रांची: विभिन्न मांगों को लेकर झारखंड दिव्यांग आंदोलन संघ के बैनर तले पिछले 85 दिनों से दिव्यांग रांची में सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके तहत शुक्रवार को राजभवन के समक्ष प्रदर्शन कर रहे दिव्यांगों ने थाली बजाकर सरकार को जगाने की कोशिश की. थाली और बर्तन बजा रहे प्रदर्शनकारियों ने कहा कि आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 के तहत राज्य सरकार यह सुनिश्चित करें कि प्रदेश की सभी योजनाओं और नियुक्तियों में पांच प्रतिशत हिस्सेदारी दिव्यांगों को दी जाए.
थाली बजाकर सरकार को नींद से जगाने की कोशिश की
मौके पर दिव्यांग मुकेश कुमार ने कहा कि कोरोना काल के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से थाली और बर्तन बजवा कर एकजुटता दिखाने की बात कही थी. इसलिए आज राज्य के सभी दिव्यांगों ने अपनी एकजुटता दिखाने के लिए थाली बजाने का काम किया है और इसके माध्यम से सरकार को जगाने की कोशिश की. वहीं सरकार तक अपनी बातें पहुंचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे दिव्यांग विधानसभा घेराव करने की भी तैयारी कर रहे थे, लेकिन जिला प्रशासन ने उन्हें राजभवन की ओर जाने की अनुमति नहीं दी.
हेमंत सोरेन ने नहीं पूरा किया वादा
वहीं दिव्यांगों ने कहा कि वर्ष 2022-2023 में भी विधानसभा सत्र के दौरान घेराव और प्रदर्शन किया गया था, लेकिन वहां पर जिला प्रशासन ने बर्बरता पूर्वक दिव्यांगों पर लाठीचार्ज कर उन्हें घायल कर दिया था. दिव्यांगों ने कहा कि झारखंड राज्य में दिव्यांगों की जो हालात है वह किसी से छुपी नहीं है. हेमंत सोरेन की सरकार ने वादा किया था कि दिव्यांगों की पेंशन बढ़ाकर ढाई हजार रुपए कर देंगे , लेकिन अभी तक दिव्यांगों की पेंशन में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. वहीं दिव्यांगों की समस्या सुनने वाले नि:शक्तता आयुक्त की अब तक नियुक्ति नहीं की गई है. पिछले 4 वर्षों से यह पद खाली है. जिस वजह से दिव्यांग अपनी समस्याओं को सरकारी अधिकारियों के सामने नहीं रख पा रहे हैं.
वोट की चोट से जवाब देने का किया एलान
इस दौरान प्रदर्शन कर रहे दिव्यांगों ने कहा कि यदि सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं करती है तो आने वाले दिनों में वोट की चोट से तो जवाब दिया ही जाएगा, साथ ही विधानसभा घेराव करने के लिए भी राज्य भर के दिव्यांग कूच करेंगे.