लातेहार:आदिम जनजाति समुदाय आज भी सरकारी सुविधाओं का इंतजार कर रहा है. इस समुदाय में शामिल मनिका प्रखंड के बिजलीदाग परहिया टोला में रहने वाले कामेश्वर परहिया और फुलमनी परहिया हैं जिन्हे अब भी सरकारी सुविधाओं के नाम सिर्फ राशन ही मिल पाता है. इसके अलावा सभी सरकारी सुविधाओं से ये आज भी वंचित हैं.
दरअसल बिजलीदाग के परहिया टोला निवासी कामेश्वर परहिया का परिवार बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर है. कामेश्वर बताते हैं कि उनके परिवार में ना किसी को पेंशन मिल रहा है और ना ही उन्हें आवास की सुविधा दी गई है. यही कारण है कि वो बड़ी बहन फुलमनी के साथ दूसरे के मिट्टी के घर में रहकर किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं. कामेश्वर ने बताया कि उसे सरकारी सुविधा के नाम पर सिर्फ राशन मिल पाता है. नल-जल योजना के तहत शुद्ध पानी तक नसीब नहीं हुआ है. गांव में उसकी अपनी जमीन भी है, लेकिन आज तक आवास की सुविधा नहीं मिल पाई.
50 वर्ष से ऊपर की हुई फुलमनी, पर पेंशन भी नसीब नहीं
वहीं कामेश्वर की बड़ी बहन फूलमनी परहिया की उम्र 50 वर्ष से अधिक हो गई है. इसके बावजूद उसे आज तक पेंशन नहीं मिल पाया है. जबकि सरकारी प्रावधान है कि आदिम जनजातियों को 18 वर्ष पूरा होने के बाद पेंशन की सुविधा मिलनी है. फुलमनी को इस नियम का कोई लाभ नहीं मिल पाता है. फुलमनी बताती हैं कि उसका घर बगल के गांव में है, परंतु घर में उसके सिवा कोई नहीं है. इसी कारण वह अपने भाई के गांव में आकर रहती है. उन्होंने कहा कि कई बार पेंशन और आवास के लिए उसने गुहार लगाई, लेकिन जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी तक उनकी बात को सुनने को तैयार नहीं हैं.
परहिया टोला है बदहाल