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विश्व यूनानी दिवस 2025; अजमल खां तिब्बिया काॅलेज में बनाईं जा रहीं 350 दवाएं, जानें किसकी डिमांड ज्यादा? - WORLD UNANI DAY 11 FEBRUARY

अजमल खां तिब्बिया काॅलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर बदरुद्दुजा खान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

विश्व यूनानी दिवस 2025 पर विशेष
विश्व यूनानी दिवस 2025 पर विशेष (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 11, 2025, 5:46 PM IST

अलीगढ़ : विश्व यूनानी दिवस हर साल 11 फरवरी को महान यूनानी विद्वान और समाज सुधारक हकीम अजमल खान की जयंती पर मनाया जाता है. यूनानी चिकित्सा एक बहुत पुरानी चिकित्सा प्रणाली है. इसकी मदद से कई गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा सकता है. विश्व यूनानी दिवस के मौके पर अजमल खां तिब्बिया काॅलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर बदरुद्दुजा खान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

प्रो. बदरुद्दूजा खान व जनरल मैनेजर मोहम्मद शारिक आजम ने दी जानकारी (Video credit: ETV Bharat)

उन्होंने बताया कि अंग्रेजी दवाओं के मुकाबले यूनानी दवाओं की तरफ लोगों का रुझान बढ़ रहा है. मौजूदा सरकार ने खास तौर से यूनानी सिस्टम ऑफ मेडिसिन और आयुर्वेदिक सिस्टम ऑफ मेडिसिन को आयुष मंत्रालय के तहत बहुत बढ़ावा दिया है. सरकार लगातार इसको बढ़ावा दे रही है. उन्होंने बताया कि अलीगढ़ दवाखाना तिब्बिया कॉलेज में करीब 350 प्रकार की यूनानी दवाएं बनती हैं.





विश्व यूनानी दिवस के अवसर पर अजमल खान तिब्बिया कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. बदरुद्दूजा खान ने बताया कि हकीम अजमल खान की जन्म तिथि को केंद्र सरकार ने विश्व यूनानी दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया था. हकीम अजमल खान का गहरा ताल्लुक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिया से रहा है. उनके नाम से अलीगढ़ में कॉलेज, अस्पताल और दवाखाना मौजूद है. उन्होंने बताया कि विश्व यूनानी दिवस के मौके पर आज विज्ञान भवन में एक बड़ा आयोजन किया जा रहा है.



प्रिंसिपल ने बताया कि अजमल खान तिब्बिया कॉलेज में अंडर ग्रेजुएट के लिए 60 और पोस्ट ग्रेजुएट के लिए कुल 11 ब्रांचों में 42 सीट हैं. इनमें प्रवेश करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ रही है, क्योंकि इन कोर्सेज में सेल्फ एंप्लॉयमेंट हैं. सरकार स्टाइपेंड की शक्ल में छात्रों को पैसा भी देती है और हमारे यहां बहुत अच्छी प्रैक्टिस होती है, इसलिए इस कोर्स को अहमियत दी जा रही है. उन्होंने बताया कि अंग्रेजी दवाइयों के मुकाबले में यूनानी दवाओं की तरफ लोगों का रुझान बढ़ रहा है. मौजूदा सरकार खास तौर से यूनानी सिस्टम ऑफ मेडिसिन और आयुर्वेदिक सिस्टम ऑफ मेडिसिन आयुष मंत्रालय के तहत बहुत बढ़ावा दिया है और हुकूमत लगातार इसको बढ़ावा दे रही है.




दवाखाना दिव्या कॉलेज के जनरल मैनेजर मोहम्मद शारिक आजम ने बताया कि कोरोना के बाद से एलोपैथी की दवाइयों के मुकाबले लोगों का यूनानी दवाइयों की तरफ रुझान बढ़ा है, इसलिए हिंदुस्तान में यूनानी दवाइयों को बनाने वाली कंपनियां भी बढ़ी हैं और दवाइयों की मांग भी बढ़ रही है, इसलिए हमारे द्वारा बनाई जा रही दवाइयों की मांग भी बढ़ रही है. हमारे यहां लगभग 350 प्रकार की दवाइयां बनाई जाती हैं जो अलग-अलग बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं.

