रांची: राज्य की सत्तारूढ़ सबसे बड़ी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी, झारखंड भाजपा को कुछेक बीजेपी विधायकों का नाम सुझाए हैं. सत्ता पक्ष यह सलाह दी है कि अगर गुटबाजी की वजह से वह अपने विधायक दल का नेता नहीं चुन पा रहे हैं तो चंपाई सोरेन, सीपी सिंह या बाबूलाल मरांडी में से किसी को यह जिम्मेदारी सौंप दें. जिससे सरकार अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन जनहित में ठीक ढंग से कर सके.
षष्ठम विधानसभा के पहले सत्र में बिना विधायक दल के नेता के रहे भाजपा विधायक
झारखंड में षष्ठम विधानसभा का पहला विशेष सत्र बिना नेता प्रतिपक्ष के ही संपन्न हुआ. झारखंड विधानसभा में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर भारतीय जनता पार्टी ने अभी तक अपने विधायक दल का नेता नहीं चुन सकी है. लिहाजा नेता प्रतिपक्ष का पद भी खाली है. अब तो सत्ताधारी इंडिया ब्लॉक के दो बड़े दल झारखंड मुक्ति मोर्चा और झारखंड कांग्रेस के नेताओं ने भाजपा पर तंज कसना शुरू कर दिया है.
हार के बाद गुटबाजी चरम पर, संतरे के समान हो गयी है भाजपा- झामुमो
झामुमो के नेता झारखंड में भाजपा की तुलना संतरे से कर रहे हैं, जो ऊपर से देखने में तो एक दिखता है लेकिन अंदर में अलग-अलग फांकों में बंटा होता है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि विधानसभा चुनाव 2024 में जनता द्वारा बुरी तरह नकार दिए जाने के बाद भाजपा के नेता न सिर्फ हतोत्साहित हैं, बल्कि पार्टी में गुटबाजी भी चरम पर है. ऐसे में भाजपा विधानसभा में अपना नेता तक नहीं चुन पा रही है. जबकि इंडिया ब्लॉक के झामुमो, कांग्रेस, राजद सभी ने अपना-अपना विधायक दल का नेता का चयन कर इसकी सूचना भी स्पीकर को दे दी है.
झामुमो का तंज...सुझाए नाम में से किसी को बना दें अपने विधायक दल के नेता
झारखंड भाजपा के विधायक दल के नेता अभी तक नहीं ढूंढ पाने पर जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडेय ने तंज कसा है. उन्होंने कहा कि अब उनकी मजबूरी हैं कि जो 21 विधायक जीतकर आये हैं, उन्हीं में से किसी को विधायक दल का नेता बनाना है. अगर भाजपा में कोई योग्य विधायक नहीं है तो हमारे यहां से गये चंपाई सोरेन को ही भाजपा विधायक अपना नेता मान लें.
अगर उनके नेतृत्व को मानने में दिक्कत है तो सीपी सिंह या 15 साल तक पीएम मोदी को अपशब्द कहने वाले बाबूलाल मरांडी को ही विधायक दल का नेता बना दें. ताकि सरकार उन संवैधानिक संस्थाओं के रिक्त महत्वपूर्ण पदों को जल्दी-जल्दी भर सकें, जिनकी नियुक्ति में नेता प्रतिपक्ष का होना जरूरी होता है. बता दें कि राज्य महिला आयोग, सूचना आयोग सहित कई ऐसे संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति में नेता प्रतिपक्ष की भी अहम भूमिका होती है.