रांची: झारखंड बीजेपी के लिए साल 2024 निराशाजनक रहा. संगठनात्मक मजबूती के अलावा चुनावी रणनीति बनाने में जुटे भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता प्रदेश में कमल खिलाने में असफल रहे.
बीजेपी लोकसभा चुनाव के बाद झारखंड विधानसभा चुनाव में भी वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाई जिसकी उम्मीद पार्टी नेताओं को थी. झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी महज 21 सीटों पर सिमट कर रह गई. माना जा रहा है कि झारखंड का ये चुनाव परिणाम दूरगामी प्रभाव डालेगा. इसी तरह लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को 9 सीट जीतकर ही संतोष करना पड़ा.
चुनाव परिणाम ऐसे क्यों हुए इसपर पार्टी के अंदर मंथन का दौर जारी है. बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक कहते हैं कि यह बात सही है कि हम सीटों की संख्या में जरूर कम लाए हैं मगर हमने लोकसभा चुनाव में 84 लाख और विधानसभा चुनाव में 59 लाख वोट लाया है. 22 दिसंबर से सदस्य अभियान की शुरुआत हो रही है, जितना हमने वोट लाया है उससे ज्यादा सदस्य बना कर झारखंड में भी मजबूत संगठन खड़ा करेंगे और नई ऊर्जा के साथ संकल्प लेकर बदलते परिवेश में हम चुनौतियों का सामना करेंगे.
ट्राइबल सीट साधने में ओबीसी वोट बैंक भी खिसका
चुनावी साल में संगठन के अंदर फेरबदल के साथ पार्टी सामाजिक-राजनीतिक समीकरण बनाने पर ज्यादा ध्यान देने में जुटी रही. अनुसूचित क्षेत्र में कमल खिलाने की मुहिम में जुटी बीजेपी ने बड़े ट्रायबल लीडर को पार्टी के अंदर लाने में जुटी रही. पूर्व सीएम चंपाई सोरेन, सीता सोरेन, गीता कोड़ा, लोबिन हेम्ब्रम जैसे नेताओं ने आखिर आखिर में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. हालांकि इसका जो लाभ मिलने की उम्मीद की जा रही थी वह चुनावी समर में नहीं मिला. सीता और गीता चुनाव के वक्त काफी सुर्खियों में रही मगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में खुद चुनाव नहीं जीत पाई. इसी तरह बाबूलाल मरांडी, चंपाई सोरेन को छोड़कर पार्टी के अधिकांश ट्रायबल लीडर या तो खुद या उनके संबंधी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. ट्राइबल सीट साधने में बीजेपी को ओबीसी वोट बैंक खिसक गया जिस वजह से इस बार आजसू का साथ रहने के बावजूद कोई लाभ एनडीए के खाते में नहीं पहुंचा.
संगठन में होता रहा फेरबदल, दूसरे राज्यों के नेताओं पर ज्यादा भरोसा
चुनावी साल होने की वजह से बीजेपी में संगठनात्मक फेरबदल वर्ष 2023 के मध्य से ही शुरू हो गया था, जो 2024 के आने के बाद तक जारी रहा. बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में जुलाई 2023 में बनी झारखंड बीजेपी की नयी टीम 2024 में फंक्शनल होते ही संगठन पर काबिज होने लगी. जिसका साइड इफेक्ट भी पार्टी के अंदर दिखने लगा. कई पुराने नेता किनारे होते चले गए.
कई नेताओं में नाराजगी
लोकसभा चुनाव में टिकट कटने के बाद कई सिटिंग सांसदों की नाराजगी खुलकर सामने आई. जयंत सिन्हा और आदित्य साहू के बीच जारी पत्राचार सोशल मीडिया से लेकर समाचार पत्रों तक पहुंच गया. इन सबके बीच जुलाई 2024 में बीजेपी प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी बनाए गए. इसके अलावा विधानसभा चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और सह प्रभारी असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को बनाया गया. विधानसभा चुनाव का कमान हिमंता बिस्वा सरमा ने कुछ इस तरह संभाला कि सभी नेता गौण पर गए. जाहिर तौर पर पार्टी के अंदर दबी जुबान से इसकी आलोचना होनी शुरू हुई. इसके बावजूद चुनाव को लेकर पार्टी के द्वारा मजबूती के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी होती रही.
टिकट बंटवारे पर नाराजगी
टिकट बंटवारे को लेकर भी पार्टी के अंदर नाराजगी खुलकर सामने आई इन सबके बीच बीजेपी ने प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र राय को बनाकर सामाजिक समीकरण दुरुस्त करने की कोशिश की. हालांकि इसका कोई खास लाभ चुनाव के दौरान देखने को नहीं मिला. बहरहाल खट्टे मीठे अनुभव के साथ पार्टी चुनाव परिणाम को स्वीकार कर वर्तमान परिस्थिति से उबरने में जुटी है.
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