धनबादः कोयलांचल के बीरबल मंडल ने पोल्ट्री व्यवसाय के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई है. कभी 100 मुर्गियों से पोल्ट्री व्यवसाय की शुरुआत करने वाला यह शख्स आज पद्मश्री पुरस्कार की दौड़ में है. केंद्र सरकार ने अलग-अलग क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए सभी जिलों से पद्मश्री पुरस्कार के लिए नाम मांगें थे. धनबाद के पशुपालन विभाग ने पद्मश्री पुरस्कार के लिए बीरबल मंडल के नाम की अनुशंसा की है.
100 मुर्गियों से शुरू किया था व्यवसाय
ईटीवी भारत से बातचीत में बीरबल मंडल ने बताया कि 1996 में 100 मुर्गियों से पोल्ट्री व्यवसाय की शुरुआत की थी. छोटे स्केल पर घर से इस व्यवसाय की शुरुआत की थी. उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में लाभ मिलने के बाद कई बॉयलर फार्म बनाए. धीरे-धीरे 500 फिर एक हजार बॉयलर फार्म बनाए. वर्तमान में 25 हजार बॉयलर फार्म चल रहे हैं. इसके बाद स्थानीय किसानों को भी इस व्यवसाय से जोड़ा गया. स्थानीय स्तर पर कई लोगों के बॉयलर फार्म भी खुलवाए. जिन लोगों को बॉयलर फार्म खुलवाए उन्हें फीड और चिक सप्लाई करने लगे. इससे लोग तो लाभान्वित हुए ही साथ ही उन्हें भी काफी फायदा हुआ.
इस सफलता के बाद बीरबल मंडल ने वर्ष 2001 में हेचरी की फैक्ट्री लगाई. हैदराबाद से अंडा मंगवाकर चिक्स का उत्पादन करना शुरू किया और सप्लाई मार्केट में करने लगे. यह कारोबार भी काफी अच्छा चला, लेकिन 10 साल के बाद इस धंधे में कमाई कम होने लगी. इस धंधे में काफी प्रतिस्पर्धा बढ़ गई. इसके बाद हेचरी में अंडा डालकर खुद से चिक्स निकालने का काम शुरू किया.
70 प्रतिशत अंडे की कर रहे आपूर्ति
2011 में लेयर फार्म खरीदा. लेयर फार्म से बीरबल को अच्छी कमाई हुई. जिसके बाद चार पांच लेयर फार्म लगाए. झारखंड में पहला लेयर फार्म बीरबल द्वारा बनाया गया. फिलहाल उनके फार्म में डेढ़ से दो लाख अंडे का उत्पादन होता है. झारखंड के तीन चार जिलों में लेयर फार्म बना है और सभी लेयर फार्म काफी अच्छा उत्पादन कर रहा है. जितने अंडे की झारखंड में खपत होती है, उसका 70 प्रतिशत आपूर्ति फिलहाल बीरबल ही करते हैं. 30 प्रतिशत अंडा पंजाब, हैदराबाद और पश्चिम बंगाल से मंगवाया जाता है.
बीरबल ने बताया कि कुछ दिन बाद वे पूरे झारखंड में अंडे की आपूर्ति करेंगे और बाहर भेजने का काम करेंगे. उन्होंने बताया कि फिलहाल उनके अलग-अलग प्लांट में करीब 400 मजदूर काम कर रहे हैं. कुल मिलकर 800 लोगों को रोजगार मिला है.
अवशिष्ट पदार्थ से बिजली बनाने की योजना
बीरबल मंडल ने बताया कि हेचरी से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थ को लीटर कहते हैं. इसे खुले में फेंकने पर यह काफी बदबू करता है. इस समस्या का हमने निदान निकाला है. उन्होंने कहा कि उनकी योजना अवशिष्ट पदार्थ से बिजली तैयार करने की है. इसके लिए दो बायोगैस प्लांट का निर्माण कार्य चल रहा है. मुर्गियों के लीटर से बिजली तैयार की जाएगी. उन्होंने बताया कि इस योजना के लिए सरकार सब्सिडी भी दे रही है, ताकि बायोगैस की दिशा में लोग प्रोत्साहित हों. वहीं पद्मश्री पुरस्कार के लिए अनुशंसा किए जाने पर उन्होंने कहा कि मेरी मेहनत का फल अगर मुझे मिल जाए तो मैं अपने आप को सौभाग्यशाली समझूंगा.