प्रयागराज : करोड़ों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करते हैं. वहीं यहां आने वाले साधु-संत-महात्मा सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करने के साथ ही उसकी रक्षा और संरक्षण के लिए भी कार्य करते हैं. गौ रक्षा और गंगा की रक्षा का संकल्प भी लेते हैं. इसी कड़ी में महाकुंभ में पुंगनूर नस्ल की गायों को भी लाया गया है. इस नस्ल की गाय का महत्व बताने के साथ ही लोगों को गौ संरक्षण के लिए भी जागरूक किया जा रहा है.
महाकुंभ मेले के सेक्टर 21 में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से देसी नस्ल की पुंगनूर गायों को शिविर में लाया गया है. श्री कृष्णायन देशी गौ रक्षा शाला हरिद्वार के शिविर में पुंगनूर नस्ल की गाय का दर्शन करने के लिए लोगों की भीड़ जुट रही है. पुंगनूर नस्ल की ये गायें आम गाय के मुकाबले देखने में काफी छोटी ऊंचाई-लंबाई और चौड़ाई की दिखती है. उत्तर भारत में मिलने वाली देशी गायों के बच्चे के बराबर की ये गायें दूध भी देती हैं. उनकी खुराक भी काफी कम है.
दूध से बनी मिठाई से भगवान को लगता है भोग :इसके साथ ही उन्हें पालने के लिए ज्यादा जगह की भी जरूरत नहीं पड़ती है. छोटे घरों में रहने वाले लोग भी इन गायों को पालकर गौ सेवा कर सकते हैं, जो भी लोग गाय पालना चाहते हैं और उनके पास ज्यादा जगह नहीं है तो ऐसे लोग भी कम स्थान में इन छोटी नस्ल की इन देशी गायों को पाल सकते हैं. दक्षिण भारत में मिलने वाली इस नस्ल की गायों के दूध से बने मिष्ठान से प्रसिद्ध मंदिरों में भगवान को भोग लगाया जाता है. जिससे इन गायों की धार्मिक महत्व को भी आसानी से समझा जा सकता है.
महाकुंभ मेले में आए कई साधु संत अपने साथ गायों को भी लाए हैं. गौ को सनातन धर्म में विशेष दर्जा दिया गया है. गाय के रोम रोम में भगवान के वास करने की मान्यता है. यही कारण है कि महाकुंभ मेले में आए साधु संत लोगों को गौ हत्या बंद करने और उसके संरक्षण तथा पालन पोषण का संदेश दे रहे हैं. इसके जरिए लोगों को इस बात के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं कि लोग अपने घरों में गाय को पालें और उनकी सेवा करें.