ने जीत की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर छोड़ी है. उनके सामने भाजपा के प्रत्याशी जगमोहन मीणा होंगे जो मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के भाई हैं. यहां किरोड़ी लाल मीणा की जिम्मेदारी होगी कि वह भाजपा का कमल खिलाएं. इस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर मुरारी लाल मीणा 2023 के चुनाव में 31 हजार 204 वोट जीते थे.

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देवली-उनियारा भी खास चुनौती :सचिन पायलट के गढ़ में उनके करीबी हरीश मीणा के सांसद बनने के बाद कांग्रेस ने केसी मीणा को प्रत्याशी बनाया है. गुर्जर-मीणा बाहुल्य वाली इस सीट पर कांग्रेस नए चेहरे के साथ नया दांव खेल रही है. जबकि उनके सामने बीजेपी से 2013 में विधायक रहे राजेंद्र गुर्जर प्रत्याशी हैं. साल 2018 में वे हरीश मीणा से चुनाव हार गए थे. कांग्रेस के प्रत्याशी हरीश मीणा ने यहां से 19 हजार 175 वोट से जीत प्राप्त की थी.

कांग्रेस का गढ़ रही है झुंझुनू :झुंझुनू से सांसद बृजेंद्र ओला के पुत्र अमित ओला मैदान में रहेंगे. दशकों से ओला परिवार का ही यहां वर्चस्व रहा है. उनके सामने पिछली बार बीजेपी के बागी प्रत्याशी रहे राजेंद्र भांभू मैदान में होंगे. दशकों से भाजपा इस सीट पर बगावत झेलती रही है. इस बार मुकाबला आमने-सामने का होने की उम्मीद है. झुंझुनू से पिछला चुनाव कांग्रेस के बृजेंद्र ओला ने 28 हजार 863 वोट से जीता था.

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खींवसर में आरएलपी मजबूत:इसी तरह से खींवसर में आईपीएस रहे सवाई सिंह की पत्नी रतन चौधरी प्रत्याशी होंगी. माना जा रहा है कि गोविंद सिंह डोटासरा ने यहां टिकट फाइनल करने में अहम भूमिका निभाई थी. इसी तरह बीजेपी रेवंत राम डांगा पर दांव खेल चुकी है. बीते विधानसभा चुनाव में उन्होंने बेनीवाल को कड़ी चुनौती दी थी और दोनों के बीच महज 2059 वोटो का मार्जिन रहा था. इस चुनाव में माना जा रहा है कि बेनीवाल और उनके परिवार से कोई अन्य मैदान में नहीं होगा. 2023 में यहां से आरएलपी ने 2 हजार 59 वोट से इलेक्शन जीता था.

जुबेर खान का वर्चस्व रामगढ़ में :अलवर जिले की रामगढ़ सीट पर कांग्रेस ने दिवंगत विधायक जुबेर खान के बेटे को प्रत्याशी बनाया है. आर्यन जुबेर अपनी पारिवारिक विरासत को बचाने के लिए जहां चुनावी मैदान में होंगे, वहीं पिछले चुनाव में भाजपा के बागी रहे सुखवंत सिंह उनके सामने कमल के निशान पर प्रत्याशी रहेंगे. बीते दो चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे सुखवंत को पिछले चुनाव में 70000 से ज्यादा वोट मिले थे. बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जुबेर खान ने 19 हज़ार 696 वोट से जीत हासिल की थी.

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सलूंबर में बदल गया चेहरा :सलूंबर से कांग्रेस ने बड़ा फैसला लेते हुए रघुवीर मीणा का टिकट काटकर पहले बागी रही रेशमा मीणा को प्रत्याशी बनाया है. यहां विधायक अमृतलाल मीणा के निधन से खाली हुई सीट पर उनकी पत्नी को ही प्रत्याशी बनाया गया है. शांता देवी मीणा यहां कांग्रेस के लिए चुनौती रहे गढ़ में मुकाबला कड़ा बनाएंगी. इस सीट पर भाजपा के अमृतलाल मीणा ने 14 हजार 691 वोट से विजय पताका फहराया था.

बाप से है मुश्किल मुकाबला :आदिवासी बाहुल्य डूंगरपुर जिले की चौरासी सीट पर नए और युवा चेहरे के रूप में महेश रोत इस बार कांग्रेस के प्रत्याशी रहेंगे. वे सरपंच रहे हैं और स्वच्छ छवि रही है. भाजपा ने यहां से कारीलाल ननोमा को उतारा है. वहीं, बाप ने अनिल कटारा को प्रत्याशी बनाया है. बाप के राजकुमार रोत बीएपी के बैनर पर 69 हजार 166 वोट से जीते थे.

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