रांचीः लोकसभा चुनाव 2024 के छठे चरण में शनिवार 25 मई को मतदान कराए जाएंगे. इसमें झारखंड की चार सीटें भी शामिल हैं. इनमें रांची, जमशेदपुर, धनबाद और गिरिडीह लोकसभा सीट पर होने वाले मतदान में अधिकांश मतदान केंद्र शहरी क्षेत्रों में हैं, जहां मतदान का प्रतिशत पिछले चुनावों में काफी कम रहा है. ऐसे में चुनाव आयोग के लिए बड़ी चुनौती शहरी क्षेत्र में मतदान प्रतिशत को बढ़ाने का है.
भारत चुनाव आयोग के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो इस चरण में कुल 8 हजार 963 मतदान केंद्रों में 3 हजार 361 शहरी क्षेत्र में हैं. रांची की करें तो यहां 2 हजार 377 बूथों में 949 शहरी क्षेत्र में हैं. इसी तरह धनबाद में 2 हजार 539 में 1 हजार 316 शहरी क्षेत्र में हैं जबकि शेष ग्रामीण क्षेत्र में हैं. गिरिडीह की करें तो यहां इस बार 2 हजार 160 बूथ हैं, जिसमें शहरी मतदान केद्रों की संख्या 408 है. वहीं जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल 1 हजार 887 बूथ में 688 शहरी क्षेत्र में हैं.
इन लोकसभा क्षेत्र में था मतदान प्रतिशत
- लोकसभा क्षेत्र- गिरिडीह- 64.24% (वर्ष 2014) -67.12% (वर्ष 2019).
- लोकसभा क्षेत्र- धनबाद- 60.24% (वर्ष 2014) -60.47% (वर्ष 2019).
- लोकसभा क्षेत्र- रांची- 63.75% (वर्ष 2014) -64.49% (वर्ष 2019).
- लोकसभा क्षेत्र- जमशेदपुर- 66.38% (वर्ष 2014) -67.19% (वर्ष 2019).
कम वोटिंग वाले मतदान केंद्रों पर वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने पर जोर
मतदान प्रतिशत को लेकर हर चुनाव में चिराग तले अंधेरा की स्थिति रांची लोकसभा सीट पर बनी रहती है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले चुनावों में कई बूथों पर 10% से कम वोटिंग होने की भी बात सामने आई. इसी तरह औसतन शहरी क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक मतदान केंद्र ऐसे पाए गए जहां 50 फीसदी से कम वोटिंग हुए थे. जिन इलाकों में इस तरह का कम मतदान प्रतिशत देखा गया, उसमें कांके, हिंदपीढ़ी, अशोकनगर, ईचागढ़ के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र शामिल हैं.
रांची उपायुक्त सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी राहुल कुमार सिन्हा कहते हैं कि पिछले चुनाव में कम मतदान प्रतिशत वाले बूथों को चार कैटेगरी में बांटकर कारणों को जाना गया है. इसमें सभी मतदान केंद्र की अलग-अलग व्यवहारिक कठिनाई देखी गई, जिसका समाधान किया गया है. उन्होंने कहा कि कुछ मतदान केंद्र को दूसरे जगह बनाया गया है तो कुछ नक्सल प्रभावित इलाकों के मतदान केंद्र पर केंद्रीय बलों की तैनाती के साथ साथ स्थानीय मतदाताओं को मतदान करने के लिए प्रेरित किया गया है.
इस बार पिछले चुनाव से अधिक जागरुकता कार्यक्रम चाहे स्वीप कार्यक्रम के तहत हो या सोशल मीडिया के जरिए चलाया गया है. उम्मीद की जा रही है कि पिछले चुनाव की तुलना में मतदान प्रतिशत इस बार अधिक होगा.