सरगुजा :छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों की वेतन विसंगति का मामला हमेशा से ही गर्माया हुआ रहता है.हर बार कर्मचारी सरकार से वेतन विसंगति को दूर करने की मांग करते हैं. लेकिन यदि इस वेतन विसंगति को दूर किया जाए, तो सरकार के खजाने पर बोझ बढ़ेगा. इस पूरे मामले में ईटीवी भारत ने शिक्षक संघ के नेता सर्वजीत पाठक से बात की और पूरी प्रक्रिया को समझा.
किन कर्मचारियों में वेतन विसंगति ज्यादा :सर्वजीत पाठक के मुताबिक प्रदेश में वेतन विसंगति को लेकर लगातार कर्मचारी और शिक्षक अपने अधिकार की मांग करता रहा है. इसमें आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को छोड़ दें तो लगभग सभी कर्मचारियों का वेतन विसंगति का मामला है. शिक्षकों की वेतन विसंगति में हम शिक्षक एलबी संवर्ग को देखें और रेगुलर शिक्षक का वेतन देखें तो उनमे वेतन में अंतर विसंगति के रूप में दिखाई देता है.
10 से 30 हजार का अंतर :सर्वजीत पाठक के मुताबिकउदाहरण के रूप में हम देखें तो जो सहायक शिक्षक एलबी और शिक्षक एलबी हैं इनके वेतन में करीब 10 हजार रुपये का अंतर है. इनकी तुलना हम रेगुलर शिक्षक से करें तो वो 80 - 85 हजार रुपये वेतन पा रहा है. जबकी एलबी संवर्ग का सहायक शिक्षक मात्र 50 हजार रुपये पा रहा है. ये तीस हजार रुपये का अंतर है. तो वेतन में एक लंबा गैप हो जाता है. अपने ही संवर्ग और अपने ही साथ काम करने वाले व्यक्ति के साथ तो इसको हम वेतन विसंगति के रूप में देखते हैं.
पंचायत संवर्ग से वेतन विसंगति : सर्वजीत पाठक के मुताबिक वेतन में विसंगति तब पैदा हुई ये जब हम पंचायत संवर्ग में थे. तब हमको मानदेय दिया जाता जाता था. बाद में 2002-03 के आस पास तत्कालीन सरकार ने एक वेतन मान दिया. 3800 रुपये का वेतन मान दिया. उसमें वेतन पर महंगाई भत्ता दिया गया. ये तय किया गया कि इनको पदोन्नति दी जाएगी. यदि 7 साल में पदोन्नति नहीं की गई तो 10 साल में क्रमोन्नति दी जाएगी. पर्याप्त पदोन्नति नही की गई. समय मान वेतन मान कुछ लोगों को दिया गया. इसी बीच एक नया वेतन मान पुनरीक्षित वेतन मान 2012 में जब आया तो सहायक शिक्षकों का वेतन 5 हजार और ढाई हजार अध्यापन भत्ते के नाम पर किया गया.