नई दिल्ली/नोएडा :दिल्ली से सटेग्रेटर नोएडा में कबाड़ से जुगाड़ कर बनाए जा रहे हैं इको फ्रेंडली प्रोडक्ट. देश प्रदेश में बढ़ते हुए कबाड़ को कम करने के लिए उनसे इको फ्रेंडली प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं, जो लोगों को काफी पसंद आ रहा है. इको फ्रेंडली प्रोडक्ट का देश ही नहीं विदेशों में भी सराहना मिल रही है. एक छोटा सा स्टार्टअप आज करोड़ों की कंपनी बन चुका है. पेड़ पौधों की पत्तियों, नारियल के छिलके से वह विजिटिंग कार्ड, डायरी, पैन, नोट बुक, पेपर फोल्डर और कैलेंडर सहित कई इको फ्रेंडली प्रोडक्ट बना रहे हैं, जिनकी देश के साथ-साथ विदेशों में भी काफी पसंद किया जा रहा है.
दरअसल, देश में अब सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसलिए दैनिक जीवन में ऐसे इको फ्रेंडली उत्पादों की जगह लेने के लिए विकल्प उपलब्ध है. ग्रेटर नोएडा के रहने वाले अंकित और अतुल त्रिपाठी दो भाइयों ने दैनिक जीवन में सिंगल यूज प्लास्टिक से संबंधित उत्पादों को खत्म करने के लिए एक अनूठी पहल की है. जिसमें वह कबाड़ से इको फ्रेंडली प्रोडक्ट बना रहे हैं, जो दैनिक जीवन प्रयोग किए जाते है. इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता है.
यूनेको के फाउंडर अंकित त्रिपाठी ने बताया वह दिल्ली के भलस्वा डेयरी इलाके में कूड़े के पहाड़ के पास रहते थे. हम तब से प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ योजना बना रहे हैं. हम प्लास्टिक को एक बुरी चीज मानते हैं, लेकिन यह वास्तव में बहुत सारे पेड़ों को बचाता है. हालांकि सिंगल यूज प्लास्टिक पर्यावरण को नष्ट कर रहा है. इसलिए हमने इसे रोजमर्रा की चीजों में बदलने का फैसला किया है.
सिंगल यूज प्लास्टिक से इको फ्रेंडली प्रोडक्ट :अंकित त्रिपाठी ने ग्रेटर नोएडा के एनआईईटी कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने अपने परिवार को बताया कि वह नौकरी नहीं करना चाहते, वह कुछ ऐसा करना चाहते हैं जिससे पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कबाड़ को कम किया जा सके. इसी के बाद उन्होंने अपनी एक यूनेको कंपनी बनाकर कबाड़ से जुगाड़ करने की योजना बनाई. अंकित त्रिपाठी ने बताया कि वह कबाड़ से जुगाड़ कर सिंगल यूज प्लास्टिक से इको फ्रेंडली प्रोडक्ट बना रहे हैं.