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"साधु-संतों का शाही स्नान क्यों", उज्जैन सिंहस्थ के लिए पुजारी महासंघ ने दिए CM को सुझाव - SIMHASTHA CROWD MANAGEMENT

प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ की घटना से अखिल भारतीय पुजारी महासंघ चिंतित है. उज्जैन सिंहस्थ 2028 में नई व्यवस्था के लिए दिए सुझाव.

Ujjain Simhastha 2028  Crowd management
उज्जैन सिंहस्थ के लिए पुजारी महासंघ ने दिए सीएम को सुझाव (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 31, 2025, 1:02 PM IST

Updated : Jan 31, 2025, 3:18 PM IST

उज्जैन: अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ और हादसे में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि अर्पित की है. इसके साथ ही उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ 2028 में नई व्यवस्था बनाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र भेजकर सुझाव दिए हैं. बता दें कि प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई. इस दौरान हुए हादसे ने देशवासियों को झकझोर कर रख दिया. इस दुर्घटना में कई लोगों की जान चली गई.

भीड़ नियंत्रण के लिए इन बिंदुओं पर अमल करने की मांग

अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को लिखे पत्र में प्रमुख रूप से अखाड़ों की पेशवाई और स्नान के दौरान भीड़ नियंत्रण को लेकर सुझाव दिए हैं. क्योंकि माना जा रहा है कि उज्जैन सिंहस्थ 2028 में भी व्यापक स्तर पर देशभर से श्रद्धालु आएंगे. पुजारी महासंघ सुझाव दिया है "अखाड़े के लिए अलग-अलग घाटों की व्यवस्था होनी चाहिए. इसी के साथ वीआईपी एंट्री बंद हो. आम श्रद्धालुओं को अच्छे से स्नान के लिए रामघाट पर व्यवस्था हो." पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारीने कहा "सिंहस्थ में हर श्रद्धालु के साथ समान व्यवहार होना चाहिए. जब अखाड़े भव्य पेशवाई निकालकर शक्ति प्रदर्शन करते हुए विशेष रूप से रामघाट पर स्नान करते हैं, तब आम श्रद्धालुओं में असंतोष होता है."

अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी (ETV BHARAT)

पुजारी महासंघ ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को ये सुझाव दिए

  1. अखाड़ों की पेशवाई पर रोक : सिंहस्थ के दौरान अखाड़ों की पारंपरिक पेशवाई बंद की जाए. संतों को अपने अनुयायियों और यजमानों के बिना साधारण रूप से पैदल स्नान के लिए जाना चाहिए. संत परंपरा त्याग का प्रतीक है, इसलिए स्नान में वैभव प्रदर्शन का कोई औचित्य नहीं.
  2. सभी अखाड़ों के लिए अलग-अलग स्नान स्थल : यदि शिप्रा का हर घाट समान रूप से पवित्र है तो प्रत्येक अखाड़े को नृसिंह घाट से त्रिवेणी तक और मंगलनाथ क्षेत्र जैसे अलग-अलग स्नान स्थल आवंटित किए जाएं. पहले साधु-संत स्नान करें, फिर श्रद्धालुओं के लिए इन घाटों को खोला जाए.
  3. रामघाट पर शंकराचार्यों को प्राथमिकता हो :सिंहस्थ में रामघाट पर सबसे पहले चारों शंकराचार्यों को स्नान की अनुमति दी जाए. अन्य अखाड़ों के स्नान की व्यवस्था अलग स्थानों पर की जाए.
  4. वीआईपी संस्कृति समाप्त हो : मेला क्षेत्र में वीआईपी और वीवीआईपी आवाजाही पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाया जाए ताकि आम श्रद्धालु बिना किसी अव्यवस्था के श्रद्धा और आस्था के साथ स्नान कर सकें.
Last Updated : Jan 31, 2025, 3:18 PM IST

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