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यहां अंग्रेजी शासन काल से होती आ रही है चैती दुर्गा पूजाः जानिए, किसने और कैसे की थी इसकी शुरुआत - Chaiti Durga Puja 2024

Preparation for Chaiti Durga Puja in Bagodar. चैत्र नवरात्र को लेकर घर-घर में मां के सभी रूपों की आराधना की जा रही है. लेकिन गिरिडीह के बगोदर प्रखंड में एक ऐसा मंदिर है, जहां अंग्रेजी शासन काल से चैती दुर्गा पूजा की जाती है. इस रिपोर्ट से जानिए, किसने इसकी शुरुआत की और इसके महत्व के बारे में.

Preparation for Chaiti Durga Puja in Bagodar of Giridih
गिरिडीह के बगोदर में चैती दुर्गा पूजा की तैयारी

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 13, 2024, 12:00 PM IST

गिरिडीह में बगोदर के खेतको गांव में चैती दुर्गा पूजा

गिरिडीहः जिला में बगोदर प्रखंड के खेतको पंचायत में अंग्रेजी हुकूमत के समय से चैती दुर्गोत्सव मनाया जाता आ रहा है. यहां मनाई जाने वाली चैती दुर्गा पूजा का इतिहास धार्मिक आस्था से जुड़ी हुई है. सौ साल पूर्व संतान प्राप्ति की कामना के साथ गांव के एक दलित परिवार के द्वारा चैती दुर्गोत्सव की शुरुआत की गई थी.

जिला के कई प्रखंड़ों में बासंतिक दुर्गोत्सव मनाया जाता है. जिसकी तैयारियां जोरों से चल रही है. कारीगरों के द्वारा जहां प्रतिमाओं को अंतिम रुप दिया जा रहा है वहीं पूजा कमेटियां इसको सफल बनाने में जुटी हुई हैं. जिले के बगोदर प्रखंड की बात करें तब यहां के खेतको गांव में अंग्रेजों के शासनकाल से चैती दुर्गा पूजा मनाया जाता आ रहा है. संतान प्राप्ति की कामना के साथ सौ साल पूर्व एक दलित दंपती के द्वारा पूजनोत्सव की शुरुआत की गई थी. जब उनको संतान की प्राप्ति हुई तब से यहां सार्वजनिक रुप से पूजा होने लगी.

समय के साथ साथ यहां मंदिर का निर्माण हुआ और धीरे-धीरे चैती दुर्गोत्सव का विस्तार हुआ. आज यहां बड़े पैमाने पर इस मौके पर मेला भी लगता है, जिसमें खेतको और आसपास के गांवों के अलावा पड़ोसी प्रखंड डुमरी और बिष्णुगढ़ के गांवों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं और मां का दर्शन कर मेला का लुत्फ उठाते हैं. स्थानीय निवासी सह पुजारी शंभु पांडेय बताते हैं कि गांव के मगन रजक को संतान नहीं था. संतान कामना के लिए चैती दुर्गोत्सव की शुरुआत की, इसके बाद दंपती को संतान की प्राप्ति हुई.

इसके बाद जब मगन रजक ने पूजा के आयोजन में असमर्थता जताई तब ग्रामीणों ने सार्वजनिक रुप से दुर्गोत्सव मनाना शुरू किया. इसके बाद से लेकर आज चैत्र नवरात्र के मौके पर चैती दुर्गा पूजा यहां मनाया जाता आ रहा है. पुजारी शंभू पांडेय बताते हैं कि पूजनोत्सव के प्रति आस्था है कि यह जो भी कामना की जाती है वह पूरी होती है. पहले यहां बलि का प्रचलन भी था जो किसी कारणवश बंद कर दिया गया और अब यहां वैष्णवी पूजा की जाती है.

वहीं पूजा कमेटी के उपाध्यक्ष शंकर कुमार गुप्ता बताते हैं कि चैती दुर्गोत्सव को लेकर भव्य तैयारी की जा रही है. इसके साथ साथ मेले का भी आयोजन किया गया है. उन्होंने कहा कि इस अवसर पर वृदांवन की टीम के द्वारा इस मौके पर रोज रात्रि में रामलीला की भी प्रस्तुति की जा रही है. वहीं पूर्व पंचायत समिति सदस्य कैलाश महतो ने बताया कि ये आसपास के कई गांवों के लोगों के लिए आस्था का केंद्र बन चुका है. हर साल चैती दुर्गा पूजा में भक्तों की काफी भीड़ यहां उमड़ती है.

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