लखनऊ : शहर के महिला कहानीकारों की 50 कहानियों का स्क्रीन प्ले तैयार कर उनको मंच पर उतारने की तैयारी हो रही है. यह वह महिला कहानीकार और साहित्यकार हैं, जिन्होंने साहित्य और कहानी के फील्ड में बड़ा काम किया है, लेकिन आम लोगों के बीच में उनको ऐसी ख्याति नहीं मिली है जिसकी वह हकदार हैं.
वरिष्ठ रंगकर्मी संगम बहुगुणा ने दी जानकारी (Video credit: ETV Bharat) यह पहला मौका होगा जब इतने बड़े स्तर पर इन महिला कहानीकारों की कहानियों को पेश किया जाएगा. खास बात यह है कि महिला लेखकों के साथ सारे कलाकार भी लखनऊ के ही होंगे. यह अद्भुत प्रयोग शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी संगम बहुगुणा करने जा रहे हैं, जो फरवरी में '30 डेज 30 प्लेज' के नाम से एक थिएटर फेस्टिवल कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके हैं. इस बार वह एक अनोखा प्रयोग करके नया रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में लगे हैं.
लखनऊमय होगा थिएटर फेस्टिवल : वरिष्ठ रंगकर्मी संगम बहुगुणा ने बताया कि इस बार मैंने जितने भी महिला साहित्यकार व कहानीकारों की कहानियों का चयन किया है, उसमें सभी लखनऊ के ही हैं. सारी कहानियां लखनऊ की महिला लेखकों की होने के साथ ही नाटक के सारे कलाकार भी शहर के ही होंगे. अन्य शहरों के भी थिएटर आर्टिस्ट इसका हिस्सा बनना चाहते हैं, लेकिन प्रैक्टिकली यह संभव नहीं है, क्योंकि महीने तक उनको यहीं पर रुककर तैयारी करना होता है. इसमें शहर के सीनियर आर्टिस्ट से लेकर फ्रेशर तक शामिल हैं. इसमें कई तो ऐसे कलाकार हैं, जो पहली बार मंच पर अपनी प्रस्तुति देंगे. इसमें ऑन स्टेज से लेकर ऑफ स्टेज तक के सारे कलाकार हैं.
उन्होंने कहा कि 17 दिन में पचास नाटक करने जा रहा हूं. अभी तक 40 से अधिक कहानियों का स्क्रीनप्ले तैयार कर लिया है. बस पांच-छह ही कहानियों का स्क्रीन प्ले लिखना रह गया है. बाकी कहानियों पर काम चल रहा है, क्योंकि किसी भी कहानी को तैयार करने के लिए उसको पूरा पढ़ना होता है, फिर एक एक चीज जैसे कहानी का संदेश, कॉस्ट्यूम, कैरेक्टर, लाइट, म्यूजिक आदि को ध्यान में रखकर ही स्क्रीन प्ले तैयार किया जाता है. इस माह के अंत तक सारी कहानियों का स्क्रीन प्ले तैयार हो जाएगा. उसके बाद रिहर्सल शुरू होगी.
2 से 3 महीने होगी रिहर्सल :संगम बहुगुणा ने बताया कि थिएटर में बिना रिहर्सल के कुछ नहीं होता है. हर एक नाटक को कई-कई बार रिहर्सल करके तैयार किया जाता है. ऐसे में मंचन से पहले महीनों तक रिहर्सल ही चलती रहती है. मैंने अपने घर के पीछे एक रिहर्सल रूम बना रखा है. नाटक की सारी रिहर्सल वहीं पर करते हैं, क्योंकि महीनों तक लगातार रिहर्सल करने के लिए कोई और जगह पर जाना बहुत मुश्किल हो जाता है. आने- जाने में ही घंटों लग जाते हैं, जिससे रिहर्सल पर असर पड़ता है, इसलिए मैंने अपने घर के पीछे वाले रूम को एक बड़ा सा रिहर्सल रूम बना दिया है. वहीं इस बार सारे कलाकार रिहर्सल करेंगे. अगले महीने से रिहर्सल शुरू हो जाएगी.
अधिकतर महिला लेखक होंगी :उन्होंने कहा किशहर की महिला लेखकों की कहानियों को प्राथमिकता के साथ लिया है. ऐसा नहीं है कि सब महिला लेखक ही होंगी, लेकिन करीब 40 कहानियां ऐसी हैं जिनको लिखने वाली महिला हैं, इसमें जिन महिला लेखकों की कहानियों को सिलेक्ट किया गया है, उनमें स्वरुप कुमारी बक्शी, डॉ. शांति देव बालाजी, शारदा लाल, स्नेहा लता, सुधा आदेश, रत्ना कौल, डॉ. अमिता दुबे, डॉ मंजू शुक्ला, कमल कपूर, निवेदिता समेत कई शहर की मशहूर लेखिका शामिल हैं. इसके अलावा चार से पांच पुरुष लेखक जैसे केके अग्रवाल, रहमान आदि की कहानियों का भी मंचन होगा, लेकिन सबसे ज्यादा महिला लेखक की कहानी होगी.
प्रतिदिन 3 नाटकों का होगा मंचन :उन्होंने बताया कि इस फेस्टिवल का मंचन गोमतीनगर स्थित एक बड़े सभागार में होगा, जहां पर प्रतिदिन तीन कहानी का मंचन किया जाएगा. इस तरह 17 दिन में हम 50 कहानियों का मंचन करेंगे. इन कहानी के मंचन की अवधि आधे घंटे की होगी. समय सीमा छोटी रखने के पीछे हमारा मकसद इसको रोचक और मनोरंजक बनाना है क्योंकि एक दिन में अगर हम तीन कहानी करेंगे और हर कहानी की अवधि ज्यादा होगी तो पूरा दिन दर्शक बैठकर हमारा नाटक नहीं देखेंगे, इसलिए समय सीमा आधा घंटे की है, ताकि लोग आराम से नाटक का मजा ले सकेंगे और उनके अपने काम भी प्रभावित ना हों.
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