वाराणसी :इस बार की गर्मी में हुई ट्रिपिंग की समस्या ने बिजली विभाग के सारे दावों की पोल खोल कर रख दी. सारे इंतजाम ध्वस्त नजर आए. ऐसे में सब स्टेशनों पर होने वाले बिजली ट्रिपिंग की समस्या को दूर करने के लिए अब वाराणसी में पहली बार निजी ट्रांसमिशन केंद्र शुरू होने जा रहा है, जो छोटे सब स्टेशनों को बिजली देने का काम करेगा. खास बात यह है कि पूर्वांचल में यह पहला निजी टीबीसीबी यानी की टैरिक बेस्ड कंपीटिटिव बिडिंग और जीआई बेस्ड होगा, जो बनारस के अन्य छोटे केंद्रों को बिजली बेचने का काम करेगा. इससे सब स्टेशन पर होने वाली ट्रिपिंग की समस्या का समाधान होगा.
बिजली विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, यह पूर्वांचल का पहला निजी ट्रांसमिशन उपकेंद्र है. बनारस के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के परिसर में बन रहा यह उपकेंद्र 220 केवी का होगा. लगभग 200 करोड़ की लागत से यह प्रोजेक्ट तैयार हो रहा है. बिजली विभाग 35 साल की लीज पर निजी कंपनी को इसे देगा. इसके साथ ही प्रदेश में तीन और निजी बेस्ट उपकेंद्र बनाए जा रहे हैं, जिसमें जेवर में 400 केवी, गौतमबुद्ध नगर व खागा में 220 केवी का उपकेंद्र तैयार होगा. वाराणसी में तैयार होने वाला यह उपकेंद्र लगभग डेढ़ साल में बनकर तैयार हो जाएगा, जो अपने-अपने क्षेत्र के विद्युत उपकेंद्र में बिजली को बेचेगा. कंपनी इसके लिए विभाग को प्रति यूनिट 19 पैसे ही लाइन चार्ज के रूप में देगी.
जौनपुर पर बिजली का कम होगा भार :बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता दिनेश चंद्र दीक्षित ने बताया कि, पूर्वांचल का यह पहला टैरिक बेस्ड कॉम्पिटेटिव बिडिंग आधारित उपकेंद्र होगा, जो दूसरे उपकेंद्र को बिजली बेचेगा. अभी तक दूसरे उपकेंद्रों पर सरकारी विद्युत परीक्षण उपकेंद्र से ही बिजली दी जाती थी, लेकिन अब संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में बना रहे ट्रांसमिशन उपकेंद्र को बिजली बेचने की जिम्मेदारी होगी. इस उपकेंद्र को 132 केवी उपकेंद्र सारनाथ व गजोखर से जोड़ने की तैयारी भी चल रही है. इसके बन जाने से सारनाथ व जौनपुर का भार काम होगा. इसके साथ ही शहर के अंदर भेलूपुर को लगभग 220 केवी का उपकेंद्र बड़ी राहत देगा.