दिल्ली

delhi

8 साल पहले चोरी हुए बैग का अब RAILWAY को देना होगा 1.08 लाख हर्जाना - Railway compensation to passenger

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jun 25, 2024, 12:31 PM IST

Railway compensation to passenger: दिल्ली के एक उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने भारतीय रेलवे को सेवाओं में लापरवाही बरतने का दोषी पाया है. इस मामले में रेलवे के संबंधित महाप्रबंधक को एक यात्री को हर्जाना देने का आदेश भी दिया है.

Etv Bharat
Etv Bharat (Etv Bharat)

नई दिल्ली: भारत में ट्रेन से हर दिन लाखों लोग यात्रा करते हैं. यात्रा के दौरान कई यात्रियों के सामान की चोरी की खबरें भी सामने आती है. ऐसे मामलों में कई यात्री रिपोर्ट दर्ज कराते हैं तो कई आगे की कार्रवाई से बचते हैं. एक ऐसे ही यात्री का मामला सामने आया है. जिसने 8 साल तक अपने हक की लड़ाई लड़ी इन दिनों सुर्खियों में है. जिसने रेलवे को हराकर अपने हक की लड़ाई जीत ली है.

दरअसल, दिल्ली के एक कंज्यूमर कोर्ट ने भारतीय रेलवे को सेवा में कमी का दोषी ठहराते हुए रेलवे के संबंधित महाप्रबंधक को एक यात्री को एक लाख आठ हजार रूपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है. यात्री का बैग यात्रा के दौरान चोरी हो गया था. जिला उपभोक्ता अदालत पीड़ित की शिकायत पर सुनवाई कर रही थी. पीड़ित ने अपनी शिकायत में कहा था कि उसका 80 हजार रुपये मूल्य का कीमती सामान वाला बैग जनवरी 2016 में झांसी और ग्वालियर के बीच कुछ बिना टिकट वाले यात्रियों द्वारा चुरा लिया गया था.

यात्रियों के सामान की सुरक्षा रेलवे का कर्तव्य

यह घटना मालवा एक्सप्रेस के आरक्षित डिब्बे में यात्रा के दौरान हुई थी. शिकायत में कहा गया कि सुरक्षित और आरामदायक यात्रा के साथ-साथ यात्रियों के सामान की सुरक्षा करना भी रेलवे का कर्तव्य था. आयोग ने तीन जून को पारित आदेश में कहा कि चूंकि शिकायतकर्ता नई दिल्ली से ट्रेन में सवार हुआ था, इसलिए मामले की सुनवाई करना उसके अधिकार क्षेत्र में आता है. आयोग के अध्यक्ष इंदरजीत सिंह और सदस्य रश्मि बंसल ने मामले की सुनवाई की. आयोग ने कहा कि यदि प्रतिवादी या उसके कर्मियों की ओर से सेवाओं में कोई लापरवाही या कमी नहीं होती तो ऐसी घटना नहीं होती.

देनी होगी मानसिक पीड़ा और मुकदमे की लागत

यात्रा के दौरान शिकायतकर्ता द्वारा ले जाए जा रहे सामान के मूल्य को नकारने के लिए कोई अन्य बचाव या सबूत नहीं है. इसलिए शिकायतकर्ता को 80,000 रुपये के नुकसान की प्रतिपूर्ति का हकदार माना जाता है. अदालत ने उन्हें असुविधा, उत्पीड़न और मानसिक पीड़ा के लिए 20,000 रुपये का हर्जाना देने के अलावा मुकदमे की लागत के लिए 8,000 रुपये देने का भी आदेश दिया. बता दें कि इस तरह से यात्री को पूरे मामले में न्याय के लिए आठ साल का इंतजार करना पड़ा. लेकिन, उपभोक्ता कानून की जानकारी होने के चलते उसने हार नहीं मानी और अंततः उसकी जीत हुई.

यह भी पढ़ें-ग्रेटर नोएडा में सॉफ्टवेयर कंपनी के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के टैंक में डूबने से तीन सफाई कर्मियों की मौत, जानें पूरा मामला

ABOUT THE AUTHOR

...view details