लखनऊ: छोटे निजी अस्पतालों को हर साल नवीनीकरण के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय की भाग-दौड़ नहीं करनी पड़ेगी. शासन ने इन अस्पतालों को सशर्त पांच साल के लिए नए पंजीकरण व नवीनीकरण की सुविधा दी है. क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट का संशोधित आदेश स्वास्थ्य विभाग के सचिव रंजन कुमार ने सभी जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्साधिकारियों को भेजा है.
बरेली नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. प्रमेन्द्र माहेश्वरी ने 50 बेड से कम क्षमता के निजी अस्पतालों को पांच साल के लिए पंजीकरण की सुविधा मिलने पर मुख्यमंत्री योगी का आभार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि नर्सिंग होम एसोसिएशन की पुरानी मांग को राज्य सरकार ने पूरा किया है. क्योंकि, अभी तक हम चिकित्सकों को पंजीकरण का नवीनीकरण कराने के लिए हर साल मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में चक्कर लगाने पड़ते थे.
साथ ही कम से कम 20 विभागों के अनापत्ति प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत करने पड़ते थे. इन्हें पूरा करने में काफी समय भी लगता था. अब 15 वर्ग फीट का डिस्प्ले बोर्ड लगाकर पांच साल का पंजीकरण होने से निजी नर्सिंग होम, सुमगता से चिकित्सकीय सेवाएं संचालित कर सकेंगे. लखनऊ नर्सिंग होम एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनूप अग्रवाल का कहना है कि इस निर्णय से सीएमओ कार्यालय को भी राहत मिलेगी. हर साल इस प्रक्रिया से कार्यालय पर लोड पड़ता था.
उन्होंने कहा कि अभी प्राप्त आदेश में बहुत कुछ स्पष्ट नहीं है कि पैथोलॉजी और क्नीनिक इसमें शामिल हैं या नहीं. शासन स्तर से विस्तृत आदेश का इंतजार है. लखनऊ आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. पीके गुप्ता ने कहा कि क्लीनिक, ओपीडी, 50 बेड से कम नर्सिंग होम, पैथोलॉजी लैब और डायग्नोस्टिक सेंटर को पंजीकरण सुविधा मिली है. अब पंजीकरण का वार्षिक नवीनीकरण नहीं होगा.