जनरल मैनेजर मोहम्मद शारिक आजम
जनरल मैनेजर मोहम्मद शारिक आजम (Photo credit: ETV Bharat)

उन्होंने बताया कि हम लोग अपनी दवाइयों में बहुत अच्छी किस्म की चीजें मिलाते हैं और उनकी मात्रा का भी ध्यान रखते हैं. हमारे द्वारा तैयार की जा रही दवाइयां हिंदुस्तान के बड़े शहरों में भी बेची जाती हैं और अगर किसी को हमारी दवाइयों की जरूरत है तो वह अलीगढ़ के दवाखाना तिब्बिया कॉलेज से भी ऑर्डर कर सकता है.

दिमागीन : कॉलेज के जनरल मैनेजर ने बताया कि हमारे यहां सबसे ज्यादा बिकने वाला और अच्छा माने जाने वाला प्रोडक्ट दिमागीन है, जिसको छोटे बच्चों से लेकर बूढ़ा तक खाता है. यह दिमाग को तंदुरुस्त करता है और सुकून भी देता है.

शरबत फौलाद : उन्होंने बताया कि शरबत फौलाद भी बहुत अच्छा प्रोडक्ट है जो शरीर में खून की कमी को दूर करता है. इसकी मांग भी बढ़ रही है. बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है.

खून सफा : खून सफा जो मनुष्य के शरीर में खून की बीमारियों को दूर करता है. यह खून के अंदर की कमियों, जिसके कारण बीमारी पैदा होती है, उनको दूर करने में बहुत लाभदायक है.

विश्व यूनानी दिवस : विश्व यूनानी दिवस हर साल 11 फरवरी को महान यूनानी विद्वान और समाज सुधारक हकीम अजमल खान की जयंती पर मनाया जाता है. भारत में चिकित्सा शिक्षा की शिक्षा प्रणाली 1883 में हकीम गुलाम महमूद खान और हकीम अब्दुल हमीद खान द्वारा मदरसा तिब्बिया दिल्ली की स्थापना के साथ शुरू हुई. इससे पूरे देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयास शुरू हुए. इस बीच उत्तर प्रदेश राज्य में विश्व प्रसिद्ध अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) का मेडिकल कॉलेज, हकीम अजमल खान के नाम पर देश का एकमात्र ऐसा संस्थान है, जिसकी स्थापना 1927 में हुई थी. हकीम अजमल खान का जन्म 11 फरवरी 1868 में हुआ था और और 29 दिसंबर 1927 में उनका निधन हो गया था.

यह भी पढ़ें : जानें, किस महान हस्ती के जन्मदिन को विश्व यूनानी दिवस के रूप में मनाया जाता है - World Unani Day 11 February

यह भी पढ़ें : AMU के यूनानी चिकित्सा संकाय 8 विभागों को मिला तोहफा, एमडी छात्रों को मिलेगा स्टाईपेंड - Aligarh Muslim University - ALIGARH MUSLIM UNIVERSITY

अलीगढ़ : विश्व यूनानी दिवस हर साल 11 फरवरी को महान यूनानी विद्वान और समाज सुधारक हकीम अजमल खान की जयंती पर मनाया जाता है. यूनानी चिकित्सा एक बहुत पुरानी चिकित्सा प्रणाली है. इसकी मदद से कई गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा सकता है. विश्व यूनानी दिवस के मौके पर अजमल खां तिब्बिया काॅलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर बदरुद्दुजा खान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

प्रो. बदरुद्दूजा खान व जनरल मैनेजर मोहम्मद शारिक आजम ने दी जानकारी (Video credit: ETV Bharat)

उन्होंने बताया कि अंग्रेजी दवाओं के मुकाबले यूनानी दवाओं की तरफ लोगों का रुझान बढ़ रहा है. मौजूदा सरकार ने खास तौर से यूनानी सिस्टम ऑफ मेडिसिन और आयुर्वेदिक सिस्टम ऑफ मेडिसिन को आयुष मंत्रालय के तहत बहुत बढ़ावा दिया है. सरकार लगातार इसको बढ़ावा दे रही है. उन्होंने बताया कि अलीगढ़ दवाखाना तिब्बिया कॉलेज में करीब 350 प्रकार की यूनानी दवाएं बनती हैं.





विश्व यूनानी दिवस के अवसर पर अजमल खान तिब्बिया कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. बदरुद्दूजा खान ने बताया कि हकीम अजमल खान की जन्म तिथि को केंद्र सरकार ने विश्व यूनानी दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया था. हकीम अजमल खान का गहरा ताल्लुक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिया से रहा है. उनके नाम से अलीगढ़ में कॉलेज, अस्पताल और दवाखाना मौजूद है. उन्होंने बताया कि विश्व यूनानी दिवस के मौके पर आज विज्ञान भवन में एक बड़ा आयोजन किया जा रहा है.



