रायपुर :साय सरकार को लगभग 10 माह बीत चुके हैं. बावजूद इसके अब तक मंत्रिमंडल में पूरे मंत्रियों की नियुक्ति नहीं की गई है. वर्तमान में भी दो मंत्री का पद खाली हैं.चुनाव के बाद से लगातार एक मंत्री का पद खाली था. वहीं हाल ही में बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने के बाद दूसरा मंत्री का पद भी खाली हो गया आखिर क्यों दो मंत्रियों की नियुक्ति नहीं की गई है , कब तक नियुक्ति किए जाने की संभावना है.आइये जानने की कोशिश करते हैं.
सरकार बनने के बाद से मंत्री पद खाली :छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री सहित कुल 13 मंत्री होते हैं. लेकिन वर्तमान में मुख्यमंत्री सहित 11 मंत्री हैं. दो मंत्री पद अभी खाली हैं. सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री सहित कुल 12 मंत्री थे. एक मंत्री पद को खाली रखा गया था. हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के बाद बृजमोहन अग्रवाल जो कैबिनेट मंत्री थे, वो सांसद बन गए. इसके बाद एक और मंत्री की कुर्सी खाली हो गई. इस तरह वर्तमान में दो मंत्री पद खाली हैं. जिस पर नियुक्ति को लेकर कई तरह की चर्चाएं राजनीतिक गलियारों में हैं.
साय कैबिनेट का कब होगा विस्तार (ETV BHARAT)
कांग्रेस का आरोप :कांग्रेस नेता धनंजय सिंह ठाकुर की माने तो बीजेपी के अंदर मंत्री पद को लेकर सिर फुटव्वल की स्थिति है, क्योंकि वहां पर मंत्री पद के कई दावेदार हैं. बीजेपी को डर है कि यदि अभी किसी को मंत्री बनाया तो उसका दुष्परिणाम पार्टी को आगामी आने वाले रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव और नगरी निकाय चुनाव में भी भुगतना पड़ सकता है .यही कारण है कि अब तक बीजेपी ने खाली पड़े दो मंत्री के पद को नहीं भरा है.चुनाव के बाद जल्द होगा निर्णय: वहीं अधूरे कैबिनेट को लेकर बीजेपी मीडिया प्रमुख अमित चिमनानी का कहना है कि होने वाले चुनाव के बाद जल्दी इसकी घोषणा भी हो जाएगी. आपको पता चल जाएगा कि वे दो मंत्री कौन हैं. वहीं मंत्रियों के ना होने से कामकाज प्रभावित होने के सवाल पर चिमनानी ने कहा कि ऐसा नहीं है जो भी विभाग है, उसका किसी न किसी मंत्री के पास अतिरिक्त प्रभार है और काम लगातार चल रहा है.
जनता के काम कहीं रुकते नहीं है, एक मंत्री का पास यदि दो विभाग है, तो वह दोनों विभाग का काम देखता है. वही मंत्री ना बनाए जाने को लेकर पार्टी में सहमति के अभाव के सवाल पर चिमनानी ने कहा कि ऐसा नहीं है. सही समय पर सही निर्णय की बात होती है, यदि पार्टी ये मानती है कि चुनाव के बाद बचे हुए मंत्रिमंडल के साथी की घोषणा हो.वह पार्टी का विशेष निर्णय है- अमित चिमनानी, प्रदेश प्रमुख, मीडिया विभाग बीजेपी
वहीं राजनीति के जानकर एवं वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है कि पहले भी इस तरह से मंत्री पद पर नियुक्ति को रोका जा चुका है. चाहे फिर वह डॉ रमन सिंह की सरकार रही हो या फिर भूपेश बघेल की. काफी दिन बाद आखिरी मंत्री की नियुक्ति की गई थी. वही परिपाटी चलती आ रही है. लेकिन इस बार थोड़ा सा चेंज आया है. पहले एक मंत्री पद खाली था और लगभग 14-15 महीने तक खाली रहता था. मंत्री ना होने से परेशानी तो जरूर होती है. जो विभाग नहीं बंटे होते हैं, वह मुख्यमंत्री पास होते हैं और मुख्यमंत्री के पास काफी बड़ा दायित्व होता है.उनके पास प्रदेश की जिम्मेदारी होती है, रोज के क्रियाकलाप वर्किंग होती है.
पिछले दिनों जुलाई अगस्त सितंबर में शिक्षा नीति को लेकर, शिक्षा की किताब छपाने से लेकर, क्या पढ़ने वाले थे ,वह तय नहीं था. क्योंकि शिक्षा मंत्री तय नहीं थे. ऐसे में निर्णय लेने में कई तरह की दिक्कत आती है. वो काम अमल में नहीं आ पता है, उसे जमीन पर लाने में परेशानी होती है- उचित शर्मा वरिष्ठ पत्रकार
कब तक है मंत्री पद भरने की उम्मीद ? :उचित शर्मा ने कहा कि मंत्री पद रेवाड़ी की तरह होता है. नगरीय निकाय चुनाव तक इसे खाली रखेंगे. चाहे तकलीफ जितनी भी बढ़ जाए, वह मायने रखती है. पहले नगरीय निकाय चुनाव में सभी काम करें ,अच्छे से करें और इसी को ध्यान रखते हुए उन्होंने अभी तक मंत्री की घोषणा नहीं की है.यह जनवरी-फरवरी तक मंत्री बनाएंगे.