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हरिद्वार में अहिल्यादेवी होलकर पुरस्कार सम्मान समारोह, कैलाशानंद गिरी ने पीएम मोदी की तारीफ - स्वामी कैलाशानंद गिरी

Punyashlok Ahilyadevi Holkar National Award 2023 हरिद्वार में अहिल्यादेवी होल्कर पुरस्कार सम्मान समारोह में समाजसेवा, मानव कल्याण और नारी उत्थान के लिए बेहतर काम करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया. इस दौरान निरंजनी अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने नरेंद्र मोदी की तुलना अहिल्यादेवी होल्कर से की.

Ahilyadevi Holkar National Award 2023
अहिल्यादेवी होलकर राष्ट्रीय पुरस्कार सम्मान समारोह

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 11, 2024, 12:11 PM IST

हरिद्वार: पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी धर्मपीठ की ओर से पहली बार हरिद्वार में पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर राष्ट्रीय पुरस्कार 2023 समारोह का आयोजन किया गया. जिसे निरंजनी अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया. समारोह में हाईकोर्ट के रिटायर जज लोकपाल सिंह समेत काफी संख्या में साधु संत और अन्य लोग शामिल हुए. इस दौरान समाजसेवा, मानव कल्याण और नारी उत्थान के लिए बेहतर काम करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया.

अहिल्यादेवी होलकर सम्मान समारोह

कार्यक्रम आयोजक सागर धापते पाटिल ने बताया कि साल 2020 में महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की अध्यक्षता में उन्होंने पहला सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया था. तब से लगातार वो कार्यक्रम आयोजित करते आ रहे हैं. इस कार्यक्रम को करने का उद्देश्य समाज के लिए काम कर रहे लोगों को प्रोत्साहन देना और उनका सम्मान करना है. जिसमें सभी क्षेत्रों से लोगों का सम्मान किया जाता है, चाहे वो खेल कूद हो या आम जीवन हो.

वहीं, स्वामी कैलाशानंद गिरी ने बताया कि महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने सोमनाथ और काशी विश्वनाथ जैसे मठ मंदिरों की रक्षा की. साथ ही उनका जीर्णोद्धार भी कराया. अहिल्याबाई होल्कर को देवी का स्वरूप माना जाता है. इसलिए ही उनके नाम से लोगों को सम्मानित किया गया है. उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होलकर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने सनातन मठ मंदिरों की रक्षा की है.

निरंजनी अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने मंच के माध्यम से लोगों से खास अपील की. उन्होंने कहा कि सभी लोग अहिल्याबाई होलकर की संघर्ष की कहानी आम जनता तक पहुंचाने का काम करें. क्योंकि, आज के समय में ऐसे लोग हैं, जो उनके संघर्ष की कहानी को नहीं जानते हैं. उन्होंने किस तरह से संघर्ष करके मठ मंदिरों की रक्षा की और धर्म का प्रचार प्रसार किया. यह लोग जान सकें.

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