रांची: एक तो ऐसे ही देश में राष्ट्रीय पशु यानी बाघ की संख्या कम है. ऊपर से जब यह पता चले कि चिड़ियाघर के अंदर बाघिन के चार नवजात शावकों की मौत हो गई है तो आश्चर्य होना लाजमी है. क्योंकि इनमें से दो शावक व्हाइट टाइगर प्रजाति के थे. मामला रांची के भगवान बिरसा जैविक उद्यान से जुड़ा है. यह चिड़ियाघर, राजधानी से करीब 20 किलोमीटर दूर ओरमांझी में एनएच-33 के बगल में है. इक्यासी हेक्टेयर में फैले इस चिड़ियाघर में गौरी नाम की बाघिन ने चार शावकों को जन्म दिया लेकिन दुर्भाग्यवश सभी की जान चली गई. लिहाजा, ईटीवी भारत की टीम ने शावकों की मौत की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.
गौरी नाम की बाघिन ने कब दिया शावकों को जन्म
जू प्रबंधन को अंदेशा हो गया था कि 10 मई की रात वह शावकों को जन्म दे सकती है. इसलिए सीसीटीवी के जरिए उसकी हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही थी. 10 मई को मध्य रात्रि के बाद 11 मई को रात करीब 2 बजे गौरी ने एक शावक को जन्म दिया. लेकिन जन्म लेते ही शावक की मौत हो गई. इसके महज एक घंटे बाद यानी 11 मई को अहले सुबह 3 बजकर 12 मिनट पर दूसरे शावक को जन्म दिया. तीसरे शावक का जन्म सुबह 7.30 बजे और चौथे का जन्म सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर हुआ.
शावकों का केयर नहीं कर पाई बाघिन- डॉ ओपी साहू
भगवान बिरसा जैविक उद्यान के पशु चिकित्सक डॉ ओपी साहू ने ईटीवी भारत को बताया कि एक शावक तो जन्म लेते ही मर गया था क्योंकि उसका आधा शरीर बाहर आने से पहले ही गौरी बैठ गई थी. पहले शावक की मौत होते ही उसको केज से हटा लिया गया. इसके बाद उसने एक-एक करके तीन और शावकों को जन्म दिया. सभी शावक हेल्दी थे. लेकिन पहली बार मां बनने की वजह से वह बच्चों का केयर नहीं कर पा रही थी.
बच्चे दूध पीना चाह रहे थे. बच्चे जब दूध पीने के लिए मां के करीब पहुंचे तो वह उल्टा करवट उन्हीं पर लेट गयी. तीनों शावक अपनी मां के भारी भरकम शरीर के नीचे दब गये. सीसीटीवी में इस घटना को देखते ही जू प्रबंधन की टीम भागकर केज के पास पहुंची और शावकों को रेस्क्यू किया गया. तबतक दो और शावकों की मौत हो चुकी थी. एक शावक सांसे ले रहा था. उसको हाथ से मिल्क फीड कराया गया. लेकिन वह भी ज्यादा देर नहीं जिंदा नहीं रह पाया.
क्या निकला पोस्टमार्टम में
12 मई को वेटनरी कॉलेज से पशुचिकित्सक डॉ एमके गुप्ता को जू बुलाया गया. उन्होंने जू में ही पोस्टमार्टम किया. उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि तीन शावकों के पेट में दूध का एक बूंद भी नहीं मिला, जबकि एक शावक के पेट से थोड़ा दूध मिला क्योंकि उसे हैंड केयरिंग से मिल्क फीड कराया गया था. सभी शावकों के चेस्ट में ब्लड ट्रेस मिले. उन्होंने अंदेशा जताया कि मां के वजन से दबने कारण ही सभी शावकों की मौत हुई होगी. इसके बाद वाइल्ड लाइफ एक्स की धाराओं का पालन करते हुए शावकों को इनसिनेरेशन यानी जला दिया गया.