जयपुर. बीते साल हुई तृतीय श्रेणी और द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में एडिशनल सब्जेक्ट से ग्रेजुएशन करने वाले अभ्यर्थियों को प्रोविजनल लिस्ट में रखा गया है. मामला फिलहाल कोर्ट में है, ऐसे में करीब एक हजार अभ्यर्थियों का भविष्य कोर्ट के डिसीजन पर निर्भर करेगा, लेकिन जिस एडिशनल डिग्री को लेकर कर्मचारी चयन बोर्ड और आरपीएससी की ओर से सवाल उठाए गए, वो कोर्स राजस्थान विश्वविद्यालय में अभी भी हो रहा है. इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन का तर्क है कि ये समस्या कोर्स की नहीं, बल्कि बोर्ड और आरपीएससी की ओर से निर्धारित की गई एलिजिबिलिटी की है.
आधुनिक शिक्षा प्रणाली के तहत स्नातक डिग्री के बाद एक अतिरिक्त विषय में उच्च शिक्षा की डिग्री लेने का प्रावधान निर्धारित किया गया. इस पहल के तहत राजस्थान विश्वविद्यालय और कई अन्य सरकारी विश्वविद्यालय में भी एडिशनल डिग्री देना शुरू किया. जिसका फायदा अभ्यर्थियों को 2016 और 2018 में हुई शिक्षक भर्ती में भी मिला, लेकिन बीते साल हुई तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती और द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में एडीशनल सब्जेक्ट से स्नातक करने वाले अभ्यर्थियों को प्रोविजन लिस्ट में रखा गया. इसके चलते अभ्यर्थियों को विरोध के रास्ते पर उतरना पड़ा. अभ्यर्थियों ने बताया कि राजस्थान विश्वविद्यालय सहित दूसरे विश्वविद्यालय में एडीशनल सब्जेक्ट कराया जा रहा है और अभ्यर्थी आने वाली भर्ती परीक्षा में चौथे सब्जेक्ट या एडीशनल सब्जेक्ट का लाभ मिलने की उम्मीद के साथ एडीशनल सब्जेक्ट से डिग्री भी कर रहा है. डिग्री मान्य भी है और पहले भी नियुक्तियां हुई हैं, तो इस बार सरकारी नौकरी में उन्हें क्यों अटकाया गया.