देहरादून:उत्तराखंड में अप्रैल महीना जून की गर्मी का अहसास करवा गया. अब मई महीने की शुरुआत भी लोगों के पसीने छुड़वा रही है. जाहिर है कि गर्मी का मौसम आ चुका है. ऐसे में गर्मी का अहसास होना भी लाजमी है, लेकिन चिंता मौसम के कुछ बदले हुए रवैए को लेकर है. स्थिति ये है कि पर्वतीय जिले बारिश के लिए तरस रहे हैं. उधर, देहरादून और उधमसिंह नगर जैसे मैदानी जिले बारिश के लिहाज से कुछ अलग दिशा में दिखाई दे रहे हैं. मौसम विभाग के आंकड़े ही इन बदले हुए हालातों को बयां कर रहे हैं.
पहाड़ी जिलों में बेहद कम हुई बारिश:उत्तराखंड में 13 जिलों पर मार्च और अप्रैल महीने के दौरान हुई बारिश के रिकॉर्ड का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि ज्यादातर मैदानी जिलों में बारिश की उपलब्धता सामान्य से माइनस की तरफ दिखाई देती है. यानी पर्वतीय जिलों में बारिश की मात्रा सामान्य से भी कम हो रही है. पिथौरागढ़ जिले में तो 53 फीसदी बारिश इन दो महीनों में कम हुई है. दूसरे नंबर पर नैनीताल जिला दिखाई देता है.
जहां 2 महीने के भीतर 37 फीसदी बारिश सामान्य से कम रिकॉर्ड की गई है. इसी तरह गढ़वाल में रुद्रप्रयाग जिला भी 32 फीसदी कम बारिश से जूझ रहा है. चंपावत जिले में 28 फीसदी बारिश कम हुई है. अल्मोड़ा में भी 22 फीसदी कम बारिश हुई है. इसके अलावा उत्तरकाशी, चमोली और बागेश्वर में भी मामूली कमी रिकॉर्ड हुई है.
उत्तराखंड के मैदान में जिलों की बात करें तो उधमसिंह नगर में इसके उलट 56 फीसदी बारिश पिछले दो महीने में सामान्य से ज्यादा रिकॉर्ड की गई है. जबकि, देहरादून में भी सामान्य बारिश रिकॉर्ड हुई है. यानी राज्य के तीन मैदानी जिलों में से दो जिलों में बारिश की स्थिति सामान्य है. हालांकि, इस मामले में हरिद्वार जिला कुछ अपवाद सा दिखता है. क्योंकि, यहां पर बारिश 26 फीसदी कम रिकॉर्ड हुई है.
बारिश की कमी से जूझ रहे कुमाऊं मंडल के ज्यादातर पर्वतीय जिले:उत्तराखंड में कुमाऊं क्षेत्र बारिश को लेकर ज्यादा प्रभावित दिखाई देता है. कुमाऊं मंडल के ज्यादातर पर्वतीय जिले बारिश की कमी से जूझ रहे हैं. मौसम विभाग के वैज्ञानिक रोहित थपलियाल कहते हैं कि अभी ओवरऑल 2 महीने में बारिश 22 फीसदी कम रिकॉर्ड की गई है. यह स्थिति तब है, जब मार्च महीने में ज्यादा बारिश हुई थी यानी अप्रैल महीना बारिश के लिहाज से खाली गया.