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नोएडा स्पोर्टस सिटी घोटाले की CBI जांच के हाईकोर्ट ने दिए आदेश, कही ये बात - ALLAHABAD HIGH COURT

हाईकोर्ट ने कहा, 9000 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी में संलिप्त अधिकारियों पर क्यों नहीं लिया एक्शन.

allahabad high court orders.
हाईकोर्ट ने दिया आदेश. (photo credit: etv bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 25, 2025, 8:56 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाइकोर्ट ने नोएडा स्पोर्ट्स सिटी घोटाले में सीबीआई और ईडी जांच का निर्देश दिया है. कोर्ट ने इस मामले में बिल्डरों, कंसोर्टियम और नोएडा के अधिकारियों के खिलाफ घर खरीदारों के पैसे हड़पने, नोएडा के अधिकारियों, डेवलपर्स और घोटाले से जुड़े अन्य व्यक्तियों सहित सभी शामिल लोगों के खिलाफ जांच शुरू करने का निर्देश दिया है. आदेश में पूरे स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट को भ्रष्टाचार की एक पाठ्यपुस्तक का विशेष उदाहरण बताया.

यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने नोएडा में चार स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं में से तीन को कवर करते हुए दस अलग-अलग निर्णय दिए. इसमें प्रमुख डेवलपर्स और कंसोर्टियम हिस्सेदारों दोनों की जवाबदेही को ठहराया गया. कोर्ट ने लैंड यूज वायलेशन, वित्तीय अनियमितता, दिवालिया कार्यवाही और स्पोर्ट्स सुविधाओं के पूरा न होने सहित कई अन्य पहलुओं की जांच करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि उसके पास जांच सीबीआई को सौंपने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.

कोर्ट ने पाया कि नोएडा से महत्वपूर्ण लाभ और रियायतें लेने के बाद भी डेवलपर्स ने अनिवार्य खेल सुविधाओं को बनाने की बजाय केवल व्यवसायिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया. ये ऑर्डर सेक्टर 78, 79 और 101 में स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं से संबंधित हैं. सेक्टर 150 में दो स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाएं जिसे लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स और लोटस ग्रीन्स कंस्ट्रक्शन द्वारा विकसित की गईं। वहीं सेक्टर 78-79 में परियोजनाओं के प्रमुख डेवलपर्स और लॉजिक्स की स्पोर्ट्स सिटी परियोजना वर्तमान में दिवालियेपन की कार्यवाही से गुजर रही है. कोर्ट ने इसे वित्तीय और कानूनी दायित्वों से बचने के लिए एक जानबूझकर रणनीति करार दिया.

स्पोर्टस सिटी के प्रमुख डेवलपर्स ने याचिका के माध्यम से नोएडा द्वारा की जा रही कार्रवाई से बचने की मांग कोर्ट से की थी. हाइकोर्ट ने उनके दावों को खारिज कर दिया. साथ ही कहा कि डेवलपर्स मूल योजना के अनुसार परियोजना का निर्माण नहीं कर सके. इनसाल्वेंसी को देनदारी से बचने के लिए ढाल बनाते रहे. इस मामले में नोएडा के पास लंबित बकाया वसूलने और कानूनी कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है. साथ ही राज्य सरकार को वित्तीय कुप्रबंधन और धोखाधड़ी की आगे की जांच शुरू करनी चाहिए.

गौरतलब है कि सीएजी ऑडिट में स्पोर्ट्स सिटी आवंटन में बड़ी वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया गया था. इससे नोएडा और राज्य सरकार को 9000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. ऑडिट में पाया गया कि डेवलपर्स को जमीन कम कीमत पर दी गई. डेवलपर्स द्वारा नोएडा को साइड लाइन करते हुए स्वामित्व का अनधिकृत हस्तांतरण किया गया. लीज प्रीमियम, जुर्माना और ट्रांसफर चार्ज तक नहीं दिए गए. साथ ही खेल के बुनियादी ढांचे के पूरा न होने के बावजूद अधिभोग प्रमाण पत्र जारी किए गए थे.

कोर्ट ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट 2021 में प्रकाशित हुई थी फिर भी न तो नोएडा और न ही राज्य सरकार ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने या बिल्डरों से बकाया वसूलने जैसी कोई कार्रवाई की. उठाया गया एकमात्र कदम डेवलपर्स को भुगतान की मांग के लिए नोटिस भेजा गया था, जिस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. कोर्ट ने नोएडा और राज्य के अधिकारियों को उनकी निष्क्रियता और मिलीभगत के लिए फटकार लगाते हुए कहा कि पिछले कुछ सालों में नोएडा में कई बड़े अधिकारी आए और गए लेकिन किसी भी अधिकारी ने चिंता नहीं जताई या घाटे की भरपाई करने का प्रयास नहीं किया.

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