प्रिंसिपल ने बताया कि अजमल खान तिब्बिया कॉलेज में अंडर ग्रेजुएट के लिए 60 और पोस्ट ग्रेजुएट के लिए कुल 11 ब्रांचों में 42 सीट हैं. इनमें प्रवेश करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ रही है, क्योंकि इन कोर्सेज में सेल्फ एंप्लॉयमेंट हैं. सरकार स्टाइपेंड की शक्ल में छात्रों को पैसा भी देती है और हमारे यहां बहुत अच्छी प्रैक्टिस होती है, इसलिए इस कोर्स को अहमियत दी जा रही है. उन्होंने बताया कि अंग्रेजी दवाइयों के मुकाबले में यूनानी दवाओं की तरफ लोगों का रुझान बढ़ रहा है. मौजूदा सरकार खास तौर से यूनानी सिस्टम ऑफ मेडिसिन और आयुर्वेदिक सिस्टम ऑफ मेडिसिन आयुष मंत्रालय के तहत बहुत बढ़ावा दिया है और हुकूमत लगातार इसको बढ़ावा दे रही है.




दवाखाना दिव्या कॉलेज के जनरल मैनेजर मोहम्मद शारिक आजम ने बताया कि कोरोना के बाद से एलोपैथी की दवाइयों के मुकाबले लोगों का यूनानी दवाइयों की तरफ रुझान बढ़ा है, इसलिए हिंदुस्तान में यूनानी दवाइयों को बनाने वाली कंपनियां भी बढ़ी हैं और दवाइयों की मांग भी बढ़ रही है, इसलिए हमारे द्वारा बनाई जा रही दवाइयों की मांग भी बढ़ रही है. हमारे यहां लगभग 350 प्रकार की दवाइयां बनाई जाती हैं जो अलग-अलग बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं.

जनरल मैनेजर मोहम्मद शारिक आजम
जनरल मैनेजर मोहम्मद शारिक आजम (Photo credit: ETV Bharat)

उन्होंने बताया कि हम लोग अपनी दवाइयों में बहुत अच्छी किस्म की चीजें मिलाते हैं और उनकी मात्रा का भी ध्यान रखते हैं. हमारे द्वारा तैयार की जा रही दवाइयां हिंदुस्तान के बड़े शहरों में भी बेची जाती हैं और अगर किसी को हमारी दवाइयों की जरूरत है तो वह अलीगढ़ के दवाखाना तिब्बिया कॉलेज से भी ऑर्डर कर सकता है.

दिमागीन : कॉलेज के जनरल मैनेजर ने बताया कि हमारे यहां सबसे ज्यादा बिकने वाला और अच्छा माने जाने वाला प्रोडक्ट दिमागीन है, जिसको छोटे बच्चों से लेकर बूढ़ा तक खाता है. यह दिमाग को तंदुरुस्त करता है और सुकून भी देता है.

शरबत फौलाद : उन्होंने बताया कि शरबत फौलाद भी बहुत अच्छा प्रोडक्ट है जो शरीर में खून की कमी को दूर करता है. इसकी मांग भी बढ़ रही है. बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है.

खून सफा : खून सफा जो मनुष्य के शरीर में खून की बीमारियों को दूर करता है. यह खून के अंदर की कमियों, जिसके कारण बीमारी पैदा होती है, उनको दूर करने में बहुत लाभदायक है.

विश्व यूनानी दिवस : विश्व यूनानी दिवस हर साल 11 फरवरी को महान यूनानी विद्वान और समाज सुधारक हकीम अजमल खान की जयंती पर मनाया जाता है. भारत में चिकित्सा शिक्षा की शिक्षा प्रणाली 1883 में हकीम गुलाम महमूद खान और हकीम अब्दुल हमीद खान द्वारा मदरसा तिब्बिया दिल्ली की स्थापना के साथ शुरू हुई. इससे पूरे देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयास शुरू हुए. इस बीच उत्तर प्रदेश राज्य में विश्व प्रसिद्ध अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) का मेडिकल कॉलेज, हकीम अजमल खान के नाम पर देश का एकमात्र ऐसा संस्थान है, जिसकी स्थापना 1927 में हुई थी. हकीम अजमल खान का जन्म 11 फरवरी 1868 में हुआ था और और 29 दिसंबर 1927 में उनका निधन हो गया था.

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