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खेतों में बैलों की घंटियों की जगह गूंज रही 'पावर वीडर' की आवाज, आधुनिक खेती से किसान हो रहे 'मालामाल' - Power Weeder Machine - POWER WEEDER MACHINE

Farming by Power Weeder in Uttarkashi, Traditional Method of Cultivation किसी समय खेतों में जुताई के लिए हल बैल आदि का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब उनकी जगह आधुनिक मशीनों ने ले ली है. इन दिनों रवाईं घाटी में धान की रोपाई चल रही है, लेकिन खेतों में बैलों की जोड़ियां, उनकी घंटियों की आवाज गायब है. उनकी जगह 'पावर वीडर' की आवाज गूंज रही है.

Farming by Power Weeder in Uttarkashi
पावर वीडर से खेती (फोटो- ईटीवी भारत ग्राफिक्स)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 8, 2024, 4:55 PM IST

उत्तरकाशी: तकनीकी युग में नगदी फसलों का गढ़ कहे जाने वाले रवांई घाटी के खेतों में बैलों की घंटी की जगह अब पावर वीडर की आवाज गूंज रही है. यहां अब काश्तकार खेती के लिए आधुनिक यंत्रों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इन यंत्रों के इस्तेमाल से काश्तकारों की समय की बचत के साथ ही फसलों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो रही है. जबकि, पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल कर काश्तकारों को हल जुताई और फसलों के बीज बोने में कई बार मौसम की बेरुखी के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ता था.

उत्तरकाशी में धान की रोपाई (फोटो सोर्स- ईटीवी भारत)

आधुनिक कृषि यंत्रों से खेती हुई आसान:प्रगतिशील किसान स्यालिक राम नौटियाल, धीरेंद्र चौहान, संजय भारती, अतोल चौहान, अनुज असवाल आदि बताते हैं कि पहले उन्हें करीब 3-4 नाली का खेत बनाने और हल जोतने में दो से तीन दिन का समय लगता था, जो कि अब आधुनिक कृषि यंत्रों से महज एक घंटे में हो जाती है. उन्होंने बताया कि पहले बारिश न होने पर खेत सख्त हो जाने पर बैलों से उन पर हल चलाना संभव नहीं हो पाता था. साथ ही इसके लिए बारिश का इंतजार ही करना पड़ता था. अब पावर वीडर की मदद से सख्त से सख्त खेत की आसानी से जुताई हो जाती है.

पावर वीडर से खेती (फोटो सोर्स- ईटीवी भारत)

पावर वीडर को लेकर समस्या:उनका कहना है कि हालांकि, इसके कुछ फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हैं. जैसे कि पहाड़ी खेतों में ढलान होने के साथ ही वो उबड़ खाबड़ होते हैं, पावर वीडर या टिलर मशीन को एक खेत से दूसरे खेत तक पहुंचाने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. साथ ही मशीन में कुछ खराबी आने पर आसानी से पहाड़ों में मैकेनिक नहीं मिल पाते हैं. इसलिए काश्तकारों ने मांग की है कि सरकार काश्तकारों को कृषि यंत्रों की मरम्मत करने का प्रशिक्षण दें.

धान की रोपाई करतीं महिलाएं (फोटो सोर्स- ईटीवी भारत)

पावर वीडर के लिए सरकार दे रही सब्सिडी:काश्तकारों का कहना है कि आज वो इन यंत्रों के सहारे धान की रोपाई के लिए खेत बनाना, बुवाई करना, घास काटना, गेहूं काटना, टमाटर के खेत में नाली बनाना आदि सभी काम कर रहे हैं. इस मशीन से काफी तेजी से खेतों की जुताई की जा सकती है. वहीं, सरकार भी इन मशीनों के लिए काश्तकारों को 80 फीसदी तक की सब्सिडी दे रही है. बता दें कि पावर वीडर एक तरह की छोटी ट्रैक्टर होती है. जिसे हाथों से कंट्रोल किया जाता है.

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